प्रबंधन कमेटी में शामिल अधिकांश बोर्ड के गुनाहगार, कुछ की नजर कमेटी की गद्दी पर
भोपाल। व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की नीयत से किए गए एक इंतजाम में मप्र वक्फ बोर्ड बड़ी चूक कर बैठा है। इंदौर स्थित वक्फ दरगाह नाहर शाह वली के तत्कालीन कार्यपालक अधिकारी को उर्स संपन्न कराए जाने के लिए बोर्ड ने जो कमेटी गठित की है, उसमें अधिकांश वक्फ के दागदार हैं। इस कमेटी में एक मेंबर से तो बोर्ड को करीब साठ लाख रुपए की वसूली करना है, जिसके लिए कार्यवाही भी प्रचलन में है।
जानकारी के मुताबिक २३ फरवरी से होने वाले वक्फ दरगाह नाहर शाह वली के सालाना उर्स की व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए मप्र वक्फ बोर्ड ने एक प्रबंधन कमेटी गठित की है। करीब २१ सदस्यीय ये कमेटी दरगाह के कार्यपालक अधिकारी तहसीलदार सिराज खान को सहयोग करेगी। इस कमेटी में इम्तियाज़ मेमन, चांद खां पटेल, अन्नू पटेल, सलीम पटेल, शहजाद पटेल, वकील पठान, अजहर युनूस पटेल, नासिर शाह, युनूस पटेल, शेख मेहबूब, नौशाद अली, हाजी गुलाम उद्दीन, रशीद पटेल, भुरू सेठ, सलीम पटेल, मंसूर बाबा, युनूस पटेल गुड्डू, फहीम उल्लाह खान, शाहिद खान, इमरान शाह, राजा खान आदि शामिल हैं।
कोई दागी, कोई दावेदार
सूत्रों का कहना है कि २१ सदस्यों की इस कमेटी में शामिल युनूस पटेल पूर्व में दरगाह कमेटी के सदर रह चुके हैं। वर्ष २०१७ में तीन साल के लिए बनी युनूस पटेल की कमेटी को बोर्ड ने बीच कार्यकाल में वर्ष २०१९ में भंग कर दिया था। इसके साथ ही बोर्ड ने कमेटी अध्यक्ष युनूस पटेल से उनके कार्यकाल में हुई आमदनी की मांग भी की थी। तहसीलदार के माध्यम से की गई इस कार्यवाही के बीच युनूस पटेल से झूलों, दुकानों आदि से हुई दरगाह की आमदनी के करीब साठ लाख रुपए की मांग की है। इधर इस कमेटी में शामिल एक और मेंबर नासिर शाह ने इस दरगाह की जमीन और अन्य संपत्ति को उनकी निजी संपत्ति बताते हुए बोर्ड के खिलाफ मामला दर्ज कर रखा है। सूत्रों का कहना है कि पिछले सप्ताह ही इस मामले को लेकर अदालत में सुनवाई हुई है। इसके अलावा कमेटी में पूर्व सदर नवाब पठान के बेटे वकील पठान को भी शामिल किया गया है। सूत्रों का कहना है कि इस प्रबंधन कमेटी में शामिल कई मेंबरों के खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। साथ ही कई सदस्य ऐसे भी हैं, जो इस दरगाह कमेटी के अध्यक्ष बनने की होड़ में हैं।
प्रशासन की होगी बदनामी
मप्र वक्फ बोर्ड में कुछ समय बदले प्रशासक और सीईओ दरगाह नाहर शाह वली की व्यवस्थाओं से अनजान हैं। इसी तरह एक सप्ताह पहले नियुक्त किए गए कार्यपालिक अधिकारी तहसीलदार सिराज खान भी वक्फ मामलों के जानकार नहीं हैं। ऐसे में अपने लक्ष्य और मंशा के साथ प्रबंधन कमेटी में शामिल मेंबर प्रशासनिक अधिकारियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। इनके द्वारा किए गए गोंडोबल के लिए जवाबदार प्रशासक, सीईओ और कार्यपालक अधिकारी को बनना पड़ेगा। गौरतलब है कि चंद दिनों पहले ही इंदौर जिला वक्फ कमेटी अध्यक्ष डॉ शकील राज पर भी गंभीर आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। जो दरगाह कमेटी की व्यवस्था बदलाव के समय पूरी तरह सक्रिय रहे हैं।