17 साल पहले आज ही के दिन भारतीय संसद आतंक की जद में आया था. यह वो दिन है, जिसे भुलाना भारतीयों के लिए आसान नहीं है. लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी उस समय भारत की हिम्मत तोड़ना चाहते थे, लेकिन हमारे जवानों ने जान की बाजी लगाकर उनके मंसूबों पर पानी फेरा. इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवानों सहित सीआरपीएफ की एक महिला कॉस्टेबल और दो सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे. सफेद रंग की एंबसेडर कार से आए आतंकियों ने 45 मिनट तक पूरे संसद एक तरह से जंग के मैदान में बदल दिया था. ताबड़तोड़ हुई गोलियों की बौछार से पूरा संसद भवन हिला गया था.
उस हमले को 17 साल बीत चुके हैं और अब हालात बदल चुके हैं. हमले के बाद संसद की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. संसद भवन के अंदर सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस और क्यूआरटी (क्यू क रिस्पॉवन्स टीम) को तैनात किया गया है. वहीं, मुख्य जगहों पर अतिरिक्त स्नाइपर भी तैनात किए गए हैं. साथ ही, करीब 100 करोड़ रुपए खर्च करके कई उच्च तकनीक वाले उपकरण जैसे बुम बैरियर्स और टायर बस्टर्स भी लगाए गए हैं.
हमले की 17वीं बरसी पर पूरा देश आज उन शहीद जवानों को नमन कर रहा है, जिनकी शहादत ने लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की थी. संसद भवन परिसर में कई नेताओं ने आज वीर शहीदों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी है. राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट कर कहा है कि आज के दिन 2001 में आतंकवादियों से संसद की रक्षा करते समय शहीद हुए वीरों को कृतज्ञ राष्ट्र का नमन. आतंक फैलाने वाली शक्तियों ने हमारे लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला किया था. लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके और हम उन्हें कभी सफल नहीं होंगे देंगे.
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि हम 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले को नाकाम करने में शहिद हुए जवानों को सलाम करते हैं. उन शहीद जवानों का साहस और वीरता हर भारतीय को प्रेरित करती है. भाजपा अध्य क्ष अमित शाह ने कहा है कि 13 दिसंबर 2001 को भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले हमारे सभी वीर सेनानियों को कोटि-कोटि नमन करता हूं. यह राष्ट्र आपके इस सर्वोच्च बलिदान के लिये सदैव ऋणी रहेगा.