सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विदाई समारोह पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसीएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि ये दुख की बात रही कि प्रधान न्यायाधीश के उपर भी आरोप लगाए गए.

गौरतलब है कि कई दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट के जजों ने प्रेस कांफ्रेंस करके मुख्य़ न्यायाधीश के ऊपर ये आरोप लगाए थे कि वो महत्वपूर्ण फैसलों को अपने पास रखते हैं और बाकी के अन्य मुद्दों को हमें सौंप देते हैं, जो कि अपने आप में एक भेदभावपूर्ण कृत्य है. मालूम हो कि हिन्दूस्तान की न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि सुप्रीम कोर्ट के जजों ने प्रेस कांफ्रेंस करके न्यायपालिका के कामों को मीडिया के समक्ष उजागर किया था.

इसके साथ ही सीजेआई के विदाई समारोह में केके वेनुगोपाल ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों के ज्ञान की कद्र विदेशों में बहुत होती है. जिसको ध्यान में रखते हुए उन्हें डॉलर्स में वेतन दिया जाता है.

बता दें कि कल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की विदाई समारोह थी और अब कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश रंजन गंगोई होंगे. दीपक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज 8 सालों तक और मुख्य जज के तौर 13 महीने तक काम किया.

अपने कार्यकाल के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने अनेकों ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनको हमेशा याद किया जाएगा. गौरतलब है कि जुलाई 2015 को  मुंबई धमाके के आरोपी याकूब मेमन की सजा रुकवाने वाली जनहित याचिका पर पूरी रात सुनवाई हुई, इस मुद्दे को लेकर पूरी रात-भर बहस चली और आखिरकार मुख्य न्यायाधीश ने मेमन की फांसी की सजा बरकरार रखी.

2016 में जस्टिस दीपक मिश्रा ने सिनेमा घरों में राष्ट्र गान चलाने को लेकर फैसला दिया, जिसमें उन्होंने  सिनमें घरों में राष्ट्रगान को लेकर कहा कि ये दर्शक के विवेक पर निर्भर करता है कि वो राष्ट्रगान के समय खड़े होते है कि नहीं फिलहाल सिनेमाघरों राष्ट्रगान चलेगा

समलैंगिकता को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने भी अहम फैसला सुनाया और इसे संवैधानिक करार दिया है. इसके साथ ही उन्होंने केरल के सबरीमाल मंदिर में भी 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं पर रोक के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए. मंदिर के उस नियम को निरस्त कर दिया जिसमें 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को मंदिर जाने पर रोक थी, अब सभी मंदिर जा सकते है.

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