upभाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने जिस समय यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को अस्थिर करने की बिसात बिछाई ठीक उसी समय हिंदू युवा वाहिनी का प्रकरण सतह पर कैसे आ गया? इस सवाल का जवाब तलाशने में दो और सवाल उभर कर सामने आए. क्या हिंदू युवा वाहिनी का अचानक सतह पर आना योगी आदित्यनाथ के इशारे पर अख्तियार की गई ‘प्रेशर-टैक्टिक्स’ है या भाजपा के संगठन मंत्री सुनील बंसलशाह की शह पर हिंदू युवा वाहिनी के ‘विक्षुब्ध’ नेताओं को हवा दे रहे हैं?

हिंदू युवा वाहिनी के ‘विक्षुब्ध’ नेता योगी आदित्यनाथ के विरोध में एक शब्द नहीं कहते, पर वाहिनी की स्वतंत्र ताकतवर राजनीतिक पहचान की छटपटाहट भी दिखाते हैं. हिंदू युवा वाहिनी के टूटने, अलग पार्टी के रूप में आने और 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले राजनीतिक रूप से शक्तिशाली होने की अचानक फिर से उजागर होने लगी महत्वाकांक्षा के गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं. अगर हम थोड़ी देर के लिए यह मान भी लें कि योगी विरोधी सुनील बंसल और उनके कुछ पिट्‌ठू नेता हिंदू युवा वाहिनी के ‘विक्षुब्ध’ नेताओं को शह दे रहे हैं तो ऐसा करके वे योगी का क्या बिगाड़ लेंगे? इस स्वाभाविक सवाल का स्वाभाविक जवाब यह है कि योगी अब भाजपा के स्थापित नेता हैं.

उन्हें हिंदू युवा वाहिनी के छोटे फ्रेम में कस कर देखना राजनीति की गति और योगी के बड़े होते सियासी कैनवस की अनदेखी करने जैसा होगा. भाजपा के वरिष्ठ नेता भी कहते हैं कि भाजपा का भला इसी में है कि वे योगी को भाजपा का वरिष्ठ नेता मन से स्वीकार कर लें. उन्हें हिंदू युवा वाहिनी का नेता मानने की अदूरदर्शिता न करें, क्योंकि ऐसा करने से भाजपा को ही भविष्य में नुकसान होगा और उत्तर प्रदेश में भी भाजपा के समानान्तर एक शिवसेना खड़ी हो जाएगी. वाहिनी के ‘विक्षुब्ध’ नेताओं की महत्वाकांक्षा को हवा देने की सतही सियासत से बंसल-गैंग को कुछ हासिल नहीं होने वाला.

पिछले दिनों लखनऊ के सबसे महत्वपूर्ण सरकारी गेस्ट हाउस में हिंदू युवा वाहिनी की बैठक होने से अचानक सरगर्मी फैल गई. वाहिनी की इस बैठक से लेकर बाद की गतिविधियों तक आप समीक्षात्मक निगाह डालें तो बहुत सारे पहलू खुलते दिखेंगे. वीवीआईपी गेस्ट हाउस की बैठक में वाहिनी ने क्या विचार-विमर्श किया और क्या रणनीति तय की, इस पर चर्चा होने के बजाय, गेस्ट हाउस के प्रबंधक आरपी सिंह के निलंबन को लेकर अधिक चर्चा रही. गेस्ट हाउस प्रबंधक ने हिंदू युवा वाहिनी को बैठक करने की इजाजत कैसे दे दी? पता चला कि मोहनलालगंज से भाजपा सांसद कौशल किशोर ने हिंदू युवा वाहिनी के पत्र पर अपनी औपचारिक सिफारिश भेजी थी.

सांसद कौशल किशोर ने ‘चौथी दुनिया’ से कहा, ‘वाहिनी के कार्यकर्ता मेवालाल मेरे पास आए थे और उन्होंने गेस्ट हाउस में वाहिनी के अध्यक्ष सुनील सिंह के रुकने के लिए कमरा देने की सिफारिश करने का औपचारिक आग्रह किया था. मैंने उस पत्र को अग्रसारित कर दिया. हिंदू युवा वाहिनी या सुनील सिंह को लेकर कोई भारी विवाद भी है, यह मुझे नहीं पता था. मैंने गेस्ट हाउस के कमरे में सुनील सिंह के रुकने के लिए प्रेषित आग्रह पत्र को अग्रसारित किया था, वहां बैठक करने के लिए नहीं.’ आपने भाजपा सांसद कौशल किशोर की बातें ध्यान से सुनीं कि उन्हें यह नहीं पता था कि वाहिनी में कोई भारी विवाद चल रहा है.

यह सच भी है कि वाहिनी के अंदर कोई भारी विवाद नहीं है, जो कुछ है वह बाहर-बाहर अधिक प्रक्षेपित है. खैर, भाजपा सांसद ने जब एक व्यक्ति के रुकने के लिए कमरा देने की सिफारिश की थी, फिर वाहिनी को वहां बैठक करने की इजाजत कैसे दे दी गई? गेस्ट हाउस के बैठक कक्ष में वाहिनी की बैठक हुई, इसे आप तस्वीर में साफ-साफ देख सकते हैं. गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हिंदू युवा वाहिनी का विवाद संवेदनशील स्तर का रहता तो सारे सरकारी महकमों को इस बारे में पहले से सूचना रहती. यूपी पुलिस की स्थानीय खुफिया इकाई (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) सरकार को ऐसी ही खुफिया सूचनाएं देने और सतर्क करने के लिए बनी है.

‘एलआईयू’ ने वीवीआईपी गेस्ट हाउस में हिंदू युवा वाहिनी की बैठक के बारे में सरकार को सूचना क्यों नहीं दी? क्या ‘एलआईयू’ ने अपनी ड्यूटी में कोताही की? फिर ‘एलआईयू’ के सम्बद्ध अधिकारियों को निलंबित क्यों नहीं किया गया? अकेले गेस्ट हाउस के प्रबंधक पर गाज क्यों गिरी? हिंदू युवा वाहिनी के एक नेता ने कहा कि वाहिनी की बैठक कहीं और भी हो सकती थी, वीवीआईपी में ही क्यों की गई? उनके इस सवाल ने कई सवालों के जवाब दे दिए. हालांकि सुनील कहते हैं कि बैठक के लिए पहले पिकैडली होटल तय किया गया था, लेकिन वहां खर्च बहुत अधिक पड़ रहा था, इसीलिए उसे वीवीआईपी शिफ्ट किया गया. सत्ता गलियारे की नाक के नीचे वीवीआईपी गेस्ट हाउस को ही बैठक के लिए क्यों चुना गया?

इस सवाल पर सुनील कहते हैं कि सस्ता-सुविस्ता होने के कारण चुना गया. लेकिन गेस्ट हाउस में तो केवल रुकने के लिए कमरा दिया गया था, बैठक कक्ष में बैठक करने के लिए नहीं? बीच में ही सुनील कहते हैं, ‘आप कहीं बाहर गेस्ट हाउस में रुकेंगे और आपको जानने वाले वहां आ जाएंगे तो आप उन लोगों के साथ बैठेंगे कि नहीं!’ सुनील सिंह के इस वक्तव्य में ही कई सवाल निहित हैं, मसलन, वीवीआईपी गेस्ट हाउस में हिंदू वाहिनी की बैठक क्या अचानक हो गई? अचानक हुई बैठक में डेढ़ सौ से दो सौ लोगों की जमात कैसे जुट गई? वगैरह, वगैरह. इन सारे सवालों के जवाब आपको खुद ब खुद मिलते जाएंगे.

आपको थोड़ा फ्लैशबैक में लिए चलते हैं. पिछले साल जब प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थी और टिकटों के बंटवारे की प्रक्रिया चल रही थी, उस समय भी योगी को कोई तरजीह नहीं दी जा रही थी. यहां तक कि योगी को चुनाव प्रबंध समिति में भी नहीं रखा गया था. टिकट देने में सुनील बंसल मनमानी कर रहे थे और खास तौर पर योगी की पसंद के प्रत्याशियों को टिकट नहीं दिया जा रहा था. उस समय भी हिंदू युवा वाहिनी ने प्रदेशभर में अपने प्रत्याशी खड़े कर प्रकारांतर से भाजपा का नुकसान करने की घोषणा की थी. वाहिनी की ओर से दर्जनभर से अधिक प्रत्याशियों की घोषणा भी हो गई थी.

इस दबाव से भाजपा आलाकमान इतना चिंतित हो गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को लखनऊ आना पड़ा. योगी भी लखनऊ आए. बीच-बचाव हुआ. तब योगी ने हिंदू युवा वाहिनी के गैर-राजनीतिक संगठन होने का बयान जारी किया और प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह पर अनुशासनिक कार्रवाई की बात कही. तब योगी ने ‘चौथी दुनिया’ से कहा था, ‘प्रत्याशी खड़ा करने की घोषणा करने वाले वाहिनी के पदाधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. वाहिनी एक सामाजिक संगठन है और उसके राजनीति में प्रवेश करने की कोई योजना नहीं है.

वाहिनी के जो लोग राजनीति में घुसने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी क्योंकि यह अवैध है और वाहिनी की नीतियों और विचारों के खिलाफ है.’ वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह ने उस समय ‘चौथी दुनिया’ से कहा था कि वे योगी के सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी हद तक कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं. सुनील ने कहा था, ‘मेरी बगावत योगी के अपमान का बदला है. पिछले पच्चीस साल में जब-जब योगी आदित्यनाथ का अपमान हुआ, हमने उसका बदला लिया है. इस बार भी भाजपा ने योगी का अपमान किया है.

हम चुनाव में इसका बदला लेंगे. लोग चाहते थे कि योगी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाए, भाजपा पहले राजी थी, लेकिन बाद में इसे टाल दिया. दूसरी तरफ पार्टी ने योगी को चुनाव प्रबंध समिति में भी नहीं रखा. योगी ने करीब एक दर्जन उम्मीदवारों की सूची दी थी, लेकिन भाजपा ने उनमें से मात्र दो को टिकट दिया. इसे हम किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं कर सकते.’ सुनील सिंह ने तब कहा था, ‘भाजपा अगर योगी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दे तो मैं पूरे पांच साल तक भाजपा कार्यालय पर कप प्लेट धोऊंगा.’

विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद भी भाजपा ने योगी को हाशिए पर रखने की कोशिश की. मुख्यमंत्री के रूप में योगी का नाम विचार में नहीं था. केशव मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा समेत अगड़े-पिछड़े-दलित नेताओं के नाम की चर्चा होती हुई मनोज सिन्हा पर आकर टिक गई. फिर जब योगी ने दिल्ली जाकर अमित शाह से दो-टूक बात की और संघ ने बात संभाली, तब अचानक स्थिति बदली और चार्टर प्लेन से दिल्ली बुलाकर योगी को सीएम चुने जाने का निर्णय सुनाया गया. जानकार बताते हैं कि योगी-शाह के बीच हुई दो-टूक वार्ता में भी वाहिनी को समानान्तर खड़ा करने की ‘चेतावनी’ का औजार इस्तेमाल किया गया था.

बहरहाल, वीवीआईपी गेस्ट हाउस में बैठक कर हिंदू युवा वाहिनी भारत का खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित करने वाले सुनील सिंह से इस संवाददाता की फिर लंबी बातचीत हुई. इस बातचीत में सुनील सिंह ने योगी के खिलाफ बगावत का एक शब्द भी इस्तेमाल नहीं किया. सुनील सिंह कहते हैं, ‘भारतीय जनता पार्टी हमारे गुरु का लगातार अपमान कर रही है. स्वामी प्रसाद मौर्या और नरेश अग्रवाल जैसे तमाम लोग जो गौरी-गणेश को गाली देते रहे, उन्हें भाजपा में तरजीह दी जा रही है. हिंदुत्व के लिए बलिदान करने वाले प्रतिबद्ध लोगों का पार्टी में कोई भाव नहीं है. भाजपा अपने मूल विचार से भटक गई है.

लेकिन हमारे गुरु चुप्पी साधे हैं. भाजपाइयों ने हमारे गुरु पर काला जादू कर दिया है. अब हमारे गुरु ताजमहल जैसे मजारों के आगे झाड़ू लगाने लगे हैं. हम तो उन्हें उनकी शक्ति याद दिलाते हैं. वे हमारे गुरु थे, गुरु हैं और गुरु रहेंगे. हम तो उन्हीं का भजन गाते हैं. हां, हम जैसे तमाम कार्यकर्ता घनघोर रूप से उपेक्षित हैं. हम पर अनाप-शनाप मुकदमे लदे हुए हैं. हमने वाहिनी को पूर्वांचल में ताकतवर बनाने के बाद उसे पूरे प्रदेश में फैलाया और सीमाई राज्यों में पहचान बनाई.

हमारी प्रतिबद्धता का यह इनाम क्यों? हम तो यही चाहते हैं न कि राम मंदिर बने, धारा 370 हटे, समान नागरिक संहिता कायम हो, लव जेहाद पर रोक लगे! भाजपा इन्हीं मसलों पर लोगों का समर्थन लेकर तो सत्ता तक आई थी, फिर जन-आकांक्षाओं की उपेक्षा क्यों की जा रही है?’ सुनील सिंह ने बात खत्म करते हुए जो बात कही, वह खास तौर पर रेखांकित करने वाली है. सुनील ने कहा, ‘हिंदू युवा वाहिनी को अब राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करना होगा. 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले वाहिनी इतनी मजबूत हो कि उसकी उपेक्षा करना भाजपा के लिए असंभव हो जाए.’ वाहिनी से अपने निष्कासन को सुनील अप्रासंगिक बताते हैं और संगठन के संविधान का हवाला देते हुए कहते हैं कि निष्कासन का फैसला एक व्यक्ति कर ही नहीं सकता.

राजग में राजनीतिक पार्टी के बतौर शामिल होगी हिंदू युवा वाहिनी!

भाजपाई गलियारे में चर्चा है कि हिंदू युवा वाहिनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में एक राजनीतिक पार्टी के रूप में शामिल हो सकती है. हालांकि वाहिनी के संरक्षक योगी आदित्यनाथ इसे गैर-राजनीतिक संगठन बताते रहे हैं, लेकिन वाहिनी के अधिसंख्य कार्यकर्ता अब इसे गैर-राजनीतिक संगठन मानने से इन्कार कर रहे हैं. जानकार कहते हैं कि पर्दे के पीछे से योगी भी ऐसा ही चाहते हैं. वाहिनी के नेता सुनील सिंह का कहना है कि योगी आदित्यनाथ अब भाजपा के मुख्यमंत्री हैं और भाजपा के विधान परिषद सदस्य हैं. इसी तरह वाहिनी के राघवेंद्र प्रताप सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बन चुके हैं. यानि, वे भाजपाई हैं. ऐसे में उन्हें यह तय करना है कि वे वाहिनी के हैं या भाजपा के. इसका एक ही उपाय है कि वाहिनी एक राजनीतिक दल के रूप में राजग में शामिल हो.

हिंदूवादी राजनीति का बेहतर विकल्प बनेगी हिंदू युवा वाहिनी

राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि हिंदू युवा वाहिनी उत्तर प्रदेश में हिंदूवादी राजनीति का बेहतर विकल्प बन कर उभरेगी. यूपी में एक और ‘शिवसेना’ को ताकतवर बनने से रोकना है तो भाजपा को अपनी नीतियों में बदलाव लाना होगा. आने वाले दिनों में धर्मीय ध्रुवीकरण की सियासत जैसे-जैसे परवान चढ़ेगी, हिंदू युवा वाहिनी की मांग बढ़ेगी. वाहिनी कार्यकर्ताओं को जाग्रत करने के इरादे से ही पिछले दिनों योगी ने कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दिया कि वे भ्रष्ट नौकरशाहों का स्टिंग करें, भ्रष्टाचार के खिलाफ सबूत जुटाएं. इस पर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी. योगी ने गोरखनाथ मंदिर के तिलक सभागार में हिंदू युवा वाहिनी के संभाग और विभाग पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी और एक कार्ययोजना की जिम्मेदारी सौंपी थी. योगी ने हिंदू युवा वाहिनी को समाज से भावनात्मक तौर पर जुड़ने का आह्‌वान किया था. इसमें गरीबजन की बेटियों की शादी की व्यवस्था करने से लेकर दलितों के साथ समरसता बनाने का निर्देश भी शामिल है.

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वाहिनी के कार्यकर्ता मेवालाल मेरे  पास आए थे और उन्होंने गेस्ट हाउस में वाहिनी के अध्यक्ष सुनील सिंह के रुकने के लिए कमरा देने की सिफारिश करने का औपचारिक आग्रह किया था. मैंने उस पत्र को अग्रसारित कर दिया. हिंदू युवा वाहिनी या सुनील सिंह को लेकर कोई भारी विवाद भी है, यह मुझे नहीं पता था. मैंने गेस्ट हाउस के कमरे में सुनील सिंह के रुकने के लिए प्रेषित आग्रह पत्र को अग्रसारित किया था, वहां बैठक करने के लिए नहीं.

– कौशल किशोर, सांसद ,भाजपा

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