जब रोम जल रहा था और निरो बासुरी बजा रहा था वाली बात आज भारत के कोरोना के संकट मे सरकारी भुमिका को देखकर याद आ रही है वायरस काॅपी बनाकर खुदको हर बार बदलनेको म्यूटेशन कहतें है वायरस शरीर मे खुदकी काॅपी तैयार कर संख्या बढाता है ! हर नई काॅपी मुल वायरस से अलग होती है और इसी बदलावको म्यूटेशन कहा जाता है ! शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर जो म्यूटेशन सबसे ज्यादा हावी हो पाता है वही बढता है ! और यही व्यक्ती किसी दुसरेको नये म्यूटेशन से संक्रमित करता है ! और इसी लिये भीड इकठ्ठा नही हो !

यह बात वैज्ञानिक प्रोफेसर डाॅ एन के अरोडा जोके आई सी एम आर टास्कफोर्स के सदस्य है और वह चेतावनी दे रहे है कि वायरस जितनी ज्यादा आबादी मे घुमेगा,उतना ज्यादा म्यूटेशन होगा ! भारत मे बहुत बडी संख्या मे मरीज बढ रहे है और उसी कारण म्यूटेशन भी ज्यादा होगा ! और भीड वाले शादी-ब्याह से लेकर धार्मिक आयोजन और सामाजिक-राजनितिक आयोजन नही हो यह बात अक्तूबर दिसम्बर और मार्च की शुरुआती दौर से चेतावनी देने के बावजूद अनदेखी कर रहे है !

नैशनल सेंटर फाॅर डिसिज कंट्रोल के निदेशक डाॅ सुजित कुमार सिंह ने बताया कि दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार वेरिएंट 50% ज्यादा संक्रमक और बिमारी मे गंभीरता वाला है ! इसलीये ज्यादा लोग इकठ्ठे होनेवाला किसी भी तरहका आयोजन नही होना चाहीये क्यो की भिडही सेकंड म्यूटेशन की सबसे बडी खाद्य सामुग्री है और करोडो लोगोकी जाने जा सकती है क्योकी विश्व मे किसिकोभी अभितक कोरोनाके उपर खात्रीका उपाय मिला नही कुछ और उपाय करके तात्कालिक काम चला रहे है ! और हमारे वैज्ञानिक रातदिन एक करके सेकंड म्यूटेशन की और यह कंट्रोल नही हुआ तो थर्ड म्यूटेशन की बात वैज्ञानिक कर रहे है !

यह मेडिकल क्षेत्र की इमरजेन्सी का दौर चलते हुए सरकारी मशीनरी टोटली फेल होने के कारण न्यायालयोको सज्ञान लेना पड रहा है तो उसे भी धमकी भरे स्वरमे कहा जाता है कि आप कार्यपालिकाके काममे अतिरिक्त दखल दे रहेहो ! क्या सरकार अंधी,बहरी हो गई है ? रोज मरने वालोकी खबरे सुनकर संपूर्ण देशकी भयपर्व मे चले जानेकी अवस्था बनानेके लिये सरकार की बेरूखी भी एक कारण है सबसे आश्चर्य की बात सरकार नामका कोई जिव-जंतू नजर नही आ रहा है तो क्या हमारे राष्ट्र की जनता को भगवान भरोसे छोड देना है कुछ-कुछ सरकारी पक्ष के नमूने गोमूत्र से लेकर गंगा के पानी का महिमामंडित करना अंधश्रध्दा कानूनके तहत कारवाई करने का मामला बनता है ! लेकीन इन सभीको कारवाई करना दूर उल्टा जिनके रिस्तेदार कोरोनाके बिमारी मे ठिक से इलाज नही हो रहा यह बात बोलते है तो उन्हिको एपीडेमिक ओक्ट के तहत कारवाई करने का मामले उत्तर प्रदेश सरकार ने कीया है !

लेकीन राजनीतिक दल और सबसे ज्यादा सत्ताधारी बीजेपी के शिर्षस्थ आदमी जो आज प्रधान-मंत्री पदपर होने के बावजूद इस साल के सेकंड म्यूटेशन की बात वैज्ञानिक अक्तूबर दिसम्बर और मार्च की शुरुआती दौर से चेतावनी देने के बावजूद नरेंद्र मोदी क्यो अनदेखी कर रहे ? क्या अब किसी खास कौमके जैसे संपूर्ण भारत की जनता से नफरत हो गई है ताकी लोग कोरोना मे मर जाय !

पिछले साल देर से ही सही कुछ तो उपाय किये थे लेकीन 2021 मे इन्हे क्या हो गया ? पांच राज्योके चुनावमे जिस तरहके चुनावके प्रचार मे खुदकी सेहत दावपर लगाकर हजारो लोगोके बीच जाकर इकठ्ठे होनेवाला और इकठ्ठे करने वाला दोनो अपनी तबीयत दावपर लगा रहे थे ! यह बात मुझे आश्चर्यजनक लगती है ! और नरेंद्र मोदी की बाॅडी लॅग्वेज एक जुनून सवार आदमी जैसी लगी ! सबसे आश्चर्य की बात भारतीय संसदीय इतिहास मे पहला प्रधान-मंत्री है जिसे इतिहास-भूगोल से लेकर आर्थिक,पर्यावरणीय,आरोग्य और घर गृहस्थी किसी भी बात की जानकारी नही है ! इतना इग्नोरंट और अरोगंट आदमी दुसरा नही देखा !

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेनने बहुत अच्छा कहा कि प्रधान-मंत्री अपने मनकी बात करते है लेकीन सामने वाले का कुछ भी नही सुनते है ! जिसे अंग्रेजी मे मोनोलाॅग कहतें है ! अंत मे सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पडा तो सरकारी पक्ष रखने वाला बंदा कोर्टको कह रहा है कि कोर्ट कार्यपालिका के काममे अतिरिक्त दखल दे रहा है ! तो क्या हमारे राष्ट्र की जनता को भगवान भरोसे छोड देना है ?

गत चार महिने से सरकारको सेकंड म्यूटेशन की बात वैज्ञानिक अक्तूबर दिसम्बर और मार्च की शुरुआती दौर से चेतावनी देने के बावजूद अनदेखी कर रही है और संपूर्ण देश की आरोग्य सेवा लगभग फेल होने के बावजूद सरकारी स्तरसे कुछभी काम नही हो रहा है! तो क्या 135 करोडकी आबादी मौतके मुहमे ढकलनेका अपराध सरकारने नही कीया है ?
मद्रास हायकोर्टने सिर्फ चुनाव आयोग को मर्डर के चार्ज क्यो न लगाया जाय ? जैसी टिप्पणी की है ! लेकीन मख्य गुनाहगारोंको क्यो छोड रहे?असली अपराधी तो सरकार है सरकार को जवाब-तलब करना चाहीये और उसमे भी सबसे ज्यादा प्रधान-मंत्री और स्वास्थमंत्री खुद पेशेवर डॉक्टर होने के बावजूद इस साल के सेकंड म्यूटेशन की बात वैज्ञानिक अक्तूबर दिसम्बर और मार्च की शुरुआती दौर से चेतावनी देने के बावजूद अनदेखी कर अब मास्क पहनने की जरूरत नही जैसी गैर जिम्मेदार बात बोले है ! इन सभीको क्रिमिनल काॅन्स्पीरसी करने के जुर्ममे कोर्टने ऑक्शन लेनी चाहीये !

डाॅ राकेश मिश्रा हैद्राबाद के सीसीएमबी के अधिक्षक बोल रहे की शादीमे दो लोग छोडकर किसी तिसरेनेभी शामिल नही होना चाहीये क्योकी सेकंड म्यूटेशन की बहुत ही खतरनाक तरीके से कोरोनाके फैलने की संभावना है ! उसके बावजूद कुंभ जैसे आयोजन करने हेतु उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बदलते हो ? और वह मुख्यमंत्री की शपथग्रहण के बाद बोलते है कि मानता गंगा सब कुछ धो डालती है ! तो सभी अस्पताल बुलडोज कर डाल !

अरे बावले विश्व का सबसे बडी संख्या मे लोग इकठ्ठे होनेवाला हज जब कोरोना के कारण गत दो साल से बंद चल रहा है!और इस्लामी तिर्थक्षेत्र जिसे तिजारत बोलते है वह भी बंद कर दी है ! और आर्थिक नुकसान झेल रहे है ! और एक आप हो कि गंगा सब कुछ धो डालती है ! और यह सब भारतीय संविधान की शपथ लेकर ?

भारतीय जनता पार्टी चुनावकी बिमारी से ग्रस्त पार्टी है जो बारह महीने सत्रह घंटे चुनावके मोडपर रहते है ! और सबसे ज्यादा प्रधान-मंत्री महोदयको प्रधान-मंत्री की ड्यूटी के जगहोपर चुनावके प्रचार करना उनका सबसे प्रिय खेला होबे है ! अरे भाई आप सिर्फ किसी एक दलके नेता नही हो 135 करो डकी आबादी के हर नागरिक के प्रधान-मंत्री हो और आपने दोनो बार प्रधान-मंत्री की शपथग्रहण मे राष्ट्रपती महोदयके सामने शपथ ली है कि मै नरेंद्र दामोदरास मोदी आजसे भारत के प्रधान-मंत्री की शपथग्रहण मे यह अशवस्त करता हूँ कि मै अपने कर्तव्य का पालन करते हुए किसी भी तरहका भेदभाव न करते हुए अपने देशके प्रधान-मंत्री पद का पालन करूंगा !

नाही उन्होनें तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री की शपथ का पालन कीया और दो बार प्रधान-मंत्री की शपथग्रहण के बावजूद पालन कर रहे तो क्या हमारे राष्ट्रपती महोदयको प्रधान-मंत्री की ड्यूटी नही निभाने वाले आदमी को जवाब-तलब नही करना चाहीये ? लेकीन हम देख रहे है राष्ट्रपती महोदयको प्रधान-मंत्री को जवाब-तलब करना चाहीये करना तो दूर उनके सामने झुककर खडे होते है !

और इन्ही सब कारणो से हमारे सर्वोच्च न्यायालया ने सज्ञान लेकर टास्क फोर्स गठित करने से लेकर और भी कुछ निर्णय लिये है तो बहुत ठीक कीया है ! और सर्वोच्च न्यायालयको कार्यपालिका के काममे अतिरिक्त दखल दे रहा कहनेवाले सरकार के प्रतिनिधि को कोइभी नैतिक अधिकार नही है ! उल्टा उसिको फटकार लगानेकी जरूरत है !
एक तरफ कह रहे की पैसे नही है ! और प्रधान-मंत्री का बाईस हजार करोड खर्च करके नये आवासको बनानेके लिये कहा से पैसा आया ? उसी तरह हजारो करोड खर्च करके नये विमान और नई संसद की ईमारत बनानेके लिये कहा से पैसा आया उसी निर्णय को देखकर याद आ रहा है की रोम जल रहा था और निरो बासुरी बजा रहा था वाली बात याद आ रही है!

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