11 दिसंबर का दिन हाल के सियासी माहौल में महत्वपूर्ण है. एक तरफ इस दिन पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ संसद का शीत सत्र शुरू होने वाला है. लेकिन उससे एक दिन पहले, आज बड़ा सियासी फेरबदल हो गया. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को भाजपा नित एनडीए सरकार से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की एनडीए सरकार से बिहार को जो आस थी वह पूरी नहीं हुई.
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुशवाहा ने कहा कि पीएम ने बिहार को विशेष पैकेज देने की घोषणा की थी, लेकिन कुछ नहीं मिला. बिहार आज भी वहीं खड़ा है जहां पहले खड़ा था. राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. कुशवाहा ने यह भी कहा कि ओबीसी के लोग निराश हुए हैं. ओबीसी वर्ग आज ठगा हुआ महसूस कर रहा है. पीएम मोदी ने ओबीसी के कमजोर तबके के वर्गीकरण की बात कही थी, लेकिन उसे भी कमिटी बनाकर टाल दिया गया. प्रधानमंत्री के साथ साथ उन्होंने नीतीश को भी आड़े हाथो लिया और कहा कि नीतीश कुमार के राज में बिहार में घोर अन्याय हुआ है. राज्य सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार और बीजेपी ने उनकी पार्टी को बर्बाद करने की कोशिश की. कुशवाहा ने कहा कि नीतीश का अजेंडा मुझे बर्बाद करने का था. मेरी पार्टी को नुकसान पहुंचाने का प्रयास इनकी तरफ से होता रहा.
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गौरतलब है कि रालोसपा प्रमुख पिछले कुछ समय से भाजपा और उसके अहम सहयोगी दल के नेता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं. बिहार में जदयू और भाजपा गठबंधन की सरकार में रालोसपा को भागदारी नहीं मिली थी, जिसके बाद से उनकी नाराजगी सार्वजनिक रूप से सामने आई. उसके बाद लोकसभा चुनाव की सीटों को लेकर शुरू हुई चर्चा में जब उन्हें पता चला कि उन्हें दो से ज्यादा सीटें नहीं दी जाएंगी, तो उन्होंने बागी तेवर अपना लिया.
बीते दिनों रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता के माध्यम से कुशवाहा ने इसके संकेत दे दिए थे कि वे जल्द अपनी राहें जुदा कर सकते हैं. मोतिहारी में उन्होंने कहा था कि लोग हमारे भविष्य की रणनीति को लेकर आस लगाए बैठे हैं. उन्हें मैं साफ़ करना चाहता हूं कि सुलह-समझौता करने के उनके सभी प्रयासों को अब तक सफलता नहीं मिली है. इसलिए आने वाले दिनों में ‘अब याचना नहीं रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा.’
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बीते कुछ समय से वे विभिन्न मुद्दों पर खुलकर भाजपा के खिलाफ भी बोल रहे हैं. राम मंदिर मुद्दे को लेकर कुशवाहा ने भाजपा पर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि ये मुद्दा उठाकर जनता का ध्यान भटकाने का काम किया जा रहा है. राजनीतिक दलों का यह काम नहीं कि कहां मंदिर या मस्जिद बने. अगर मंदिर बनाना है तो उचित तरीक़े से बनाइए. ये देश संविधान से चलता है और संविधान धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत से चलता है. कुशवाहा की राहुल गांधी से भी बातचीत हुई है. अब जबकि कुशवाहा ने एनडीए का दामन छोड़ दिया है, तो वे महागठबंधन में शामिल होंंगे. इसके बाद बिहार में नए सिरे से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों का बंटवारा होगा. महागठबंधन में बिहार में पहले से कांग्रेस और राजद के अलावा मांझी की हम और शरद यादव की पार्टी लोजद शामिल हैं.