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रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने काॅलेजियम सिस्टम पर सवाल खड़े करते हुए काॅलेजियम सिस्टम को लोकतंत्र के लिए धब्बा बताया है। उन्होंने कहा कि काॅलेजियम व्यवस्था पूर्ण व्यवस्था नहीं है क्योकिं यह देश के सभी लोगों को अवसर नहीं दे पा रही है। न्यायापालिका में खासकर सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में जजों की नियुक्ति में इस सिस्टम में प्रतिभा होने के बावजूद वहां जाने का मौका नहीं मिलता।
एक तरह से जजों की नियुक्ति नहीं उत्तराधिकारी की नियुक्ति होती है। देश में चाय बेचने वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री और अखबार बेचने वाला राष्ट्रपति बन सकता है, लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को पत्र लिख कर अभियान में शामिल होने का आग्रह करेंगे।
उन्होंने कहा कि न्यायापालिका में नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में पार्टी के लोगों सहित अन्य लोगों को भी जानकारी दिलाना पार्टी का मुख्य मकसद है। रालोसपा की ओर से ‘हल्ला बोल दरवाजा खोल’ अभियान में न्यायिक व्यवस्था का लोकतांत्रिक विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उपेंद्र कुशवाहा बोल रहे थे। कुशवाहा ने कहा कि न्याय होना ही काफी नहीं, यह हो रहा है,यह भी दिखना जरूरी है, तभी लोगों का भरोसा बढ़ेगा। न्याय प्रतिक्रिया पर लोगों का भरोसा बढ़े इसके लिए सभी का प्रतिनिधित्व जरूरी है।
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