विश्व शांति के लिए काम करने वाली जेनेवा स्थित संस्था, इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन (आईपीयू) के ताज़ा आंकड़ों और रैंकिंग के लिहाज़ से महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में रवांडा पहले स्थान पर है. इन आंकड़ों के मुताबिक संसद में दुनिया भर के निचले सदनों में 40 फीसद से अधिक भागीदारी वाले देशों में केवल 11 देश शामिल हैं. इन देशों में केवल तीन यूरोपीय देश हैं और इन तीनों देशों ने दलीय स्तर पर महिलाओं की उम्मीदवारी सुनिश्चित कर रखी है. ज़ाहिर है इसका परिणाम दिख भी रहा है, लेकिन यह फॉर्मूला दूसरे विकसित देशों के लिए उतना कारगर साबित नहीं हुआ है. महिला प्रतिनिधित्व के मामले में रवांडा के बाद दूसरे स्थान पर दक्षिण अमेरिकी देश बोलीविया खड़ा है. बोलीविया अपने मूल निवासी आंदोलनों की वजह से चर्चा में रहा. राष्ट्रपति इवो मोरैलस के सत्ता में आने के बाद यहां के मूल निवासियों में यह उम्मीद बंधी थी कि मोरैलस, सदियों तक सत्ता से दूर रहे देश के वंचितों को सत्ता में भागीदारी दिलवाने के लिए कोई प्रावधान करेंगे, लेकिन उन्होंने संसद में महिला आरक्षण को तरजीह दी. इस प्रावधान का सकारात्मक नतीजा भी निकला और 53 फीसद महिलाएं संसद में चुन कर आ गईं. लेकिन जो पुराना सवाल था, वो ज्यों का त्यों बना रहा. यहां मूल निवासी महिलाओं को सत्ता में भागीदारी नहीं मिली.
बोलीविया के बाद क्यूबा का नंबर आता है. यहां संसद में महिलाओं की भागीदारी 48 फीसद है. हालांकि इस देश में एक देश, एक पार्टी का तंत्र है और इसे आसानी से तानाशाही देशों की श्रेणी में रखा जा सकता है, लेकिन फिर भी यहां सत्ता में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के समरूप है. वैसे भी महिलाओं की सामाजिक हैसियत के मामले में क्यूबा हमेशा अग्रणी देशों में रहा है. सामाजिक हैसियत की रैंकिंग की सूची में क्यूबा 142 देशों में 18वें स्थान पर है. यूरोपीय देशों में आइसलैंड एक ऐसा देश है, जहां महिलाओं की सबसे अधिक भागीदारी है. आइसलैंड की संसद में 47 फीसद महिलाएं हैं. ज़ाहिर तौर पर यह एक बड़ी उपलब्धि है. खास तौर पर, जब इस देश में महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. इस सूची में निकारागुआ, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया जैसे विकासशील देश हैं, जहां महिलाओं की भागीदारी 40 फीसद से अधिक है. संसद में 40 फीसद या उससे अधिक महिला भागीदारी वाले यूरोपीय देशों में केवल तीन देश आइसलैंड, स्वीडन और ़िफनलैंड शामिल हैं. इन 11 देशों में किसी न किसी रूप में आरक्षण ज़रूर लागू है, जैसे मैक्सिको, ़िफनलैंड, आइसलैंड और स्वीडन में राजनैतिक दल अपने तौर पर महिलाओं को प्रतिनिधित्व देते हैं, जबकि बाकी के सभी सात देशों की संसद में प्रत्यक्ष रूप से आरक्षण लागू है.