अक्सर मैं सोचता हूं , कि यदि मैंने महान क्रांतिकारी भगत सिंह के विचारों का अध्ययन कर उनसे सीखने की कोशिश नहीं की होती तो मेरा जीवन निरर्थक होता ।मेरे लिए भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों से सीखने की कोशिश ही अपने जीवन को सार्थक करने की कोशिश भी है ।
भगत सिंह मेरे आदर्श और प्रेरणा स्त्रोत हैं ,लेकिन मैं भगत सिंह को पूजता नहीं ,भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों से जूझता हूं ।यह दृष्टि भी भगत सिंह से सीखने की कोशिश से ही अर्जित हुई है ।
भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों के अध्ययन से ही मैं कम्युनिस्ट बनने की कोशिश करने हेतु प्रेरित हुआ ।इस प्रक्रिया में पूंजीवाद ,साम्राज्यवाद ,जातिवाद , साम्प्रदायिकता ,छुआछूत ,संकीर्ण और प्रतिगामी प्रवृत्तियों , शोषण के दुष्परिणामों को समझने और इनका प्रतिरोध करने की समझ विकसित हुई । ” इंकलाब जिन्दाबाद ” का नारा जीवन का लक्ष्य हो गया ।भगत सिंह के विचारों से ही तर्क संगत विचारों के महत्व को समझा ।
भगत सिंह के ऐतिहासिक महत्व के लेख ” मैं नास्तिक क्यों हूं ?” का अध्ययन करने के बाद एक लम्बे आत्म संघर्ष की प्रक्रिया में मैंने भी नास्तिकता को अर्जित किया । भगत सिंह से सीखने की कोशिश और अपने समय का भगत सिंह बनने की कोशिश जारी है ।मेरे आसपास गूंजती रहती भगत सिंह के ख्याल की बिजली मुझे अपनी कोशिशें जारी रखने हेतु प्रेरित करती रहती है ।