भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के बाबू नए नवेले वस्तु एवं सेवा कर परिषद सचिवालय में महत्वपूर्ण पदों पर जाने वाले हैं. ये बाबू और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड के अधिकारी आईएएस अधिकारियों की तुलना में जीएसटी लागू करने में एक बड़ी भूमिका निभाएंगे. ये आश्वासन आईआरएस अधिकारी संघ के एक प्रतिनिधिमंडल को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा दिया गया है. जीएसटी के लिए सामान्य उत्साह दिखाई देने के बावजूद, आईआरएस एसोसिएशन ने पहले जीएसटी परिषद सचिवालय के गठन का विरोध किया था, क्योंकि इसमें रिक्तियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों द्वारा भरा जाना था. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 सितंबर को जीएसटी परिषद के पदेन सचिव के तौर पर सचिव (राजस्व) को नामित किया था और सीबीईसी के चेयरमैन को स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में नामित किया था. राजस्व सचिव आमतौर पर एक आईएएस अधिकारी होता है. मंत्रिमंडल ने सचिवालय के लिए एक अतिरिक्त सचिव और चार आयुक्त के पद सृजन को मंजूरी दी थी. काउंसिल टैक्स की दर, जीएसटी में छूट दी गई वस्तुओं पर फैसला करेगा. एसोसिएशन ने मांग की थी कि परिषद सचिव सीबीईसी में सदस्य (जीएसटी) हो. हालांकि मंत्री ने यह नहीं कहा है कि कैसे सरकार ने इस मांग को समायोजित करेगी, फिर भी प्रतिनिधिमंडल उनके जवाब से संतुष्ट नजर आया. लेकिन नियुक्ति, प्रोन्नति और कुछ नई घोषणाओं के नए दौर का इंतजार अभी भी है.
सबसे बड़ा फेरबदल
हरियाणा में भाजपा सरकार ने इस साल राज्य में जातिगत दंगों के बाद प्रकाश सिंह समिति की कई सिफारिशों को शायद नजर अंदाज कर दिया है. इसकी जगह सरकार ने अपनी ही पार्टी के लोगों, मंत्रियों, विधायकों और सलाहकारों की राय को गंभीरता से लिया है. शायद अपने कार्यकाल के सबसे बड़े फेबदल के तहत मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 26 अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया है. इस फेरबदल में मुख्य विभागों के बॉस जैसे बिजली, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, स्वास्थ्य, वित्त, आबकारी एवं कराधान, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और श्रम सहित कई विभाग शामिल है. सूत्रों का कहना है कि फेरबदल की अफवाहें तब उड़ी, जब सरकार ने विधायकों और सलाहकारों के साथ बातचीत कर के फीडबैक लेना शुरू किया. प्रभावित बाबुओं में अतिरिक्त सचिव, पावर, आर के गुप्ता, प्रिंसिपल सेक्रेटरी एक्साइज, अनुराग रस्तोगी, खाद्य एवं आपूर्ति के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्याम सुंदर प्रसाद और वित्त के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल शामिल है. दिलचस्प बात यह है कि राज्य सरकार ने कम से कम दो साल के कार्यकाल पूरा होने से पहले कई अधिकारियों को स्थानांतरित कर न्यूनतम कार्यकाल नीति की अनदेखी की है. उदाहरण के लिए स्वास्थ्य में पिछले दो साल में चार अतिरिक्त मुख्य सचिव थे. इस बीच यह पता नहीं चला है कि क्या सरकार जातिगत दंगों के दौरान कर्तव्य की उपेक्षा के लिए प्रकाश सिंह पैनल द्वारा दोषी पाए गए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी या नहीं.
नया सेबी चेयरमैन कौन
सरकार ने सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा के उत्तराधिकारी की खोज शुरू कर दी है, जिनका कार्यकाल अगले साल फरवरी में खत्म हो जाएगा. सिन्हा सेबी प्रमुख के रूप में सबसे लंबे समय तक काम करने वाले चेयरमैन रहे. 2011 में उन्हें तीन साल के लिए नियुक्त किया गया था. बाद में उन्हें दो साल का विस्तार और फिर एक साल का विस्तार पिछली फरवरी में दी गई थी, क्योंकि सरकार किसी नाम को अंतिम रूप नहीं दे सकी थी. सूत्रों का कहना है कि 1976 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी के उत्तराधिकारी का चयन फिनांसियल सेक्टर रेगुलेटरी अप्वायंटमेंट सर्च कमेटी के मुखिया कबिनेट सचिव पीके सिन्हा की सिफारिश पर की जाएगी. हालांकि सरकार ने इस पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं, फिर भी सर्च पैनल किसी अन्य व्यक्ति का नाम भी आगे कर सकती है, यदि वो मानती है कि उक्त व्यक्ति इस पद के लिए योग्य है. पिछले बार, वायदा बाजार आयोग के चेयरमैन रमेश अभिषेक, भारतीय स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य और राष्ट्रपति भवन में अतिरिक्त सचिव थॉमस मैथ्यू सेबी चेयरमैन के पद की रेस में सबसे आगे थे.