नई दिल्ली, (राज लक्ष्मी मल्ल) : आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. ‘WOMEN’S DAY’ के पर संयुक्त राष्ट्र ने इस साल कुछ खास थीम दिया गया है- ‘वीमेन इन द चेंजिंग वर्ल्ड ऑफ वर्क-प्लानेट 50-50 बाय 2030’. यह थीम संयुक्त राष्ट्र ने एक खास मकसद से रखते हुए कहा है कि हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान निरंतर बढ़ा है. इसलिए अब जेंडर इक्वेलिटी पर ये थीम बेस्ड होगी. इसके तहत महिलाओं के सशक्तिकरण और सतत विकास का लक्ष्य रखा गया है.
बता दे यह Day अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आने पर सबसे पहले 28 फरवरी 1909 को सेलिब्रेट किया गया. लेकिन उस वक्त पूरी दुनिया में दो कैलेण्डर तारीख देखने के लिए प्रयोग में लाई जाती थी. जूलियन नाम का कैलेण्डर उस वक्त रूस में चलता था और बाकि सभी देशो में ग्रेगेरियन नामक कैलेंडर चलता था. इसलिए तारीख को लेकर काफी मतभेद होता था, क्योंकि दोनों ही कैलेंडरों के बीच तारीख में कुछ अंतर था. जूलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 फरवरी का आखिरी रविवार 23 फरवरी को था, जबकि ग्रेगेरियन कैलैंडर में उस दिन 8 मार्च था. तभी से विश्व में 8 मार्च को ही ‘महिला दिवस’ मनाया जाने लगा.
महिलाओं की कुछ इंट्रेस्टिंग और नॉटी आदतें-
खाने-पीने का स्टाइल- खाने पीने के मामले में लड़कियां काफी नखरैल स्वभाव की होती हैं अगर वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ खाने के लिए जाती हैं तो काफी नखरे करती हैं और जब खाना सर्व होता है तो उसे ऐसे खाती हैं जैसे कोई प्रिंसेस हो लेकिन जब यही खाना वो अपने घर में खाती हैं तो उनका अंदाज़ बिलकुल देसी होता है.
दूसरों के स्टाइल या कपड़ों पर नजर- अकसर महिलाएं मार्केट या किसी पब्लिक प्लेस पर जाती हैं तो दूसरी महिलाओं को बहुत ध्यान से देखती हैं, क्योंकि उस महिला का ड्रेस या उसका लुक उसे पसंद आ रहा होता हैं जिसे वह बाद में कॉपी करती है.
हाथों मे हमेशा हैंड बैग – अधिकांश लड़कियां हमेशा अपने हाथों में पर्स या कैरी बैग लेना पसंद करती हैं. उनको लगता हैं कि हैंड बैग कैरी करने से उनकी पर्सनालिटी काफी एट्रेक्टिव दिखेगी.
हमेशा कपड़ों की कमी- दुनिया में शायद ही ऐसी कोई महिला हो जो ये कह दे कि उसके पास काफी कपड़े है. यह माना गया है कि महिलाओं का वॉर्डरोब भले ही कपड़ों से खचाखच भरा हो, लेकिन उन्हें हमेशा यह शिकायत रहेगी कि उनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है.
टाइम में लोचा- महिलाओं में हमेशा से ही समय का पंगा पड़ता हैं, खासकर उसे किसी शादी- पार्टी में जाना हो, उनका बस 5 मिनट काफी ख़त्म होने का नाम ही नही होता. दरअसल तैयार होते वक्त वह खुद ही संतुष्ट नहीं हो पाती कि वह सुंदर लग रही है और वक्त जाया करती हैं.