मध्यप्रदेश में सत्ता विरोधी लहर अच्छी-खासी है. लोग भाजपा से गुस्साए हैं और कांग्र्रेस को वोट देना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार ही नहीं है. आलम ये है कि यहां नेता ही आपस में भिड़े हुए हैं. इससे जुड़े कुछ मजेदार किस्से प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में और इसके बाहर सुनने को मिलते हैं.
ऐसा ही किस्सा है वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ और कांग्रेस के युवा लोकप्रिय चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया का. प्रदेश कांग्रेसके संगठन की बागडोर संभालने के बाद कमलनाथ ने एक प्रेस कांफ्रेंस की, जिसका बिल साढ़े छह लाख रुपए आया और इसका भुगतान पार्टी फंड से किया गया. लेकिन जब सिंधिया ने प्रेस कांफ्रेंस की, तो उसका साढ़े चार लाख रुपए का बिल यह कह कर वापस करा दिया गया कि वे खुद पेमेंट करें. कहना जरूरी न होगा कि इस वाकये के बाद दोनों नेताओं के बीच अघोषित रूप से नाराजगी पैदा हो गई है.
ऐसा ही दूसरा मामला हुआ देपालपुर में कार्यकर्ताओं की सभा को लेकर. 12 सितंबर को देपालपुर में सिंधिया ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया, जिसमें करीब 5000 लोग पहुंचे. इस कार्यक्रम को हफ्ता भर भी नहीं बीता और देपालपुर में ही कमलनाथ ने किसी अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए सभा कर दी, जिसमें सिंधिया की सभा से ज्यादा लोग पहुंच गए. इस वाकये के बाद तो दोनों नेताओं के बीच खींचतान और बढ़ गई.
दोनों नेताओं के बीच विवाद गहराने में एक घटना और योगदान रहा. पन्ना के पास पवई में एक सभा में सिंधिया ने मुकेश नायक को कैंडिडेट घोषित कर दिया, जिसे लेकर कमलनाथ ने तुरंत कहा कि कोई भी नेता ऐसा नहीं कर सकता है. कैंडिडेट का सेलेक्शन केवल हाईकमान ही करेगा. यानि कि कांग्रेस में अंर्तकलह की जो परंपरा रही है, उससे ये दोनों नेता भी अछूते नहीं रहे, बल्कि उस पंरपरा को आगे बढाते ही नजर आ रहे हैं.
खैर, इस सबसे फायदा हुआ है अजय सिंह राहुल भैया को. कहा जाता है कि कमलनाथ की सिंधिया के साथ तनातनी बढ़ने के बाद अब अजय सिंह को पीसीसी में काफी बुलाया जाने लगा है. वरना इससे पहले तक पीसीसी से बमुश्किल एक फर्लांग की दूरी पर रहने वाले अजय सिंह कभी-कभार ही पीसीसी में दिखते थे.