विरासत स्वराज यात्रा आज 14 अक्टूबर 2021, रामनवमी के दिन तरुण आश्रम, भीकमपुरा में तरुण भारत संघ द्वारा संचालित विरासत स्वराज यात्रा के सात दलों के प्रतिनिधि मिले और अपनी-अपनी यात्रा की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। यह यात्रा अभी तक तमिलनाडू, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली क्षेत्र में चली है। आप जानते है कि, इस यात्रा का शुभारंभ गांधी जी के वस्त्र परिवर्तन स्थल और दिवस 22 सितम्बर 2021 को मदुरई से हुआ था। इसके बाद विभिन्न यात्री तरुण भारत संघ पहुँचे थे।
2 अक्टूबर 2021 को तरूण भारत संघ ने अपनी यात्रा सात दलों में शुरु की थी। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने अपनी यात्रा का शुभारंभ बासबाढ़ा से किया। इसके बाद गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान होते हुए दिल्ली आयी। दिल्ली के बाद यात्रा तरुण भारत संघ पहुँची थी। तरुण भारत संघ में इस यात्रा की अभी तक हुए कार्यक्रमों और भावी कार्यक्रमों पर चर्चा की। बागधारा जयेश जोशी के नेतृत्व में चल रही यात्रा की रिर्पोट देने हेतु जीत जोशी, अलवर से सुरेश रैकवार और छोटेलाला मीणा, करौली-सवाईमाधोपुर-धौलपुर से चमन सिंह और रनवीर सिंह और उनके साथी गण आये। इन सभी दलों द्वारा प्रदान की गए प्रस्तुत जानकारी उत्साह जनक है। जीत ने कहा कि, यह यात्रा राजस्थान के चार जिले, दो जिले मध्यप्रदेश और तीन जिले गुजरात के इस प्रकार 9 जिलों में राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में शुरू होकर, जयेश जोशी ने संचालन किया। 18 अक्टूबर को भानगढ़ में पहला चरण पूर्ण होगा।
छोटेलाल मीणा ने कहा कि, यह यात्रा तरूण भारत संघ के कार्य क्षेत्रों में आयोजित की हुई है। यहाँ जो जल, जंगल, जमीन की विरासत है, उस विरासत को सहेजने के लिए और बाघों को बचाने के विषय में ज्यादा बातचीत हुई। छोटेलाला मीणा ने कहा कि, शिक्षा हमारी सबसे बड़ी विरासत है। जल ही जीवन है, यही हमारी जीविका बनाती है। इसी से हमारा जमीर बनता है।
सुरेश रैकवार ने कहा कि, हम तरुण भारत संघ के आस-पास के विद्यालयों और गांवों में विरासत के प्रति चेतना जगाने और दिशा देने हेतु पचास से ज्यादा गाँवों में गए और तुलसी वितरण भी बहुत जोरों से किया। क्योंकि तुलसी हमारी औषधियों गुणों से परिपूर्ण विरासत है। सरिस्का के चारें तरफ बाघ विरासत बचाने की चेतना जगाई है। इस यात्रा में विद्यालयों, महाविद्यालयों के शिक्षक विद्यार्थियों सभी ने जारों से जुडे है।
चमन सिंह ने कहा कि, हमारे चंबल की मिट्टी, जल, जंगल जमीन इस सभी को हम अपना जीवन, जीविका, जमीर मानते है। यही हमारी सबसे बड़ी विरासत है। यह विरासत बचेगी तो लोगों को रोजगार मिलेगा। हम सभी इसको बचाने की चेतना में जुटे है और इस चेतना में बहुत उत्साह है। हमारे आस-पास के सैंकड़ों नए जल संरचनाओं का निर्माण करने और तुलसी रोपण में लोगों ने बहुत उत्साह दिखाया है। आज हम तुलसी के पौधें बड़ी मात्रा में तरूण भारत संघ भीकमपुरा से लेकर जायेंगे, क्योंकि हम चाहते है कि, हमारे चंबल क्षेत्र में बहुत तुलसी रोपण हो। आगे कहा कि, इस यात्रा के दौरान हम सैंकड़ों गांवों में गए है। सभी ने इस यात्रा का आदर के साथ स्वागत किया। रणथम्बोर हमारी यात्रा का क्षेत्र रहा है। करौली बफर क्षेत्र में इससे बहुत शिक्षक-विद्यार्थी जुड़े।
रनवीर ने कहा कि, हमनें अपने इलाकों के छात्र-छात्राओं, किसानों , मजदूरों सभी के साथ बैठक करके इस यात्रा के उद्देश्य बताये। इससे नए काम खोजने के बहुत तेजी से चेतना बड़ी है। इस यात्रा के दौरान हमनें नए कार्यकर्ताओं की क्षमता वर्धन का कार्य भी कर पाये। यह विरासत स्वराज हमारे लिए बहुत सार्थक रही है। हमारा इलाका जल संकट ग्रस्त है, इसलिए इस यात्रा में हमनें जीवन को जल, जीविका और जमीर को अपनी विरासत माना है। जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और उन्मूलन की दिशा में काम करने की सफलता मिली है।
रमेश भाई ने कहा कि, मैं 35 साल से तरुण आश्रम में आता-जाता रहा हूँ। इस बार विरासत स्वराज यात्रा में आकर क्षेत्र में विद्यालयों में गया जहाँ विद्यार्थियों के साथ बातचीत करके बहुत अच्छा लगा। मेरे लिए सबसे बड़ीयह बात रही कि, तरूण भारत संघ क्षेत्र के सभी स्कूलों में लड़कों के मुकाबले लडकियों की संख्या ज्यादा है। पहले जब में आता था तो लड़कियों की संख्या बहुत कम हेती थी। यह फर्क मेरे लिए सुखद है। मेरे लिए तो असली विरासत मेरे यह बच्चे है, यदि यह बच्चे अच्छे से पढ़ेंगे, तो हमारी अगली पीढ़ी अच्छी बन सकेगी। छुट्टी के दिन में भी विद्यालयों में कार्यक्रम कर सका मेरे लिए यही सबसे आश्चर्य की बात है।
अंत में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, इस यात्रा को शुरू करने का हमारा लक्ष्य है, हमारे देश और दुनिया में जो पंच महाभूत (भगवान) है, उन्हें बचाना बहुत जरुरी है। वर्तमान में लालची विकास का संकट इन पर छाया है। इससे बचाना है।
यह यात्रा पहले 6 महिनें भारत के सभी जिलों में जाएगी। अभी मैं इस यात्रा हेतु 15 से 24 अक्टूबर ‘सेवाग्राम से साबरमती’ इसके बाद 25 अक्टूबर को हिम्मत नगर, गुजरात जहाँ मैंने 1993 में अरावली बचाओ दिल्ली तक की पद यात्रा की थी, इसके उपरांत में दिल्ली, मदुरई तक सतत् यात्रा चलती रहेगी। यह यात्रा जय-जगत और वसुधैव कुटुम्बकम की विरासत की चेतना जगाने वाली है। 7 नंवम्बर 2021 को कन्याकुमारी से आरंभ होकर 26 नंवम्बर 2021 को दिल्ली पहुँचेगी। तब तक अन्य यात्रा दल भी अपनी यात्रा शुरू कर देगें। यात्रा आज तरुण भारत संघ, भीकमपुरा में रूकी हुई है।