अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान को मिलने वाली 1626 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद रोक दी है. राष्ट्रपति बनने से पहले ही उन्होंने इस बात की घोषणा की थी कि वे पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि 15 साल से पाकिस्तान अमेरिका को बेवकूफ बना रहा है. वह अब तक अमेरिका से 2.14 लाख करोड़ रुपए ले चुका है. अमेरिका को इस बात की भनक थी कि पाकिस्तान अमेरिका से मिलने वाली मदद को आतंकियों को बढ़ावा देने में खर्च करता है. देर से ही सही, लेकिन अमेरिका अब इस बात को समझ चुका है कि अगर आतंकियों के लिए कड़ी कार्रवाई करनी है, तो सबसे पहले पाकिस्तान को मदद रोकनी होगी.
दूसरी बात यह कि पाकिस्तान मदद तो अमेरिका से ले रहा था, लेकिन वह चीन के करीब था. यह बात भी ट्रम्प को खल रही थी. इतना ही नहीं, भारत के खिलाफ ताकत बढ़ाने में भी चीन उसकी मदद करता है. पहले अमेरिका को उम्मीद थी कि वह आर्थिक मदद के जरिए पाकिस्तान और चीन की नजदीकियों को दूर कर सकता है. चीन और रूस के साथ पाकिस्तान की नजदीकियों ने अमेरिका को आज उससे दूर कर दिया है. रूस आज चीन के साथ मिलकर पाकिस्तान में कई प्रोजेक्ट चला रहा है, जिसका अमेरिका विरोध करता रहा है. यही कारण है कि ट्रम्प ने भारत का खुलकर समर्थन करना शुरू कर दिया है और पाकिस्तान को चीन और रूस की शरण लेनी पड़ रही है.
पाकिस्तान की सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि जिन आतंकवादियों को उसने कभी भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया था, वे आज पाकिस्तान की संप्रभुता को ही चुनौती देते दिख रहे हैं. हाफिज सईद के जमात उद दावा जैसे संगठन पाकिस्तान के अंदर चरमंपथ फैला रहे हैं. यही संगठन लश्कर ए तैयबा के आतंकियों को भी प्रशिक्षण दे रहा है. कश्मीर की आजादी के नाम पर लड़ रहे ये आतंकी समूह अब पाकिस्तान में एक सियासी हस्ती बन चुके हैं.
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने 15 साल में आतंकवाद से निपटने के नाम पर अमेरिका से 33 अरब डॉलर यानी 2.14 लाख करोड़ रुपए झटके हैं. 2014 में पाकिस्तान ने अमेरिका से मिले 50 करोड़ रुपए विदेशी मेहमानों को तोहफे देने में खर्च कर दिए थे. लेकिन सबसे बड़ी वजह यह बनी कि पाकिस्तान अमेरिकी पैसे का इस्तेमाल कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने में भी करता है. इससे पहले भी अमेरिका ने 1965 से 1980 के बीच पाकिस्तान को मदद रोक दी थी. 1990 के बाद अमेरिका को शक हुआ कि पाकिस्तान न्यूक्लियर पावर बढ़ाने की कोशिश में है. लिहाजा, 1993 से मदद फिर रोक दी गई थी.