२०१३ में हुआ अधिनियम में संशोधन, अब नियमों को दुरुस्त करने की कवायद
भोपाल ब्यूरो
वर्ष १९५४ में वजूद में आए वक्फ अधिनियम में पहला संशोधन १९५५ में किया गया था। इसके बाद बरसों इसी के सहारे चलती रही व्यवस्था में सुधार के लिए २०१३_१४ में नया संशोधन पारित किया गया था। अधिनियम में संशोधन किए जाने के नियमों में बदलाव के लिए करीब सात साल बाद पहल शुरू की गई है। सोमवार को इसके लिए मप्र वक्फ बोर्ड में बैठक आयोजित कर संशोधित किए जाने वाले नियमों पर मंथन किया गया। इन नियमों को केंद्रीय वक्फ काउंसिल को भेजकर इसका गजट नोटिफिकेशन करवाया जाएगा।
सोमवार को आयोजित बैठक में कमेटी के सदस्यों ने बदले जाने वाले नियमों पर विचार किया। इस दौरान इस बात को रेखांकित किया गया कि करीब २१ साल पुराने नियमों से चल रही वक्फ बोर्ड की व्यवस्था के दौरान कई मुश्किलें आ रही हैं। केंद्रीय वक्फ काउंसिल ने देशभर के प्रदेश वक्फ बोर्ड से इसमें जरूरी बदलाव करने की सिफारिश करने के लिए कहा है। काउंसिल ने इसके लिए एक मॉडल नियम भी भेजा है। मप्र वक्फ बोर्ड ने जानकारों और अधिवक्ताओं के सुझाव और मार्गदर्शन के बाद अपना ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।
जो सेंट्रल वक्फ काउंसिल को भेजा जाएगा। इन संशोधन में किरायादारी नियम, किराए की दर, कृषि भूमि की नीलामी, वक्फ संपत्तियों के विकास और सुधार आदि के बिंदु शामिल बताए जाते हैं। बैठक में कमेटी सदस्य आईएएस मुजीब उर रहमान खान, बोर्ड प्रशासक दिलीप यादव, सीईओ जमील खान, हज कमेटी के प्रशासनिक अधिकारी यासिर अराफात आदि मौजूद थे। बैठक के दौरान हज एक्ट २००२ के नियमों में बदलाव पर भी चर्चा की गई।