विश्व की समस्त मॉ ओ को हार्दिक शुभकामनाएं !
यह फोटो की खासियत है कि,यह भागलपुर दंगे (24 अक्तूबर 1989 रामशिलापूजा जूलूस के समय) के पास सबौर ब्लॉक के बाबुपुर नाम के गांव के, बत्तीस मुस्लिम समुदाय के लोगों के मकानों को जमिनदोस्त कर दिया था ! और हम लोग स्थानीय लोगों के साथ उस मलबे के उपर खड़े होकर ही बातचीत कर रहे थे ! और मैं गलत नहीं तो, यही मई 1990 का प्रथम सप्ताह का समय है !
आजसे बत्तीस साल पहले भागलपुर दंगे के बाद के काम में, हमारे शांतिनिकेतन की मित्र प्रफेसर विणा आलासे, श्यामली खस्तगीर तथा बाणी सिंह के नेतृत्व में कुछ विद्यार्थियों ने भी आना-जाना किया है ! लेकिन मुख्य रूप से मनिषा बैनर्जी, मंदिरा मुखर्जी अन्य विद्यार्थियों की तुलना में अधिक समय आते थे !
और अभितक लगातार मनिषा बैनर्जी आती है ! और अब तो वह अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए प्रधानाचार्य की नौकरी के अलावा, बंगला सांस्कृतिक मंच के माध्यम से सांप्रदायिकता के खिलाफ अपने अन्य साथियों के साथ बहुत ही बेहतरीन काम कर रही है ! शायद यह सबक उसे भागलपुर दंगे की भीषणता देखने के कारण ही मिला है !
अब बीणाजी, श्यामलीजी, बाणीजी तथा गौरकिशोर घोष, इस दुनिया में नहीं रहे ! और मुख्यतः बंगाल के मशहूर पत्रकार(भारत के पहले मॅगसेसे पुरस्कार से सम्मानित पत्रकार) और लेखक गौरकिशोर घोष जिनका जन्मशताब्दी वर्ष शुरू हो रहा है ! उनके नेतृत्व में हमारा भागलपुर का काम चलता था !
बादमे राष्ट्र सेवा दल की एक दर्जन से अधिक शाखाओं की शुरुआत भी शंकर के सहयोग से और हमारे जेपी आंदोलन के पुराने मित्रों के मदद के बिना संभव नहीं था !
आज मदर्स डे के दिन यह फोटो देने की मुख्य वजह ! उस समय की सिनियर महिलाएं तो मां थी ही ! लेकिन उस समय की बीस साल की मनिषा, मंदिरा आज मां है ! मनिषा की बेटी मेघना खुद आज उसी उम्र की है ! जिस उम्र में मनिषा बॅनर्जी ने भागलपुर आना-जाना शुरू किया था ! अब मेघना वहीं राह पर चल रही हैं ! और मेघना दस साल की उम्र के पहले से ही, भागलपुर और अब बंगाल को गुजरात बनानेकी कोशिश करनेवाले सांप्रदायिक मानसिकता के खिलाफ, बंगला सांस्कृतिक मंच के तरफसे मुस्तैद होकर काम कर रही है !
यह संपूर्ण मातृशक्ति आज भारत के राजनीति का केंद्र बिंदू, “सिर्फ और सिर्फ सांप्रदायिकता के खिलाफ ही बन गया है !” इस बात का एहसास हमारे भागलपुर के बत्तीस साल पहले के दंगों को देखते हुए हो चुका था ! लेकिन हमारे देश के लगभग सभी लोगों की ऐतिहासिक गलतियों के कारण यह राक्षस आज सौ साल पुराना जर्मनी के जैसा , महंगाई बेतहाशा बढने के बावजूद और रोजगार, स्वास्थ्य तथा लगभग सरकारने अपने कर्तव्यों का पालन करने मे वर्तमान सरकार हर स्तर पर नाकामयाब होने के बावजूद ! उसने अपने देश के बहुत बडी संख्या में लोगों को भ्रम में डाल कर सिर्फ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के अलावा और क्या योगदान है ? और सबसे बड़ी हैरानी की बात है कि लोग भी सांप्रदायिक नशे में धुत्त होते जा रहे हैं ! जैसे जर्मनी में भी यही हाल सौ साल पहले देखा गया है !
इसलिये मदर्स डे के मौके पर भारत की और विश्व की सभी मां ओ के प्रतिनिधि के रूप में, मैंने बत्तीस साल पहले की माँ ओ ने इतिहासदत्त कार्य किया है ! तो सोचा कि क्यों न यही फोटो आज मदर्स डे के मौके पर दिया जाय !
क्योंकि युद्ध हो या दंगे आखिर हजारों सालों से सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं ही होती है ! फिर वर्तमान समय में युक्रेन में चल रहे युद्ध हो, या फिलिस्तीन, सिरिया इराक, अफगाणिस्तान, यमन या पचास साल पहले का वियतनाम, विश्व के अन्य क्षेत्रों में चल रहे युद्ध या, आतंकवादी हमलों में सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाओं को ही होते हुए देखा है !
और इसी लिए मेरी राय में किसी भी तरह के युद्ध का समर्थन करने वाले लोग विकृत मानसिकता के परिचायक हैं ! फिर युक्रेन हो या फिलिस्तीन ! और बीस साल पहले का गुजरात के दंगों के उपर अपनी राजनीतिक करियर बनाने वाले वर्तमान प्रधानमंत्री ! सभी एक ही नौका के यात्रि है ! भले ही वह साल में एकाध बार अपनी माँ के साथ जाकर फोटो निकालने का प्रदर्शन क्यो न करें ! लेकिन हजारों वर्ष पुराने देश को सांप्रदायिक तनाव में ले जाने का उन्होंने ही फैलाने का काम किया है ! और उनका मातृ संघठन आर एस एस ! भारत की लाखों माताओं को आज विधवा करने से लेकर अपने बच्चों से अलग करने की कृती गुजरात, भागलपुर, मुजफ्फरनगर तथा देश के अन्य क्षेत्रों में हुए दंगों में की है ! और अयोध्या के बाद अब मथुरा और देश के अन्य जगहों के धार्मिक स्थलों को विवादास्पद बनाकर सिर्फ उसी धार्मिक उन्माद के उपर अपनी राजनीतिक रोटी सेकना चाहते हैं ! जोकि भारत की संसद नरसिंह राव के प्रधानमंत्री रहते हुए एक कानून पास कर चुके हैं कि 1948 के पहले के किसी भी धार्मिक स्थल के बारे मे कोई भी विवाद को माना नही जायेगा ! इसके बावजूद अयोध्या विवाद को बढ़ावा दिया गया और अब ग्यानवापी ! अगर यही आलम जारी रहा तो फिर दो – ढाई हजार साल पहले सिद्धार्थ गौतमबुद्ध और भगवान महावीर ने बौद्ध धर्म और जैन धर्म की स्थापना करने के बाद बिहार, ओरिसा तथा बंगाल और दक्षिणी भारत के हजारों की संख्या में मंदिर है जो बौद्ध स्तूपो के उपर खड़े किए गए हैं ! बोधगया से लेकर पूरी, भुवनेश्वर तथा आंध्र की नई राजधानी के निर्माण कार्य चल रहा अमरावती के खुदाई में बौद्ध धर्म के अवशेषों के निकलने के प्रमाण मौजूद हैं !
वर्तमान समय की अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया जैसे देशों का निर्माण आजसे पाचसौ साल पहले हुआ है ! और वहाके मुलनिवासी रेडइंडियन या आदिवासी और यही बात भारत को भी लागू होती है क्योंकि आर्य बाहरवाले है और मुलनिवासी आदिवासी तथा द्रविड भी अपने मातृभूमि की मांग कर रहे तो इस तरह की हरकतों को रोकने का नैतिक अधिकार वर्तमान सरकार को बिल्कुल भी नहीं है ! क्योंकि मानवीय सभ्यता के विकास के दौर में इस तरह के लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने की लाखों सालों की परंपरा रही है !
और नुआल हरारी की किताबों के अनुसार तो संपूर्ण विश्व के लोगों की मां एक ही है ! तो काले – गोरे, ब्राम्हण – दलित और हिंदुत्व कपूर के जैसा एक क्षण में हवा हो जाता है ! लेकिन हजारों सालों से उचनिच चला आ रहा है और यह अब वैज्ञानिक अनुसंधान के युग में सब कुछ साफ होते जा रहा है ! और हम विश्वगुरु बनने की रट लगा रहे हैं ! जब हमारे सभी की माँ एक ही है तो इतना होहल्ला करने की क्या जरूरत है ?
डॉ सुरेश खैरनार 8 मई 2022, नागपुर