भोपाल। छोटी बच्चियों के साथ दानव जैसा व्यवहार करने वाले नर पिशाचों को फांसी के फंदे से कोई नहीं बचा सकता। पूरे देश में मप्र पहला और इकलौता प्रदेश है, जहां बाल शोषण के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। छोटी-छोटी बच्चियों के साथ घिनौना कृत्य अक्षम्य अपराध है, जिसे किसी भी हाल में माफ नहीं किया जा सकता।
गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि बच्चियों के शोषण के मामले में ज्यादातर अपराधी उनके अपने परिचित, रिश्तेदार या सगे संबंधी ही सामने आ रहे हैं। ऐसे हालात में जरूरत इस बात की है कि समाज जागरुक भी हो और सतर्क भी रहे। ताकि इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति न हो सके। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन समाज के लोगों और खासकर मीडिया को इस मामले में जागरुकता फैलाने में अपनी भूमिका निभाना चाहिए। प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए किए जा रहे उपायों पर डॉ. मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाएगी। वर्तमान में प्रतिदिन 70 हजार से अधिक टेस्टिंग और सैंपलिंग की जा रही है। साथ ही 25 से 35 तक व्यक्तियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग भी की जा रही है। सरकार ने तीसरी लहर की संभावनाओं के मद्देनजर शैक्षणिक संस्थानों को प्रारंभ नहीं करने का निर्णय लिया है।

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