भारत में नई आर्थिक निति का स्विकार करने के बाद अस्सी के दशक से जल जंगल, जमीन और जमीन के नीचे छुपे हुए अकूत खनिज संसाधनों का दोहन करने के लिए पहले कांग्रेस की सरकारों ने और पिछले दस सालों से अधिक समय से भाजपा के सरकारों ने जल जंगल और जमीन पर निर्भर लोगों ने अपने संसाधनों के दोहन के खिलाफ विरोध शुरू किया तो यह अर्बन नक्सल वाला जुमला शुरू किया गया है ! जैसे स्वतंत्रता के पहले आजादी के आंदोलन वालों को अंग्रेज देशद्रोही या आतंकवादी बोलते थे!
वैसे ही देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री बनने के बादके प्रथम नागपुर विधानसभा सत्र में अर्बन नक्सल के बारे में एक विधेयक रखा है ! जो अगले विधानसभा सत्र में पास होने की संभावना है ! अंग्रेज हो या आजादी के बाद सत्ताधारी बने कांग्रेसी हो या लेफ्ट फ्रंट या भाजपा सभी सरकारों का जनांदोलनों के बारे में लगभग एक जैसा ही रवैया रहा है !
पश्चिम बंगाल में 2007 में नंदीग्राम तथा सिंगूर के किसानों ने सरकार के जमीन को अधिग्रहण करने के खिलाफ वहां के किसानों ने जबरदस्त आंदोलन किया था ! जिसका अवलोकन करने के लिए, मै एक सप्ताह उस क्षेत्र में विभिन्न गांवों तथा किसानों के साथ बातचीत में मैंने पाया कि उन्होंने आंसू भरी आंखों से कहा कि “दादा आमि तो सिपीएमऐर लोग आछे ! किंतु सिपीएम यदि आमादेर जमीन शील्पायनेरजन्नो दखल कोरों नेबे तो आमी मारा जाबो ताई आमी आंदोलन कोरछी !” (दादा हम लोग तो सिपीएम के ही सपोर्टर है ! लेकिन औद्योगिक क्षेत्र के लिए हमारी जमीन अधिग्रहण करने के बाद तो हमारे जिविका के लिए कुछ भी नहीं रहेगा ! तो हम मर जायेंगे इसलिए जीने की लड़ाई कर रहे हैं ?) लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री. बुद्धदेव भट्टाचार्य ने भी उन्हें नक्सलाइट बोलते हुए पुलिस तथा पॅरामिलिटरी के द्वारा कुचलने की कोशिश की थी ! उसका खामियाजा 2011 के चुनाव में सिपीएम को नंदीग्राम – सिंगूर के आंदोलन को कुचलने की गलती करने की वजह से पश्चिम बंगाल के लोगों ने सत्ता से बाहर कर दिया ! और आज पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक भी कम्युनिस्ट सदस्य नहीं है ! यह कितनी बड़ी विडम्बना है जो कम्युनिस्ट पार्टी ने 1977 से लगातार 2011 तक मतलब 34 साल लगातार सत्ताधारी पार्टी थी और उसकी मुख्य वजह जमीन को ज्योतने वाले किसानों के लिए ऑपरेशन बर्गा नाम का कानून पारित करने की वजह से जमीन का मुल मालिक उस ज्योतदार को जमीन से बेदखल नही कर सकता इस कारण लेफ्ट फ्रंट चौतिस वर्ष तक बंगाल में सत्ता में बनी रही ! लेकिन उसी किसानों की जमीन को औद्योगिकीकरण के लिए दखल करने की कोशिश की वजह से आज सत्ता से सिर्फ बाहर ही किया लेफ्ट फ्रंट के किसी भी सदस्य को आज विधानसभा में चुनकर नही दिया है ! ऑपरेशन बर्गा में ज्योतदार को जमीन पर खेती करने का अधिकार दिया था लेकिन जमीन के मुल मालिक का जमीन पर अधिकार बना रहने की वजह से जमीन का अधिग्रहण करने के बाद उसका मुआवजा उसी मालिक को मीलेगा और ज्योतदार जमीन से बेदखली के साथ मुआवजे की रकम से वंचित होने की वजह से नंदीग्राम – सिंगूर के किसानों ने जी – जान लगाकर आंदोलन किया और उन्हें मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य नक्सलाईट बोलते रहे ! 2018 में भिमाकोरेगांव की लड़ाई के दो साल के उपलक्ष्य में हजारों दलितों के इकठ्ठे होने की घटना को महाराष्ट्र सरकारने नक्सलाईट शामिल थे और उसके पहले 2006 के खैरलांजी के भोतमांगे परिवार के सदस्यों की जधन्य हत्या की घटना के बाद महाराष्ट्र में हुए प्रतिरोध के आंदोलन को भी नक्सल आंदोलन कहा गया था ! और सबसे आश्चर्यजनक बात महाराष्ट्र के 95 वर्ष के डॉ बाबा आढाव से लेकर मेधा पाटकर तथा मैं खुद को मिलाकर 56 लोगों को महाराष्ट्र पुलिस के नक्सलविरोधी दल ने नक्सलाईट ऐलान किया था महाराष्ट्र विधानसभा में इस बात को लेकर हुई चर्चा के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री. विलासराव देशमुख ने माफी मांगी थी और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री आर आर पाटील ने कहा कि अगर यह सब लोग नक्सलाईट है तो मै भी नक्सलाईट हूँ जैसी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी उसके बाद झारखंड में हमारे जयप्रकाश नारायण के चौहत्तर के आंदोलन के मधुपुर के जुडाव संस्था के साथी श्री. घनश्याम को भी तत्कालीन झारखंड सरकारने नक्सलाईट के रूप में आरोप लगाया था मतलब जनता के सवालों को लेकर कोई आंदोलन कर रहे हैं तो उन्हें नक्सलाईट बोलने का नया अविष्कार नई आर्थिक नितियो को लागू करने वाली सरकारों की परिपाटी शुरू हो गई है !
भारत कृषिप्रधान देश होने की वजह से हमारे देश की पचहत्तर प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि के उपर निर्भर करती है और इसलिए औद्योगिक क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ संपूर्ण देश में कहीं भी देख लिजिए लोग अपने जीवन की रक्षा के लिए आंदोलन कर रहे हैं और सरकारों में बैठने वाले लोग उन्हें नक्सलवादी बोलकर उन आंदोलनकारियों को विभिन्न धाराओं में जेलों में बंद कर के उद्योगपतियों को सौपना चाहती है ! इसलिए उन्हें आनन- फानन में नक्सलवादी बोल कर उनके उपर कारवाई करने का बहाना लेती है ! जो बंगाल की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकारों ने भी किया है !
उत्तर प्रदेश पुलिस जिस तरह से खुद रात-बेरातमे मुसलमानों की आबादी वाले इलाकों में तोड़फोड करते हुए देखकर ! लग रहा है की जर्मनीमें यहूदियों के साथ भी 100 साल पहले यही हुआ था ! और लखीमपुर खिरी में दिन दहाड़े केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे ने अपनी गाड़ी के निचे किसानों को कुचल कर मारने के बावजूद यूपी पुलिस उसे हिरासत में लेने के बजाय उसे जलपान करने की हरकत करती हैं! और दलितों तथा आदिवासी, महिलाओं तथा गरीब – गुर्बा के साथ उनके उपर अन्याय होने के बावजूद उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं यह हाथरस, बलरामपुर की घटनाओं के बाद युपी पुलिस के व्यवहार कितना अन्यायपूर्ण रहा हैं ! यह सैंगर नाम के बीजेपी के नेता को एक पिडीत युवती और उसके वकिल और परिवार के सदस्यों को कुचल कर मारने की घटना से बरी करने के लिए युपी पुलिस के मदद के बिना संभव नहीं होता !
अब क्या भारत मे फासिज्म शुरु हो गया ? जिस तरह से पुलिस -प्रशासन ने जामिया,अलीगढ़ केंद्रीय विश्वविद्यालय के ग्रंथालयो और हॉस्टल में घुसकर लडकियो को भी घसीटकर मारते हुए क्लिपिंग्स देखे हैं !
एक टी वी चैनल ने बंगलूरू की प्रबंधन संस्थान के परिसर में पुलिस बडी मुस्तैदीसे विद्यार्थियो और शिक्षकोंके साथ 144 धारा लगाकर संस्थानको पुलिस कम्पनियाँ एक एक विद्यार्थियो तथा स्टाफ के साथ व्यवहार कर रहे हैं ! उस्मेभी विद्यार्थियो ने बहुत अनोखे अंदाज में जुते चप्पलें उतरकर कोरे पोस्टर रखते हुए और उनपर फूल रखते हुए एक एक करके खडे होकर अपनी अपनी समझ के अनुसार प्रोटेस्ट कर रहे हैं ! कम अधिक प्रमाण मे यह आंन्दोलन लगभग देशके कोने-कोने में फैल गया है ! और भागलपुर से, मुझफ्फरपूर,बेतिया,चंपारण,दरभंगासे लेकर,कोलकाता,बंगलूरू,कोची,जयपुर,उदयपुर,कोटा,बीकानेर,जोधपुर,अलवर, भोपाल,इंदौर,जबलपुर, रायपुर, बिलासपुर चंडीगढ़,भटिंडा,अमृतसर ,अमरावती, अकोला,पुणे,मुंबई,ठाणे,औरंगाबाद, पालघर, नासिक, धुळे, जळगाव, अमळनेर, संगमनेर, अहमदनगर, कल्याण,मंगलूरु,बेलगाम,धारवाड़,विजापुर,गुलबर्गा,हैदराबाद,विशाखापटनम,गदग,म्हैसुर,बागलकोट,तुमकुर ,शिमोगा,अहमदाबाद,वडोदरा,राजकोट,जामनगर,पोरबंदर,गोधरा,आणंद,सुरत,वेरावल,उदयपुर,अलवर,गुडगाव,बनारस,इलाहबाद,कानपुर,आझमगढ,मेरठ,बाराबंकी और समस्त उत्तर पूर्व के सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर ,इचलकरंजी ,सांगली-मिरज सातारा,टिम्बाकटू तक चला गया है ! कम अधिक प्रमाण मे पुरे देश भर यह आंदोलन बहुत स्वयंस्फुर्त रुपसे शुरु हूआ है ! आज से चलीस साल पहले के जेपी आंदोलन के बाद शायद यह पहला मौका है जिसमें संपूर्ण देश में ही प्रतिकार करते हुए लोग नजर आ रहे हैं !
और इस आंदोलन की खासियत है कि ! इसमे ना कोई एक नेता या संघटन नही दिख रहा हैं ! यह इस आंदोलन की ताकत भी है ! और कमजोरियाँ भी ! क्यौंकि जिस ढंग से अण्णा हजारे के 2012-13 के अन्दोलन की गत हूई ! वही गलती इसमे ना हो ! इस बात का ध्यान रखनेकी जरुरत है ! अन्यथा दो बन्दर और मख्खन वाली कहावत के अनुसार !
2013 में नरेंद्र मोदी या बीजेपी की कोई औकात नही थी ! की वो देशके प्रधान-मंत्री पदतक पहुँचने की दूर दूर तक संभावना नही होनेके बावजूद ! संघ परिवार का देशभरमे फैले हुए काड़र की मदद ! और बिखरा हूआ विपक्ष, और अण्णा जैसे रत्तीभर की राजनैतिक नासमझों की मददके कारण ! गुजरात मे मनुष्य संहार करने का गुनाहगार आदमी भारत जैसे बहुलतावादी संस्कृति के देश का एक सांम्प्रदायिक सोच रखने वाले को ! 145 करोड़ की आबादी का प्रधान-मंत्री ? यह हमारे देश के इतिहासमे संसदिय जनतांत्रिक प्रणालीका सबसे बड़ा फेलुअर है ! सिर्फ 31 % वोटिंग पर एक घोर सांम्प्रदायिक पार्टी भारत जैसे सेकुलर देश में सरकार बनाती हैं ! यह हमारे संविधान से लेकर अजादीके अन्दोलनमे तैयार हुये मुल्लोकाभी पराजय है !
इसलिए अभी चल रहे आंदोलनमे बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है ! अन्यथा कोका कोला की बोतल का ठक्कन खोलने के बाद सबसे पहले झाग उबाल आकर बाहर निकल जाता है ! बादमे सब शांत ! अमूमन कई स्वयंस्फूर्ति से शूरू हुये आंन्दोलनोमे शुरुआती दिनों में खुब जोश रहता है ! लेकिन सही नेतृत्व के और मार्गदर्शन के अभावमे कोकाकोला के झाग जैसा थमसा जाता है !
जैसे की निर्भया के बाद का आंन्दोलन,अण्णा हजारे के लोकपाल का जोकपाल बनके रह गया ! और नरेंद्र मोदी जैसा घोर सांम्प्रदायीक आदमी देशका प्रधान-मंत्री बन जाता है ! इसकी वजह पहलेके आंन्दोलनमे कोई सोच विचार और नेतृत्वकारी लोगोकी मर्यादाएं बहुत थी ! वो तो अपने गाव मौहल्ला के भी नेतृत्व ढंगसे नही कर सकते हैं ! देश की बागडोर संभालने की उनमे किसिभी एक मे वह जज्बा नही था ! इसलिए वे सभी आंन्दोलन एक तरह से फेल आंन्दोलन रहे है ! उनमे आये फेलुअर ने हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है ! वह नजरके सामने रखकर एक व्यापक सामुदायिक नेतृत्व बनाया जाए जिसमे पार्टियों के लोगों ने खुद बखुद कुछ फासला बनाकर रहना चाहिए ताकि संघ परिवार को यह कहने का मौका नहीं मीलना चाहिये !
आसाम में तो संस्कृतिकर्मियों का एक नेटवर्क तैयार है! और सामान्य असमिया लोग मिलकर बडाही रंगारंग आंदोलन बन गया है ! वैसाही देशभरके अन्य हिस्सों में बॉलीवुड,टाॅलीवुड,और विभिन्न कलाकारों की क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा आयोजित विरोध किया जा रहा है !
और यही सभ्य समाज के सामने मैं बार – बार अपिल कर रहा था ! आज मुझे खुशी है कि प्रधान-मंत्री के रामलीला मैदान में खिचतानकर लाया हुआ नकली अत्माविस्वास से सरोबर 100 मिनट के झूठे भाषण करने के बाद इस आंदोलनने और गति पकड़ी है ! क्योंकि नरेंद्र मोदी जिस आत्म विश्वास के साथ वह भी हजारों की संख्या में लोगों के सामने ! शायद मोदी सामनेवाले लोगोको मूर्ख समझकर बोलते-बोलते वह भुल जाते हैं की यही झूठ उनको लेकर डुबानेका कारण बन सकता है !
क्योंकि देश का प्रधानमंत्री संसदमे क्या हो रहा है ? राष्ट्रपति शीतकालीन सत्र के उद्घाटन भाषण में क्या कह रहे हैं ? इन सब रेकार्ड की हूई बातोके बावजूद और डिटेंशन सेंटरोके, गृह मंत्रालय के गझेट के बावजूद कह रहे हैं ! की 2014 से एक बार भी एन आर सी की बात हमारी सरकार से हूई नही ! और देश में एक भी डिटेंशन सेंटर बना नही है ! तो भी विरोधी पार्टियों ने और अर्बन नक्सल लोगोने गलत जानकारी फैलायी है !
ये अर्बन नक्सल असलमे है क्या ? अगर सचमुच नक्सली इतनी बड़ी संख्या में देश भर के शहरों में ही सही क्यौंकि अब देश की आधी आबादी शहरों में तब्दील हो गई है तो फिर 60,70 करोड़से ज्यादा नक्सली पैदा हो गए होंगे ! तो नरेन्द्र मोदी क्या डोनाल्ड ट्रंपभी कुछ नहीं कर सकता है ! और इतने नक्सली नही है तो नरेंद्र मोदी नक्सली प्रचार-प्रसार कर रहे हैं ! क्यौंकि जब विलासराव देशमुख महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, उस समय भी 56 लोगो को महाराष्ट्र की नक्सल विरोधी सेलने ! अर्बन नक्सली की लिस्ट बना कर मिडियाके सामने पेश किया गया ! जिसमें एक नाम मेरा भी था ! मेधा पाटकर,नागेश चोधरी,डॉ. भारत पाटनकर,यशवंत मनोहर,और हमारी सभिकी जितनी कुल उम्र होगी उतनिही सार्वजनिक काम करने की उम्र वाले डॉ. बाबा अढाव लगभग इन 56 लोगों का दूर दूर तक नक्सली हिंसा पर विश्वास तो दूर उल्टा हम सभी शांन्ततामय अन्दोलन के सिपाहियों में कोई 40 सालोसे तो कोई 50-60 सालसे सार्वजनिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं !
और सबसे आस्चर्य की बात 56 की लिस्ट में एक भी नक्सली हिंसा के समर्थन करने वाले का नाम नहीं था ! तो मै 56 में से कुछ लोगों को लेकर तत्कालीन महाराष्ट्र के नक्सलवाद विरोधी पुलिस के प्रमुख के साथ नागपुर के महाराष्ट्र नक्सल विरोधी सेल के मुख्य के साथ दो घण्टे से ज्यादा समय मुलाकत करके ! साफ शब्दों में कहा की आप महाराष्ट्र के अॅन्टी नक्सल सेल के पदपर बैठकर नक्सलियों का काम कर रहे हैं ! तो वो चौककर बोले ऐसे कैसे ? तो मैंने जवाब में कहा की 56 लोगों की लिस्टमे एक भी नक्सली का नाम नहीं है ! जो भी है सभी शांततामय आंन्दोलन कारी है ! और जब आप यह नाम मीडिया में प्रकाशित कर रहे हैं ! तो लोग कहेंगे अरे मेधाजी,बाबा अढाव,जैसे लोगों की जींदगी दलितोको,आदिवासियो के लिए न्याय दिलानेके काम में इतने सालों से खर्च हुई हैं ! तो शायद नक्सली लोग अच्छे होते है ! क्यौंकि आपकी पुलिस से ज्यादा लोग इन कार्यकर्ताओं को बहुत नजदीकियों से जानते-समझते हैं ! और इसलिऐ आप जितना हम लोगों के नाम मिडियके द्वारा लोगों के सामने लाओगे, उतनिही लोगों के बीच नक्सलियों की इमेज और अच्छी बनेगी ! तो आप नक्सलियों के खिलाफ है या उनके साथ यह फैसला अब अदालत में जाकर ही होगा !
इसलिये मैं आपको नक्सलियों से मिले हुए उनके समर्थकों मेसे एक मानता हूँ ! हमारे जैसे लोगों की जींदगी के सबसे बेहतरीन समय हमें होश आया तबसे ! गाँधी,जेपी,लोहिया,फुले,अंबेडकर को आदर्श मानकर काम करने वाले लोगों की ! बदनामी करनेके डीफामेशन सुट दायर करने वाले हैं ! और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की ईज्जत की जो किमत होती होगी वह किमत हम लोग कोर्टमे मांगने वाले हैं ! और कोर्ट का फैसला आपको मानना पड़ेगा ! और वह हम सब मिलकर दावा करने वाले हैं ! बादमे विधानसभा में इसपर किसि विधायक ने मुद्दा उठाया ! और मुख्यमंत्री श्रीमान विलासराव देशमुख ने कहा कि ये लोग हमारे प्रदेश की शान है ! और पुलिस ने गलती करि है ! मैं माफी मांगता हूँ ! और तत्कालीनउपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री श्री. आर. आर. पाटिलने तो यहातक कहा की अगर ये लोग नक्सली है तो फिर मैं भी नक्सली हूँ ! तो खैर बात आई गई हो गई !
1974 के जेपी आंदोलन के दौरान इन्दिरा गाँधी और उनके सिपहसालार सीपाआई के लोग जेपिको सी आय ए के एजेंट बोलते-बोलते थक गये ! मेडम इन्दिरा गाँधी जी ने तो जेपिको देशद्रोहि तक कहा ! और यही नरेंद्र मोदी का मातृ संघटन आर एस एस जेपिके तारिफके पुल बांधते हुये हमने देखा है ! नरेंद्र मोदीजी काफी लोगों की याददास्त कमजोर होती है ! लेकिन कुछ अपवाद होते हैं जिन्हें याद रह जाता है ! अगर आपको इतिहास से कुछ भी सबक नहीं लेना है तो जय सीतारामजी की !
अटल बिहारी वाजपेयी की भी स्म्रतिभ्रम के कारण कुछ कुछ गलती हो गयी है ! लेकिन इतनी बड़ीगलत बात उह्नोने कही हो याद नहीं आती है ! अगर नरेंद्र मोदी स्म्रतिभ्रम के शिकार हो गए हों तो यह देश के लिए बहुत चिंता की बात है ! क्योंकि उह्नोने कल एकभि डिटेंशन सेन्टर बना नही कहा है !
आसाम के गोअलपारा के मटिया कदमतला का सेंटर मै खुद 23 सितम्बर को देखकर आया हूँ ! और उसके फोटो फेसबुक पर अनेक बार पोस्ट किये हैं ! कर्णाटक में 45 बन रहे हैं ! कलकी न्यूज है बंगलूरू से 40 किलोमीटर की दूरी पर एक डिटेंशन सेंटर तैयार है ! वे कैदियों के इन्तजार मे बैठे है ! बाकी सभी बीजेपी शासित राज्यों में भी बनानेकी बात है ! और प्रधान-मंत्री महोदय वह भी एक पत्नि व्रत अपने पिताजिके दिये हुए वचन के लिये 14 साल वनवास और सत्य वचन के लिये विशेष रूप से उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रसिद्द रामके नामके रामलीला मैदान में ! इतना झूठ वचन और राम को लेकर राजनीति करने वालों को शर्म आनी चाहिए ! मुहमे राम बगलमे छुरी वाले कहावत को सार्थक कर रहे हैं !
शायद प्रधान-मंत्री ने रामलीला मैदान में जो चिल्ला- चिल्ला कर झूठ की लीला दिखाई ! इस कारण उनकी बचिखूची इज्जत खत्म होनेके कारण यह आंदोलन अब सही मायने मे जनताके अन्दोलनमे बदल गया है ! देशके हर जगह पर लोग अपने अपने तरीके से इसमे शामिल हो गए हैं ! अब तक जानबूझ कर मुसलमानों का आंदोलन बोला जाता था ! लेकिन मुसलमान हाथोमे संविधान बचाओ देश बचओ के पोस्टर लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं ! यह काफी महत्वपूर्ण बात है ! कहिभी धार्मिक नारे लगाने वाले नहीं देखा ! नरेंद्र मोदी के रामलीला मैदान के भाषण ने इसमे जान फूंक दी ! इसलिए नरेंद्र मोदी के जुमलेबाजिका मैं तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ ! और उम्मीद करता हूँ कि, यह सिलसिला चलता रहेगा ! अब वो देश के और भी हिस्सोमे अपने हुनरबाज स्टायल का प्रदर्शन करने के लिए जरुर जाये तो शायद कुछ बात बने !
उसके बाद किसानों के खिलाफ लाये गये बील के खिलाफ किसानों ने एतिहासिक एक साल के आंदोलनों को कभी खलिस्तानी तो पाकिस्तान की शह पर चलने वाला आंदोलन बोलने वाले लोगों को हारकर किसानों की ताकत के सामने घुटने टेकने पडे और गुरु नानक देवजीके जन्मदिन जिसे प्रकाशपर्व भी कहा जाता है के दिन प्रधानमंत्री को साफ हृदय दसो बार बोलने की मजबूरी बनी और तथाकथित किसानों के भलाई के लिए लोकसभा में आनन – फानन में पास किया बील उसी लोकसभा में उसी तरह आनन – फानन का रास्ता अख्तियार कर के वापस लेने की मजबूरी हुई है !
जब 25 जून 1975 के दिन श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी तो जयप्रकाश नारायण ने कहा कि विनाशकाले विपरीत बुद्धी ! आज देश में अघोषित आपातकाल और अघोषित सेंसरशिप गत 10 साल से अधिक समय से जारी है ! बहुसंख्यक मिडिया सरकारी कार्य बढा – चढाकर परोस रहा हैं ! इतनी कोरोना की महामारी में लाखों लोगों की मौत हो गई लेकिन अबतक सही आंकड़ा नहीं दे सके और स्वास्थ्य सेवा की खस्ता हालत को दिखाने के लिए भी मिडिया ने कोताही बरतने का काम किया है ! जिससे भारत के मिडिया संस्थाओं की साख संपूर्ण विश्व में सबसे निचले पायदान पर आ गई हैं !
प्रवासी मजदूरों की स्थिति को देखते हुए मै प्रार्थना करता हूँ कि ऐसा समय कभी भी नहीं आए ! लाखों की संख्या में मजदूरों को हजारों किलोमीटर दूर सरपर अपना सामान लेकर पैदल चलने के लिए मजबूर किया गया है ! आज भी उनके लहुलुहान पावो के निशान वह भुले नहीं है ! और हजारों की संख्या में राह में ही मरे सो अलग बात है ! जैसे एक हजार से भी ज्यादा किसानों ने आंदोलन की जगह पर ही दम तोड़ दिया है ! और अपने – अपने परिजनों के साथ इस साल भर में क्या गुजरा सो अलग ! यह सब का हिसाब वर्तमान सरकार को आनेवाले समय में जितने भी चुनाव होने वाले हैं , उनमे देना होगा ! सबसे पहले युपी और लोकसभा चुनाव में !
गत 30 – 35 सालों से सिर्फ और सिर्फ धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करके ही वर्तमान सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव जीते हैं ! और अभी भी मंदिर, धर्मांतरण, लवजेहाद, जैसे भावना भड़काने वाले मुद्दों को उछालने की शुरुआत कर दी है ! अब देश के लोगों को तय करना है कि उनके असली सवाल क्या है ?
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