रो तो हम पहले भी रहे थे,
बस आज चीखना बंद किया है
लाशें तो हम पहले ही बन गए थे,
बस आज साँस लेना बंद किया है
कुछ लाशें घरों में बंद, अपनी साँसें ले रहीं हैं
कुछ लाशें अस्पतालों में शेष साँसें गिन रहीं हैं
कुछ लाशें समाज को असमाजिक बना रहीं हैं
कुछ साँस लेने वाली लाशें, अंधी-बहरी भी हैं
अंधी तो हैं लेकिन उनको भेदभाव दिखता है
बहरी हैं लेकिन हुक्मरान का आदेश सुनता हैं
कुछ लाशें तो बोलती है और बहुत बोल रहीं हैं
उनकी बातें सुनकर, लाशें कान बंद कर लेती हैं
कुछ बोलने वाली, यह लाशें भी साँसें गिन रहीं हैं
साँस लेते लाशों की हालत का क्या कहना है
केवल मुँह खुला है, और हाथ पैर सब बंधे हैं
जब तक साँस है -हैं, फिर इनको भी बहना है
जब साँसें चल रहीं थीं तब भी कतार में थे
जब सांसे गिन रहे थे, तब भी कतार में थे
अब सांसे रुक गयी है, अब भी कतार में हैं
बस इन कतारों में एक साँसों का ही फर्क़ हैं
लाशें वो तब भी थीं और लाशें वे अब भी हैं
रो तो हम पहले भी रहे थे,
बस आज चीखना बंद किया है
लाशें तो हम पहले ही बन गए थे,
बस आज साँस लेना बंद किया है
इस बीच कुछ लाशें मौज में है और निश्चिंत हैं
सही मायने में, ये ही लाश हैं, इसलिए खुश हैं
इनके कानो को रूदाली का रोना संगीत लगता है
इनकी आंखों को, लाशों का हुजूम जश्न दिखता है
इनके दोनों हाथ मदद के लिए उठ नहीं सकता है
इनके कदम परेशां लोगों तक चल नहीं सकता है
क्यूंकि ये ही सही मायनों में लाश हैं
और इस किरदार में बहुत आनंद है
करना कुछ कहीं नहीं है, लोग कन्धे पर उठाए चलते हैं
फूल माला पहनाते हैं, और राम नाम भी करते चलते हैं
घर से श्मशान तक कि यात्रा, जब असली लाशों का होगा
जब इनकी चिता जलेगी, चारो और लाशों का हुजूम होगा
इनकी चिता में एक ऐसी अलौकिक शक्ति होगी
केवल सांसे लेने वालीं वो लाशें फिर से जी उठेंगी
तांडव से निकलकर लाशें, सुन्दर नृत्य करने लगेगी
चारों ओर लाशें नहीं, खिलखिलाती जिंदगियां होगीं
जिंदादिल जिंदगियां ही यहां साँस लेगी
अब लाशें इस दुनियां में साँस नहीं लेगी
बच्चों की खिलखिलाती हंसी साँस लेंगीं
अब लाशें इस दुनियां में साँस नहीं लेगी
शांति सम्वेदना और साहस ही यहां साँस लेंगीं
अब लाशें इस दुनियां में कभी साँस नहीं लेगी
लेख: जी वेंकटेश, भोपाल