पीडीपी को आज उस वक्त जबरदस्त झटका लगा, जब उसके दो पूर्व विधायकों ने नेशनल कांफ्रेंस ज्वाइन कर ली. पीर मोहम्मद हुसैन और सैयद बशारत बुखारी दोनों पार्टी के महत्वपूर्ण और नेताओं में गिने जाते हैं. याद रहे कि इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री डॉ. हसीब द्राबू सहित 4 पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता पीडीपी छोड़ चुके हैं. डॉ. हसीब द्राबू किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन अन्य तीन पूर्व विधायक, जिनमें मुहम्द अब्बास वानी, इमरान रजा अंसारी और आबिद अंसारी शामिल हैं, सज्जाद लोन की पीपल कांफ्रेंस में शामिल हो गए हैं.
सैयद बशारत अली और पीर मुहम्मद हुसैन के पार्टी छोड़ कर जाने को पीडीपी के लिए एक बड़ा झटका समझा जा रहा है. बशारत अली ने पार्टी छोड़ने की कोई वजह नहीं बताई है. जबकि पीर मुहम्मद हुसैन ने नेशनल कांफ्रेंस में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पीडीपी उन वादों को पूरा करने में नाकाम रही, जो उन्होंने 2014 के विधानसभा चुनाव में वोट मांगने के दौरान किए थे. उन्होंने कहा कि पीडीपी ने यह कह कर लोगों से वोट मांगे थे कि वह भाजपा को राज्य से दूर रखेगी. लेकिन जब लोगों ने पीडीपी को वोट दिया और यह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो इसने अपने वादे को भुला कर भाजपा के साथ ही गठबंधन कर लिया.
याद रहे कि 2014 के चुनाव के नतीजों में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उसे विधानसभा की 87 सीटों में से 28 सीटें मिली थी. दूसरे नम्बर पर भाजपा थी, जिसे 25 सीटें मिली थी. दोनों पार्टियों ने गठबंधन की सरकार बनाई थी जोकि नाकाम साबित हुई. भाजपा के साथ गठबंधन करने की वजह से घाटी में पीडीपी की साख बुरी तरह प्रभावित हुई है और अब उसके अहम नेताओं का पार्टी छोडना इसकी गिरावट का इशारा समझा जा रहा है.