वाल्मीकिनगर में चिंतन शिविर और मोतिहारी में रैली के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने सीटों पर तालमेल के लिए सारे दरवाजे खोल दिए हैं. उनके जेहन में एनडीए और महागठबंधन के बीच जो दीवार थी, उसे उन्होंने मिटा दिया है और अब खालिस राजनीतिक नफा नुकसान के थर्मामीटर को देखकर ही वे तालमेल की गाड़ी को आगे ले जाने वाले हैं. एक नई बात यह भी हुई है कि तालमेल को लेकर अपने दूतों की सीमाओं को भी उन्होंने सीमित कर दिया है और कमान पूरी तरह से अपने हाथों में कर लिया है.
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अब चाहे भाजपा हो या फिर कांग्रेस या राजद, सभी दलों के प्रमुख नेताओं से उपेंद्र कुशवाहा की सीधी बात हो रही है. रालोसपा के सूत्र बताते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी ने यह साफ कर दिया है कि अपमान सहकर कोई समझौता नहीं करना है. कुशवाहा समाज सम्मान का भूखा है, इसलिए जो बात हो बाइज्जत हो. चिंतन शिविर के बाद उपेंद्र कुशवाहा के मन में भी जो दुविधा थी वह बहुत हद तक दूर हो गई है. अब वक्त सही फैसले का है जिसके लिए अब वे खुद कमान संभाल रहे हैं.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से बहुत ही सकारात्मक जबाव मिला है, जिससे कुशवाहा के हौसले बुलंद हुए हैं. यहां यह साफ कर देना जरूरी है कि इस तरह की कोई भी बात कुशवाहा खुद अपने स्तर पर कर रहे हैं न कि कोई भाया मीडिया. तालमेल की जिम्मेदारी खुद अपने कंधों पर लेने के बाद उन्होंने पार्टी को नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा लेने का आदेश दिया है. रालोसपा ने जदयू को विकास के मुद्दे पर बहस की खुली चुनौती दी है. पार्टी नेता राजेश यादव कहते हैं कि जदयू के सारे प्रवक्ता मेरी पार्टी के सारे प्रवक्ताओें से विकास पर खुली बहस कर लें.
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नीतीश कुमार 15 साल से मुख्यमंत्री हैं, पता तो चले कि बिहार में कितना विकास जमीन पर हुआ है. राजेश यादव का कहना है कि बेहतर हो कि नीतीश कुमार विकास पर उपेंद्र कुशवाहा से गांधी मैदान में खुली बहस कर लें. बिहार की जनता को सच्चाई का पता चल जाएगा. राजेश यादव ने बताया कि रालोसपा 2 फरवरी को आक्रोश मार्च निकालेगी और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेगी.