नई दिल्ली: बड़े बाप की औलादें इतनी बेलगाम क्यों हो जाती हैं कि उनका अपने पर काबू नहीं रह पाता और फिर उनकी करनी की भरपाई माँ- बाप को अपने जीवन भर की जुटाई इज्जत गंवा कर करना पडता है. राजनीतिबाजों के साथ तो और भी मुसीबत है. इनका तो बेचारों का राजनीतिक सफ़र ही अपनी सपूतों की करतूतों से समाप्त हो जा रहा. फिर चाहे वह हरियाणा के कभी के कद्दावर कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा रहे हों या पश्चिमी उत्तरप्रदेश के दबंग डीपी यादव, इन सबके राजनीतिक कैरियर का बंटाधार इनके ‘कपूतों’ ने किया .
हरियाणा बीजेपी के प्रांतीय अध्यक्ष सुभाष बराला इस लिस्ट में शामिल होने वाले नए सियासतबाज हैं. हालांकि इनका सियासी कैरियर अभी ठहरा नहीं है, पर जैसे ही सियासी समीकरण बदलेंगे इनकी मुसीबतें शुरू हो जायेंगी. सुभाष बराला के बेटे विकास बराला पर अगस्त के पहले पखवारे में एक आईएएस अफसर की बेटी वर्णिका कुंडू के साथ नशे में धुत्त होकर छेड़खानी करने का जब आरोप लगा, तब पिता को इस पर कठोर कदम उठाना चाहिए था पर उन्होंने बेवजह बेटे को बचाने की कोशिश की.
विकास बराला पहले तो इस तरह की घटना से ही इनकार करते रहे. पर जब उन की हरकतों की शिकार वर्णिका ने ब्योरा दिया तो लोगों ने दाँतों तले अंगुली दबा ली. वर्णिका के मुताबिक़ घटना वाली रात 2 बजे वह सेक्टर-8 मार्केट से खुद की कार से घर के लिए निकली थी, तो कुछ लड़कों ने गाड़ी का पीछा करते हुए उसे रुकवाने की कोशिश की. लड़कों ने कई बार उसकी गाड़ी के शीशे पर हाथ मारा और गंदे इशारे किए.
वर्णिका ने मीडिया को बताया कि अगर उसने गाड़ी नहीं भगाई होती तो उनका रेप और मर्डर भी हो सकता था. वर्णिका का कहना था कि उसे सेक्टर-7 के पास पता चला कि एक टाटा सफारी गाड़ी मेरा पीछा कर रही है. जब उन्होंने रास्ता बदलने की कोशिश की, तो आरोपियों ने गाड़ी से रास्ता रोककर उसे सेक्टर-26 की ओर चलने पर मजबूर कर दिया.
वर्णिका ने पुलिस को फोन किया तो आरोपी पकड़े गए. पूछताछ मुख्य शोहदे ने अपना नाम विकास बराला बताया. वह भाजपा के प्रांतीय अध्यक्ष का बेटा था. उस के साथ उसका दोस्त आशीष भी था. दोनों ने जमकर शराब भी पी रखी थी. जाहिर है दोनों युवकों को गिरफ्तारी के कुछ देर बाद ही जमानत पर रिहा कर दिया गया.
मामला चर्चा में आया, तो एफआईआर दर्ज हुई, पर धाराएं बदली जाने लगीं. लड़की पर कीचड उछाले जाने लगे. लड़की के पिता वीएस कुंडू ने खुलासा किया कि वारदात की रात उनको आरोपी विकास बराला के पिता सुभाष बराला ने 6 बार फोन कॉल किया था. उन्होंने हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष बराला का फोन नहीं उठाया, क्योंकि वह जानते थे कि उन पर दबाव बनाया जा सकता है.
बाद में बीजेपी के एक दूसरे नेता ने वीएस कुंडू से कहा कि पीड़िता और आरोपी दोनों एक ही जाति से हैं. इसलिए उनको समझौता कर लेना चाहिए. लेकिन उन्होंने समझौते से साफ इंकार कर करते हुए कहा कि आरोपी किसका बेटा है, इसकी उनको कोई परवाह नहीं है. उनको उनकी बेटी की चिंता है. उसके साथ गलत हुआ है. उसे इस मामले में जरूर न्याय मिलना चाहिेए.
पीड़िता के पिता वीएस कुंडू ने यह भी कहा कि वारदात की रात वह अपने बेटी के साथ थाने पहुंचे थे. वहां उन्होंने पुलिस से आरोपियों के मेडिकल जांच की बात कही थी. करीब दो घंटे के बाद पुलिसवालों ने बताया कि विकास बराला और उसके साथ के मेडिकल जांच में नशे में होने की पुष्टि हुई है. उनकी मेडिकल टेस्ट हुए हैं, जबकि बाद में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने सैंपल ही नहीं दिया.
आरोपियों का मेडिकल करने वाले डॉक्टर हरजोत सिंह का कहना था कि विकास बराला और आशीष को गिरफ्तार करने के बाद चंडीगढ़ पुलिस मनी माजरा के सिविल हॉस्पिटल में मेडिकल कराने के लिए लेकर आई थी. पुलिस ने ऐसी कोई रिक्वेस्ट नहीं की थी कि आरोपियों का यूरिन या ब्लड सैंपल लिया जाए. आरोपियों ने यूरिन और ब्लड सैंपल देने से मना कर दिया था.
इसके बाद डॉक्टर ने सिर्फ सूंघ कर मेडिकल रिपोर्ट तैयार की थी. यदि चंडीगढ़ पुलिस डॉक्टर को यह कहती कि इनका यूरिन और ब्लड सैंपल लिया जाए, तो यह केस और मजबूत हो सकता था. इसके साथ ही शराब की पूरी सच्चाई भी उसी वक्त साफ हो सकती थी, लेकिन पुलिस ने डॉक्टर को ऐसी कोई रिक्वेस्ट नहीं की थी. अब उलटे कुंडू पर पुलिस को गुमराह करने का आरोप लगाया जा रहा है.
इस बीच पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे तो चंडीगढ़ एसएसपी ईश सिंघल ने दावा किया कि, ‘चंडीगढ़ पुलिस दबाव में नहीं हैं, नहीं तो पहले दिन एफआईआर दर्ज क्यों करते?’ किडनैपिंग की धारा जोड़े जाने पर कहा कि जरूरत पड़ी तो और धाराएं भी जोड़ी जाएंगी.
इस मामले की जांच में शुरूआती पहलुओं की पड़ताल की जा रही थी तो पाया गया कि जिस रास्ते से वर्णिका और विकास बरला की कारें निकली हैं उनमें से 9 जगह पर लगे सीसीटीवी कैमरों में से 5 सीसीटीवी कैमरे खराब थे और बाकी 4 सीसीटीवी कैमरों में कुछ खास रिकॉर्ड नहीं हुआ. यह हाल देश उस शहर का है , जो केंद्र शासित है. जहां दो-दो राज्यों हरियाणा और पंजाब की राजधानी और इनके सहित हिमाचल प्रदेश यानी तीन राज्यों का हाई कोर्ट भी है.
इस मामले में शिकार होने से बच गयी बहादुर लड़की खुद बड़े प्रशासनिक अफसर की बेटी थी और जिस पर आरोप लगा था वह भाजपा के बड़े नेता का बेटा था. भाजपा दावा करती है कि वह अलग चाल चरित्र और चेहरे वाली पार्टी है. पर इस मसले पर उसकी काररवाई शुकून देने वाली नहीं थी. इस मामले को राजनीतिबाज बनाम आईएएस नहीं या केवल एक आधुनिक लड़की बनाम लम्पट लड़कों के तौर पर नहीं, बल्कि देश की सभी लड़कियों की अस्मिता से जोड़ कर देखा जाना चाहिए था, जो नहीं हुआ.
दीवाली पर हम लक्ष्मी पूजा करते हैं और नवरात्री में कुमारी पूजन, क्या हमें यह देखना नहीं चाहिए कि कोई चाहे जितने भी बड़े बाप का बेटा क्यों न हो, अपनी जद न लांघे और उसके किये की सजा उसे जरूर मिले.
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