मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव कई मामले में रोचक होने जा रहे हैं. ये न केवल इन दोनों राज्यों का अगले पांच सालों का भविष्य तय करेंगे, बल्कि इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों का भी राजनैतिक भविष्य गढेंगे, जो कि उनकी ही पार्टी के नेताओं को खटक रहे हैं. लिहाजा सवाल ये है कि यदि भाजपा इन दोनों राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब हो भी जाए तो क्या ये दोनों मुख्यमंत्री लगातार चौथी बार राजयोग का आनंद लेंगे?
भाजपा के कई नेता तो खुद अपनी ही पार्टी को हराने में लगे हैं. अब वे खुलकर नाराजगी जताएं या न जताएं लेकिन यह बात सही भी है कि आखिर पार्टी के दूसरे नेता कब तक मुख्यमंत्री बनने के लिए इंतजार करेंगे? क्या पार्टी के लिए इनका योगदान कम है? दूसरी बात यह है कि लगातार इतने साल तक कुर्सी पर काबिज रहने के कारण इन नेताओं ने किसी अन्य नेता को उभरने ही नहीं दिया, क्या इनकी ये नीति पार्टी हित में सही है?
इस बारे में संघ से भाजपा में आए दो वरिष्ठ नेता कहते हैं, ‘यह बात भाजपा को बहुत अखर रही है कि नेताओं का कद पार्टी से भी आगे बढ़ना सही नहीं है. लिहाजा, अब संघ और भाजपा के अंदर हाईलेवल पर यह बात चल रही है कि अब किसी भी नेता को दो बार से ज्यादा मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाए. इसका अमल इन्हीं विधानसभा चुनावों के बाद होगा.
’ यानि, यदि डॉ. रमन सिंह और शिवराज सिंह चौहान अपने-अपने राज्य में जीत भी जाएं, तो ज्यादा से ज्यादा छह महीने तक ही सत्ता की मलाई खा पाएंगे. इसके बाद इन्हें निश्चित रूप से केंद्र का रास्ता दिखा दिया जाएगा. अब सवाल यह है कि इनके जाने के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा? अगर ऐसी स्थिति बनती है, तो चर्चा है कि मध्य प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष रह चुके नरेंद्र सिंह तोमर और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर के प्रतिभाशाली नेता ब्रिजमोहन अग्रवाल दोनों राज्यों में नया चेहरा हो सकते हैं.