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मुरैना जिले में जौरा तहसील की इस्लामपुरा निवासी किन्नर मंजू उर्फ पायल पढ़ी-लिखी तो नहीं, लेकिन इलाज से महरूम एक मासूम बच्ची को गोद लेकर उसने एक मिसाल कायम किया है. सीमित आमदनी के बावजूद उसने एक असहाय मां-बाप की मदद की और बच्ची का इलाज करा उसेे जीवनदान दिया. इतना ही नहीं, बच्ची के मां-बाप की सहमति से गोद लेकर मासूम का भविष्य संवारने का जिम्मा भी अपने ऊपर लिया. दूसरों की खुशियों में नाच-गाकर गुजारा करने वाली मंजू ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से प्रेरणा लेकर समाज के लिए सराहनीय कार्य किया है.

मंजू को एक साल पहले जानकारी मिली कि ग्वालियर क्षेत्र का एक ग्रामीण परिवार आर्थिक विपन्नता के कारण अपनी बेटी का इलाज कराने में असमर्थ है. तभी मंजू ने उस बच्ची तनिष्का का इलाज कराने और गोद लेने का फैसला कर लिया. वह तनिष्का के परिजनों से मिलने गई. मासूम बच्ची के मां-बाप अपनी बेटी मंजू को गोद देने के लिए तैयार हो गए. मंजू ने कटे होठ वाली बच्ची का मुरैना, आगरा व ग्वालियर में इलाज कराया. बच्ची के पूर्णतया स्वस्थ होने के बाद मंजू अब उसके लालन-पालन में पूरी तरह से जुट गई है. वह अपनी बेटी के पूर्ण स्वस्थ होने के लिए ईश्वर को धन्यवाद देना भी नहीं भूलती. मंजू अब अपनी बेटी को पढ़ालिखाकर एक बड़ा पुलिस अधिकारी बनाना चाहती है. वह अपने इस नेक कार्य का कहीं जिक्र नहीं करती. लोगों को इसकी जानकारी तब मिली जब मंजू ने अपनी बेटी की द्वितीय वर्षगांठ पर जौरा में एक सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया. इस दौरान नाच-गाने के जश्न के साथ मंजू के आंगन में बेटी की किलकारियां गूंजती रहीं. इस जश्न में शरीक होने के लिए दिल्ली, गाजियाबाद, मुरैना एवं अन्य दूर-दराज से मेहमान आए.

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बेटी को हर खुशी देने की हसरत

प्रकृति ने भले ही किन्नरों के मां बनने की हसरत छीन ली हो, लेकिन आज मंजू अपनी पूरी ममता असहाय बच्ची पर उड़ेल देना चाहती है. वह अपनी गोद ली हुई बेटी की हर इच्छा पूरी करने के लिए मां की तरह मचल उठती है. वह दुनिया की हर खुशी मासूम बच्ची की झोली में डाल देना चाहती है. मंजू की तमन्ना है कि उसकी बेटी एक ईमानदार पुलिस अफसर बन समाज में गरीबों पर हो रहे अत्याचार को रोकेे.

चंबल का कलंक धोने की कोशिश

चंबल में बेटियों को दोयम दर्जे का समझ आज भी उन्हें मूलभूत सुविधाओं से महरूम रखा जाता है. चंबल का इतिहास बच्चियों के जन्म लेते ही मार देने का गवाह रहा है, ऐसे माहौल में एक किन्नर ने उम्मीदों की एक दुनिया कायम की है. मंजू का यह कदम सिर्फ अपने लिए जीने वाले समाज के लिए एक सबक ही नहीं, अपितु सरकार द्वारा चलाए जा रहे बेटी बचाओ अभियान का भी एक सार्थक उदाहरण है.

 बसाए गरीब परिवार की बेटियों के घर

किन्नर मंजू भले ही आर्थिक रूप से इतनी संपन्न नहीं है, लेकिन वह हमेशा दूसरों के जीवन में खुशियों के रंग भरने के लिए तैयार रहती है. स्थानीय लोगों के मुताबिक लोगों की खुशियों में शरीक होकर नाचने-गाने पर उसे जो नेग मिलता है, उसका एक बड़ा भाग वह सामाजिक व धार्मिक कार्यों में खर्च करती है. मंजू मुख्यमंत्री कन्यादान योजना से प्रेरित होकर अभी तक आधा दर्जन से अधिक गरीब परिवार की लड़कियों की शादी भी करा चुकी हैं.

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