1916 में इरान के आबादान नामकी जगह पहला तेल का कुआँ मिलता है ! और उसके बाद समस्त खाडी के देशों की राजनीति, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और सबसे महत्वपूर्ण बात इस्लाम धर्म को राजनीतिक रूप से एक षडयंत्र के तहत इस्तेमाल करने की शुरुआत हुई है ! और इस्लाम को लेकर विभिन्न भ्रांतियां फैलाने की शुरुआत की गई है ! 1990 में बर्नाड लुइस जो प्रिंस्टन के एक नितिनिर्धारण संस्थान के निदेशक और ओरिएंटलिस्ट के रूप में मशहूर है ! सब से पहले संस्कृतियों का संघर्ष थेयरी को कॉइन किया ! जिसेके उपर डॉ. सैम्युअल हंटिग्टन के द्वारा ‘The Clash of Civilization ‘ जैसे कितबका लेखन करवा लिया जाता है !
साथियों इस विषय पर पोस्ट लिखने की एकमात्र वजह हमारे मित्र, पूर्व व्हाईस चांसलर, महात्मा गाँधी आंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, तथा वर्तमान में प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष पद पर विराजमान हैं ! श्री. विभूति नारायण राय,
जनवरी महीनें के अंतिम सप्ताह में मेरठ से दिल्ली के लिए लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के तरफसे ‘नफरत छोडो भारत जोडो’ यात्रा का आयोजन किया गया था ! जिसमें मेरठ के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए विशेष रूप से उन्हें बुलाया गया था ! कभी अपनी पुलिस की नोकरी के समय वह वहां के एस. पी. पद पर कार्यरत रहे हैं ! और मेरठ और मलियाना के दंगों में पी ए सी के रोल को लेकर उन्होंने और वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अलि की मिलकर एक पी आई एल कोर्ट में दायर की गई थी !
शाम के समय किसी एक मदरसे मे छोटे- छोटे बच्चों के सामने हम लोगों को ले जाया गया ! तो वहां पर प्रोफेसर डॉ. आनंद कुमार के सुचना के कारण हमारे पूरे समुह के तरफसे विभूति नारायण राय जी को बोलने के लिए कहा गया था ! और उन्होंने शुरुआत में ही कहा “कि मै भले ही यहां पर कभी एस पी पदपर रहा हूँ ! लेकिन किसी मदरसे के भीतर आकर बोलने का मेरे जीवन का पहला अवसर है !” और अगला वाक्य था ! “कि पंधरा सौ साल के इस्लाम के इतिहास में लगभग डार्क पिरियड रहा है ! कोई भी वैज्ञानिक सोच का विकास नहीं हुआ है !
तो मेरा बच्चों से कहना है, कि कुरान और हदीस के अलावा अन्य विषयों की शिक्षा दी जानी चाहिए !” वगैरह दस पंद्रह मिनट का उनका भाषण हुआ ! और मै वह सुनते हुए आचंभित हो रहा था ! ” कि वह सर्वस्वी गलत बोल रहे है ! लेकिन हमारे मेहमान थे ! और हमारे टीम के कप्तान प्रोफेसर डॉ. आनंद कुमार के हाथ में कौन बोलेगा या नहीं बोलेगा यह निर्णय उनका ही होता था ! उसी समय मुझे विभूति नारायण राय जी को तुरंत यह सब गलत है ! और आंतराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे इस्लामो फोबिया के प्रचार-प्रसार के कारण यह भी गलत बोल रहे है ! और मुझे तो तुरंत ही उन्हें जवाब देने का मन कर रहा था ! लेकिन समय की नजाकत को देखते हुए अपने आपको जप्त किया !
हालांकि विभूती नारायण राय ने पुलिस की नौकरी में रहने के समय दंगों में पुलिस बल की भूमिका को लेकर एक संशोधन पेपर हैदराबाद की सरदार पटेल पुलिस प्रशासन अकादमी की शिष्यवृत्ती लेकर एक किताब भी लिखी है ! और कर्फ्यू नाम का छोटा सा उपन्यास भी लिखा है ! लेकिन उसके बावजूद वह मुस्लिम समुदाय को लेकर पॉप्युलर नोशन के शिकार हैं ! क्योंकि एक बार दिल्ली एअरपोर्ट पर मुझे मिलतेही बोलें की आप तिस्ता सेटलवाड इशरत जहाँ को कॅरेक्टर सर्टिफिकेट देना बंद करो ! वह अहमदाबाद में सिर्फ तफरिह करने के लिए नही गई थी ! तो मैंने कहा कि आप इशरत जहाँ एनकाउंटर के बाद कभी अहमदाबाद गए ? या मुंबई के उपनगर मुंब्रा जहाँ पर उसकी विधवा मां और छोटे – छोटे भाई बहन रहते हैं ? तो उन्होंने कहा कि नहीं ! तो मैंने कहा कि मैं दोनों जगह गया हूँ ! और मेरे अहमदाबाद के वकील दोस्त मुकुल सिन्हा के साथ एनकाउंटर के स्थान पर भी ! और सीपीडीआर के तरफसे जांच की रिपोर्ट भी मेरे पास है ! और सत्यपाल सिंह उस समय ठाणे के पुलिस कमिश्नर थे ! और उन्होंने गुजरात पुलिस को बताया था “कि ऐसी कोई टाटा इंडिका कार ठाणे से गुजरात के तरफ नही गई है ! और अन्य जांच एजेंसियों के जांच में वह एन्काऊंटर फर्जी है ! यह तथ्य सामने आए हैं !
हमारे देश में गत तिस वर्ष से अधिक समय से संपूर्ण राजनीति सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर के समस्त भारतीय संसदीय राजनीति जारी है ! और उस कारण मुस्लिम समुदाय के बारे में तथाकथित मिडिया और आंतराष्ट्रीय स्तर पर भी इस्लामोफोबीया मुख्य रूप से अमेरिका और यूरोप के देशों से खाडी क्षेत्र के तेल की खोज होने के बाद से समस्त कौम को लेकर तथाकथित संस्कृति के टकराव की बात को लेकर अमेरिकी बुध्दिजीवियों को एक प्रोजेक्ट तहत इस विषय को लेकर सबसे पहले बर्नाड लुइस जो प्रिंस्टन के सुप्रसिद्ध ओरिएंटलीस्ट तथा अमेरिकी निति निर्धारक संस्था के सलाहकार है ! संस्कृति संबंधित बातचीत प्रचलित मुहावरा ” संस्कृतियों के बीच टकराव” भी लुइस के 1990 में लिखें एक लेख से लिया गया है ! “मुसलमानों की रोष की जड़ें” लुइस के इस लेख ने एक दुसरा और असभ्य बयान देने के लिए प्रेरित किया ! यह बयान डॉ. सॅम्युअल हंटिग्टन का है जो हार्वर्ड में राजनीति वैज्ञानिक है, साथ ही अमेरिकी निति निर्धारक संस्था से विएतनाम युद्ध के समय से जुड़े हुए हैं ! जहां लुइस ने अपने शोध को दो सभ्यताओं के बीच ऐतिहासिक संबंध तक रखा है ! और उसे “इस्लामी” तथा यहुदी – ईसाई के रूप में संबोधित किया है ! वहीं हंटिग्टन की सोच ज्यादा महत्वाकांक्षी थी और उसने लुइस की थिसिस को सारी दुनिया में फैला दिया ! “यह मेरी कल्पना है” हंटिग्टन ने सभ्यताओं के बीच टकराव ( 1993)शिर्षक वाले अपने लेख में यह दावा किया, जो ” फॉरेन अफेयर्स ” पत्रिका में प्रकाशित हुआ था !
कि इस दुनिया में टकराव का बुनियादी आधार विचारधारात्मक या आर्थिक नही होगा ! मानव समुदाय में बडे विभाजन और टकराव का मुख्य कारण सांस्कृतिक होगा ! नेशन-स्टेटस विश्व मामलों में सबसे शक्तिशाली अभिनेता की भूमिका में होंगे, लेकिन वैश्विक राजनीति का मुख्य टकराव विभिन्न देशों तथा विभिन्न सभ्यताओं के समुहो के बीच होगा ! सभ्यताओं के बीच की फॉल्ट-लाइन भविष्य में युद्ध की रेखा होंगी !
कुछ दिनों पहले मेरे आंखों के कॅटरॅक का ऑपरेशन हुआ था ! और उसके बाद मुझे मिलने वाले लोगों में नागपुर के मौलाना अब्दुल करीम पारिख साहब के सब से बडे साहबजादे गफूर पारीख साहब मिलने आए थे ! और जाते-जाते एक किताब देते हुए, “बोले कि जब आप आंख खोलेंगे और कुछ पढने की शुरुआत करेंगे तो इस किताब से शुरू किजीये !”
मेरी लायब्ररी को मेरी बिमारी में मेरे बेटे ने पुरानी रॅक्स निकाल कर स्टील की आलमारीयोमे मेरी किताबों को अपने ढंग से और जगह की कमी के कारण दो – दो लाईनें एक के पिछे एक रखने की वजह से यह किताब दिखाई नहीं दे रही थी ! तो कल शाम कोई और किताब ढूंढने की कोशिश में वह तो नही मिली ! लेकिन यह मील गई और रात में सोने के पहले ही इसका ब्लर्ब मैंने पोस्ट कर दिया था ! और बचा खुचा आज जोडकर पोस्ट कर रहा हूँ !
1001 INVENTIONS
The 1, 000 – year period beginning in the fifth century is commonly referred to as the Dark Ages in the Western world. In Islamic Societies, however, the era was anything but dark, in fact, from the seventh century on, while the rest of the world languished, the international language of science was Arabic. Thousands of social, scientific and technological achievements were spawned by men and women of different faiths and cultures who live in Muslim civilization.
Companion to the hugely popular traveling exhibit that opened at science Museum, London, 10001 Inventions:The Enduring Legacy of Muslim Civilization sheds new light on the forgotten history and the innovations – these men and women who helped pave the way for the European Renaissance and the modern world as we know it.
Take an enlightening journey through time to discover how advances in the fields of medicine, optics, mathematics, astronomy, engineering, cartography, and even the rudiments of aviation can trace their roots back to great thinkers from a bygone era. Learn the secret behind the way we write our numbers today – – – when scientist first discovered how we can see – – – – who drew the oldest surviving map of what would become America – – – – and the hidden meaning behind the 13th century Elephant clock. In addition to learning about many inventions, you will gain new insights into everyday life in Muslim civilization and related western growth.
Complete with a time line and map illustrations these invitations and discoveries worldwide – and featuring remarkable photographs and rich illustrations of historic documents, drawings, and artifacts, 1001 Inventions deftly illustrates not only the scientific legacy of Muslim civilization, but also the heritage we all share.
Within these pages is a lost story of scholarship, imagination, and discovery in a time and place where faith, gender, and race were secondary to progress. Man worked beside women, Muslim beside non-Muslim, all in the name of advancing the world for humankind. It is a story of common goals, common dreams, and a common desire to achieve what seemed impossible. Perhaps this eye-opening view of the past can serve as a blueprint for designing a brighter future.
“In a ( Muslim) civilization that stretched from Spain to China the Golden rays of discovery and invention shone over everything. Through scholars and scientists of various faiths some of the most important discoveries known to man were made at this time “-Academy award winner Ben Kingsley, in 1001 INVENTIONS and the library of secrets, film for the 1001 INVENTIONS EXHIBITION
1001 INVENTIONS
IMAGINE IT IS THE SEVENTH CENTURY. As most of Europe continues its descent into a long period of intellectual dormancy, a quiet yet powerful academic Revolution is erupting in another corner of the world. Over the next centuries, the geniuses of Muslim Society will thrust the boundaries of knowledge forward to such a degree that their innovations still shape civilizations to this day. The staggering achievements of these men and women influenced the development of modern mathematics, science, engineering and medicine 1001 INVENTIONS : The Enduring legacy of Muslim Civilization sheds new light on this golden era that was once lost to so many, and celebrates the heritage we all share.
डॉ. सुरेश खैरनार 16 मई 2023, नागपुर