केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सफाई मंत्री साध्वी उमा भारती एक बार फिर अपने वक्तव्य को लेकर चर्चा में हैं. उनके इस ताजे बयान को लेकर देवभूमि उत्तराखंड में खासा उबाल देखने को मिल रहा है. गंगा तटों पर अस्थि विसर्जन रोकने संबंधी इस बयान की चारों तरफ़ जोरदार निंदा हो रही है. हरिद्वार एवं ॠषिकेश में विभिन्न संगठनों-संस्थाओं ने बैठक करके चेतावनी दी कि यदि ऐसा हुआ, तो गंगोत्री से गंगा सागर तक आंदोलन किया जाएगा.
हरिद्वार स्थित श्रीजयराम संस्थाएं के पीठाधीश्वर एवं उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि इस तरह के बयान से पूरी मोदी सरकार बेपर्दा होती है. सरकार के मंत्री का यह बयान सनातन एवं हिंदू संस्कृति के विपरीत है. गंगा का धरती पर अवतरण लोगों को मोक्ष प्रदान करने के लिए हुआ था. पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बनकर काम कर रही उमा भारती ऐसा बयान देकर जनता को असल मुद्दे से भटकाना चाहती हैं. ब्रह्मचारी ने कहा कि साध्वी होने के बावजूद उमा में सनातन एवं लोग संस्कृति की समझ का घोर अभाव है. त्रिवेणी घाट सहित धर्मनगरी में गंगा को गंदा करने वाले नाले कैसे बंद हों, कानपुर एवं वाराणसी में गंगा में औद्योगिक कचरे का गिरना कैसे बंद हो, सरकार को इस दिशा में कोई सार्थक पहल करनी चाहिए. ऐसा न करके मोदी सरकार जनभावना के साथ खिलवाड़ कर रही है, जो सर्वथा अनुचित है.
नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत चरितार्थ कर रही केंद्र सरकार ने एक तरफ़ गंगा की सफाई को प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट घोषित कर रखा है, दूसरी तरफ़ मंत्रालय की मुखिया साध्वी उमा भारती केवल जुबानी तीर चलाकर जनता में हलचल पैदा कर रही हैं. शायद इसी वजह से राज्य सरकारें उनके साथ सहयोग नहीं कर पा रही हैं. पिछले दिनों गंगा प्राधिकरण की एक बैठक हुई. इस संबंध में पत्रकारों को भी बुलाया गया, लेकिन उन्हें तब तक इंतज़ार कराया गया, जब तक उत्तर प्रदेश जैसे सबसे बड़े राज्य के प्रतिनिधि वहां से विदा नहीं हो गए. उस बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को छोड़कर किसी भी मुख्यमंत्री ने हिस्सा नहीं लिया. रावत को प्रेसवार्ता में शामिल नहीं किया गया. कुल मिलाकर गंगा को लेकर इन दिनों काम कम और राजनीति ज़्यादा हो रही है. हरिद्वार में ऑल इंडिया ब्राह्मण फेडरेशन की बैठक में महिला ब्राह्मण फेडरेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम भक्त ने कहा कि अनर्गल प्रलाप और सनातन संस्कृति विरोधी क़दम के कारण साध्वी उमा भारती का विरोध किया जाएगा. डॉ. राजेंद्र पाराशर ने परंपराएं तोड़ने का आरोप लगाते हुए उमा से त्याग-पत्र देने की मांग की.
तीर्थ पुरोहितों की एक बैठक में चिराग कीर्तिपाल, ईशांत वशिष्ठ, शांतनु, गौरव झा, शिवम क्षोत्रिय, श्रीकांत एवं प्रशांत ने उमा के बयान की निंदा की. तीर्थ मर्यादा रक्षा समिति की बैठक में अध्यक्ष संजय चोपड़ा ने मांग की कि प्रधानमंत्री मोदी उमा को गंगा से जुड़े मंत्रालय से हटाएं. प्रदेश युवा कांग्रेस ने प्रदीप अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया कि उमा के हरिद्वार आगमन पर उन्हें काले झंडे दिखाकर विरोध किया जाएगा. जनसंघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष गुलशन खत्री ने कहा कि उमा संत होते हुए भी गंगा का इतिहास भूल गई हैं. महानगर व्यापार मंडल के सुनील सेठी ने कहा कि यदि यात्री गंगा तट पर नहीं आएंगे, तो व्यापार ठप हो जाएगा. बड़ा बाज़ार व्यापार मंडल की बैठक में चेतावनी दी गई कि उमा परंपराओं से खेलने का दुस्साहस न करें.
भाजपा गंगा प्रकोष्ठ के सह संयोजक प्रवीण शर्मा ने कहा कि परंपराओं को नहीं बदला जा सकता. उमा भारती चाहती हैं कि अस्थि विसर्जन वहां हो, जहां जल प्रचुर मात्रा में हो. हरिद्वार में भरपूर जल है, अत: यहां अस्थि विसर्जन नहीं रोका जा सकता. राहुल-प्रियंका ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि
प्राचीनकाल से गंगा में अस्थि विसर्जन होता आ रहा है और अब प्रदूषण के बहाने उस पर रोक लगाने का फैसला लेकर उमा भारती जनभावना से खेल रही हैं. उमा के बयान से सबसे ज़्यादा हैरान बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के विद्वान हैं. काशी श्मशान एवं मोक्ष के लिए ही जानी जाती है. उमा के बयान की सर्वत्र निंदा हो रही है. लोगों का यह भी कहना है कि सरकार महंगाई और काला धन जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान बांटने के लिए उमा को मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रही है.
उत्तराखंड: उमा के बयान पर उबाल
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