मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह भले ही अपने तीन कार्यकाल की उपलब्धियों का बखान करते हुए घूम रहे हो लेकिन जमीनी हकीकत को समझते हुए वे भी परेशान है. ओपिनियन पोल भी उनकी इस परेशानी को बढा रहा है. शिवराज सिंह मजबूती से कांग्रेस पर हमला बोल रहे हैं.
समृद्ध मध्य प्रदेश अभियान को हरी झंडी दिखाते हुए भी शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के बजाए किसी सधे हुए विपक्ष के नेता के तौर पर नजर आए और लगातार कांग्रेस के कार्यकाल को लेकर ही हमलावर बने रहे.
लेकिन उनके इस रूख से इतर मध्य प्रदेश में इस बार भाजपा के लिए जमीनी हालत अनुकूल नहीं लग रहे हैं. मंदसौर गोलीकांड के बाद से किसानों का शिवराज सरकार के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है.
दूसरी तरफ राहुल गांधी पूरे प्रदेश में घूम-घूमकर ऐलान कर रहे हैं कि अगर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो 10 दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा. ऐसे में चुनाव के दौरान भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
किसानों के आक्रोश का सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को मालवा-निमाड़ में होने की संभावना है. यह भाजपा और संघ का गढ़ माना जाता है. वर्तमान में इस क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर भाजपा का ही कब्जा है.
एससी/एसटी एक्ट में संशोधन में उभरा सवर्ण आंदोलन मुख्यरूप से भाजपा के ही खिलाफ है. इस आंदोलन से एक नई पार्टी भी तैयार हो गई है, जो भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकती है. भाजपा के अंदरूनी सर्वे भी पार्टी के लिए चिंताजनक हैं. इसमें पाया गया है कि 40 फीसदी से अधिक मौजूदा विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ जनता और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है.
ऐसे में खबरें आ रही हैं कि भाजपा अपने करीब 80 मौजूदा विधायकों के टिकट काटने पर विचार कर रही है. संघ की तरफ से भी कुछ इसी तरह का फीडबैक सामने आ रहा है.
हालिया ओपिनियन पोल भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के संकेत दे रहे हैं. विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद एबीपी न्यूज द्वारा दिखाए गए ओपिनियन पोल में भाजपा को 108 तो कांग्रेस को 122 सीटें मिलती दिखाई गई हैं.