यह है अमेरिकी संसद के भीतर का आजका नजारा ! कुल 6200 नेशनल गार्ड संसद के अंदर तैनात हैं ! और पूरे राजधानी क्षेत्र में 20,000 हजार नैशनल गार्ड तैनात रहेंगे ! इराक,तथा सिरिया मे तैनात अमेरिकी सेना के तीनों गुनी ज्यादा सेना को आज वाॅशिग्टन डीसी के क्षेत्र में तैनात किया है !

जिस जनतंत्र के लिए सेना या पैरामिलिटरी की मदद लेनी पडे क्या उसे स्वस्थ माना जाएगा ? क्या यही दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र की कामयाबी का लक्षण है ? डोनाल्ड ट्रंप के सात करोड़ से भी ज्यादा लोगों का समर्थन है हालाँकि नवम्बर के चुनाव में उसे इससे ज्यादा वोट मिले हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह कुछ भी कर ने के लिए मुक्त है फिर हिटलर और मुसोलिनी के लिए भी यही तर्क लगाकर देखने से वह दोनों भी इटली और जर्मनी की संसद में चुनकर ही गए थे !

वह बार-बार बोल रहा है कि अगर मेरे उपर इंमपिचमेंट का मामला चलाया गया तो देश में अराजकता फैल जायेगी यह सावधानि के लिए कह रहा है या धमकी दे रहा है ? हालाँकि चार साल पहले अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर लोगों ने इस नमुने को चुना था ! यह बात ध्यान देने की बात है कि अमेरिकी जनता मे एक तबका ऐसा भी है कि जो डोनाल्ड ट्रंप को चाहता है ! और वह उसके इशारोंपर हथोमे बंदूक लेकर छ जनवरी के दिन संसद भवन की दिवारो पर छिपकलियों की तरह चढकर संसद भवन के अंदर घुसने मे कामयाब हुए थे !

जिसमें पाँच लोगों को अपनी जान गवानी पडी ! और अब एक हप्ते के भीतर नये राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने के लिए विशेष रूप से इराक या सिरिया के भूमि पर जितने अमेरिकी सैनिक है उससे तीन गुना अधिक सैनिकों की बहाली 20 जनवरी के लिए विशेष रूप से वाॅशिग्टन डीसी के क्षेत्र में की गई है और सैनिक अपनी जगहों पर जाने की शुरूआत भी हो चुकी है जिसकी झलक संसद की फर्श पर आराम करने वाले 6200 नेशनल गार्ड की यह फोटो प्रमाण है !

महात्मा गाँधी जी के आज से 111 साल पहले के हिंद स्वराज्य नाम की किताब मे दिया है कि पार्लियामेंट एक ऐसा बच्चा है जिसकी कभी बडे होने की शुरूआत ही नहीं हुई वह जबसे पैदा हुई तब से वैसे ही है ! और आज यह बात अमेरिकी संसद के भीतर का आजका नजारा देखने बाद तो मुझे रत्तीभर का भी संशय नहीं है जिसे सुरक्षा के लिए छ हजार से भी ज्यादा सुरक्षाबलोकी मदद लेनी पडे क्या उसके बडे होने का लक्षण है ? और वह भी दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र की यह स्थिति है !

और महाभियोग की कार्रवाई पर डोनाल्ड ट्रंप कह रहे हैं कि इससे देश गुस्से में है ! बिल्कुल 27 फरवरी की गोधरा की घटना के बाद नरेंद्र मोदी और अटल बिहारी वाजपेयी तथा समस्त संघ परिवार की भी यही प्रतिक्रिया थी ! या राममंदिर के निर्माण के लिए दिया गया सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के समर्थन में कुछ तथाकथित सेकुलर न्यायविदों के भी यही प्रतिक्रिया थी !

फिर संविधान किसलिए होता है ? अगर लोगों के गुस्से का तर्क मानने की बात है तो कश्मीरी लोगों के गुस्से का क्या ? या पिछ्ले साल इन्ही दिनो चल रहे नागरिकता विरोधी कानून के खिलाफ हो रहा गुस्से का क्या ? और वर्तमान समय में गत पचास दिन से चल रहे किसानों के आंदोलन के गुस्से का क्या ? किसके गुस्से को जायज ठहराने और किसके नहीं यह कौन तय करेगा ?

और उसने खुद संसद के उपर हमला करने के लिए लोगों को उकसाने का काम किया है और आज की बात है कि वह सीधे तौर पर धमकी दे रहा है कि अगर मेरे उपर इंमपिचमेंट का मामला चलाया गया तो देश में अराजकता फैल जायेगी !
गत चार साल से अमेरिका में वैसे भी क्या चल रहा था ? दो सौ साल से भी ज्यादा समय हो रहा है अमेरिकी जनतंत्र को लेकिन इस तरह के माहौल नहीं बना था जो आज डोनाल्ड ट्रंप के कारण बन गया है यह तो अमेरिका के इतिहास का सबसे शर्मनाक दौर चल रहा है ! और वह जिस बेशर्मी से और आत्मविश्वास के साथ बोले जा रहा है !

वह हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री के लिए विशेष रूप से सबक है ! क्योंकि उन्होंने छ जनवरी के घटना को लेकर अफसोस तो जाहिर किया है ! लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के बारे मे एक शब्द भी नहीं बोला ! और वह क्यों नहीं बोले यह हम सभी भारतीयों के लिए विशेष रूप से चिंता की बात है !

क्या यह परोक्ष रूप से डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन तो नहीं ना कर रहे हैं ? क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप के 2016 मे चुनकर आने के बाद भारत में पहलीबार किसी विदेशी राष्ट्रपति के लिए चुनाव के बाद जश्न-ए-आजादी जैसी पूजां-अर्चना की गई थी और वह लोग कौन थे ? फिर उनके दूसरे बार के चुनाव प्रचार में अमेरिका और भारत में किसने हावडी मोदी और मोटेरा स्टेडियम में भीड इकठ्ठा करनेका काम कौन किया है ?

क्योंकि भारत के इतिहास में पहली बार कोई प्रधानमंत्री इसी नमूने के चुनाव प्रचार में अमेरिका और वह भी गुजरात की राजधानी अहमदाबाद के फरवरी 2019 मे दो सौ करोड़ रुपयेसे भी ज्यादा चुना लगाकर और कोविद का संकटोकी शुरूआत होने के बावजूद ! इस कृत्य की मै एक भारतीय नागरिक होने के नाते घोर निंदा करता हूँ !

डॉ सुरेश खैरनार

 

Adv from Sponsors