-अभिनेता अन्नू कपूर का मानना है कि शोषण का सिर्फ रूप बदलता है, दौर जारी रहता है

भोपाल। स्त्री हो या किसान, हर युग, हर दौर, हर सदी में उसका शोषण होता रहा है। हालात अब नए जमाने में भी बरकरार हैं, बस उसके तरीके बदल जाते हैं। स्त्री को उसके दुनिया में आने से लेकर अब तक हर युग में प्रताड़ित और शोषित किया गया है, जबकि किसानों का आलम भी यही है कि सरकारें बदलती हैं, लोग बदलते हैं, लेकिन उनके हालात कभी नहीं बदल पाते। वह कल भी पीड़ित और शोषित थे और आज भी उनके साथ यही हालात बने हुए हैं। उनका कल बेहतर होगा, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

फिल्म अभिनेता अन्नू कपूर ने यह बात मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहीं। वे अपनी नई वेबसीरिज पौरषपुर के प्रमोशन के लिए भोपाल आए थे। 17 वीं शताब्दी की कहानी के तानेबाने से बुनी इस वेबसीरिज में स्त्री पर होने वाले अत्याचार, जुल्म और उसके शोषण को दर्शाया गया है। अन्नू कपूर इस वेबसीरिज में राजा भद्रप्रताप सिंह की भूमिका में नजर आने वाले हैं। कहानी को लेकर अन्नू ने बताया कि एक स्त्री पर होने वाले अत्याचार और शोषण पर आधारित इस कहानी और आज के दौर में कुछ ज्यादा अंतर नहीं है। उनका मानना है कि सदियां बदल गई, लेकिन स्त्री के हालात अब भी वही हैं, जो सदियों पहले हुआ करते थे। वह कल भी शोषित थी, आज भी उसी स्थिति में है। उनका मानना है कि यह स्थितियां हर दौर, हर युग और हर सदी में बने रहे हैं, बस शोषण करने के तरीके और हालात बदलते रहे हैं। अन्नू कपूर ने एक छोटा सा उदाहरण देते हुए कहा कि हमारा पुरुष प्रधान समाज महिलाओं को अपमानित और पीड़ित करने का कोई मौका नहीं छोड़ता, किसी छोटे-मोटे विवाद के बीच भी वह सबसे पहले अपने प्रतिद्वंदी को अपमानित करने के लिए उसकी मां-बहनों के लिए बुरे शब्दों का इस्तेमाल करके ही अपना पौरुष दर्शाता है।
पर्दे के भविष्य को कोई खता नहीं

तेजी से बदल रहे हालात और वेब की भरमार के बीच पर्दे का भविष्य खत्म होने वाला है, के सवाल को उन्होंने सिरे से नकार दिया। अन्नू का कहना है कि पर्दे के भविष्य को किसी तरह का खतरा नहीं है। वह आगे भी इसी तरह चमकता रहेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह टेलीविजन आने के बाद अखबारों के महत्व पर चर्चाएं होने लगी थीं, लेकिन बरसों बाद इस बात को नकार दिया गया है कि अखबार अपनी जगह पर बरकरार हैं, बस उनके बीच टीवी ने थोड़ी जगह जरूर बना ली है। उन्होंने कहा कि इसी तरह वेब की दुनिया में पर्दों पर आने वाली फिल्मों का दौर भी कभी खत्म नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि अब तरीका थोड़ा बदल गया है, स्वतंत्र थियेटर की बजाए छोटे मल्टीप्लेक्स ने ले ली है। कारोबारी अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए शॉपिंग मॉल और छोटे स्थानों पर एक की बजाए कई स्क्रीन के इस्तेमाल से फिल्मों का प्रदर्शन कर रहे हैं और इसके बंधे हुए दर्शक अब भी सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स तक पहुंच भी रहे हैं। कपूर ने ओटीटी के सेंसरशिप पर भी बात की। कहा कि जिस बात की पाबंदी है, उसे लागू ही रहना चाहिए। कोरोना काल से फिल्मों के निर्माण और फिल्मी दर्शकों की कमी पर कहा कि कोई भी बुरा वक्त आता है, वह बहुत कुछ सिखाकर जाता है। कोरोना ने भी लोगों को बहुत कुछ सिखा दिया है, लोग अब उस तरह से जीना सीख चुके हैं और इसके साथ अपनी दिनचर्या को निभाने लगे हैं।

कमी मेहनत में हो रही
भारतीय फिल्मों का आस्कर जैसे अवार्ड में शामिल न हो पाने को अन्नू कपूर काम करने की शिद्दत और की जाने वाली मेहनत से जोड़ते हैं। साथ ही इसका दोष वे भारतीय फिल्मों के चले आ रहे पैटर्न को भी मानते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी फिल्मों में कहानी के अलावा गीतों, मुहब्बत, रटी-रटाई सिक्वेंस के लिए जगह बनाए बिना फिल्म के कम्पलिट होने की धारणा को पूरा नहीं किया जा सकता। जबकि हॉलीवुड में ऐसे दृश्यों और अनावश्यक घुसपैंठ से बचा जाता है। बेहतर कहानियों पर काम करने वालों की कमी बालीवुड में नहीं है, लेकिन इंडियन फिल्मों के तड़के में उसे समाते हुए यह कहानी किसी दूसरे रुख की तरफ मुड़ जाती है और हम काम्पीटिशन से पिछड़ जाते हैं।
किसानों के हालात पर जताया अफसोस

अन्नू कपूर ने उनके पास एक व्हाटसएप मैसेज का जिक्र करते हुए रेखांकित किया कि नए कानून को लेकर जो बवाल मचा हुआ है, वह स्थितियां ऐसा नहीं है कि पहले नहीं थीं। पिछले दौर और पिछली सरकारों ने भी कानून बनाए और किसानों पर आयद किए। विरोध तब भी हुए थे। उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि किसान हमेशा से शोषित होता आया है और यह स्थिति कभी खत्म हो जाएगी, इसको लेकर कोई दावा भी नहीं किया जा सकता।

बॉक्स
मैं न स्टार, न सेलिब्रिटी…
राजधानी भोपाल के इतवारा इलाके में जन्म लेने वाले अनिल कपूर ने मुंबई तक का सफर तय करते हुए खुद को अन्नू कपूर के रूप में स्थापित किया। इस राह मुश्किलें भी बहुत आई, परीक्षाएं भी खूब ली गई और कामयाबी के करीब पहुंचने में बाधाओं ने रास्ता भी बहुत रोका। अन्नू कपूर कहते हैं कि लेकिन मैंने उसूलों से सौदा नहीं किया और खुद को साबित करने में लगन और मेहनत से लगा रहा। वे कहते हैं कि न मैं कोई स्टार हूं और न ही सेलिब्रिटी, जो हूं, जैसा हूं, इसी रूप में दर्शकों ने स्वीकार कर लिया है, मेरे लिए यही सबसे बड़ा अवार्ड है।

खान अशु

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