पिछले दिनों जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ऋृषिकेश में परमार्थ निकेतन पहुंचे और स्वामी चिदानंद सरस्वती के साथ बैठ कर कुम्भ के भव्य आयोजन को लेकर विचार-विमर्श किया. ऋृषिकेश में मुलाकात के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा कि गंगा और हिमालय देश की दिव्यता और भव्यता के प्रतीक हैं. इसे हर हाल में बरकरार रखना है और कुम्भ के जरिए श्रद्धालुओं तक ऐसा ही संदेश पहुंचाना है. दोनों मुख्यमंत्रियों की स्वामी चिदानंद के साथ हुई बैठक में गंगा नदी का प्रवाह अविरल बनाए रखने, गंगा को प्रदूषण मुक्त करने, गंगा के किनारे-किनारे पौधरोपण करने, गंगा को हरियाली से आच्छादित करने के साथ-साथ कई ऐसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ, जिसे दोनों राज्यों को आपसी सहयोग से करना है.
लेकिन, सियासत के भी कितने घिनौने और दोयम दर्जे के चेहरे होते हैं, यह इससे पता चलता है कि एक तरफ तो हरित-कुम्भ बनाने के दावे किए जा रहे हैं, दूसरी तरफ उसी कुम्भ के लिए जंगल में पेड़ों की कटान का आदेश जारी हो रहा है. स्वामी चिदानंद सरस्वती गंगा के किनारे-किनारे हरियाली के आच्छादन की बात कर रहे हैं. यूपी-उत्तराखंड के मुख्यमंत्री उसकी तस्दीक कर रहे हैं, वहीं लखीमपुर खीरी के संवेदनशील टाइगर जोन के वन की लकड़ी काटने का आदेश दिया गया है, ताकि कुम्भ मेले के दौरान नदी पर पुल बनाया जा सके और जरूरी बंदोबस्त में लकड़ियों का इस्तेमाल हो सके. यह विडंबना नहीं तो और क्या है?
कुम्भ मेले के लिए लखीमपुर खीरी वन रेंज के बफर जोन की लकड़ी भेजे जाने के लिए कटान शुरू कर दी गई है. वन निगम उन लकड़ियों को इलाहाबाद भेजेगा. जंगल की दुर्लभ लकड़ियों से गंगा पर कई अस्थाई पुलों का निर्माण किया जाएगा. इस काम के लिए लखीमपुर के दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन के भीरा और मैलानी रेंज की लकड़ी भेजी जा रही है. लखीमपुर के जंगल की लकड़ी से गंगा नदी पर अस्थाई पुल बनाए जाएंगे. कुम्भ मेले के बाद लकड़ियां बर्बाद हो जाएंगी, लेकिन उसके पहले ही जंगल की बर्बादी का एक और अध्याय सरकार खुद अपने हाथों से पूरा कर देगी.
वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि अस्थाई पुल लकड़ी के स्लीपर से बनाए जाएंगे. लकड़ी की आपूर्ति उत्तर प्रदेश वन निगम के जरिए होगी. इलाहाबाद के लोक निर्माण विभाग ने वन निगम के महाप्रबंधक को 14 फुट के 400 और 12 फुट के 100 स्लीपरों की औपचारिक डिमांड भेजी है. ये सारे स्लीपर दुर्लभ साल की लकड़ी के होंगे. वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि कटान में छायादार परिपक्व पेड़ भी अंधाधुंध काटे जा रहे हैं. इसी कटान के बहाने भ्रष्ट वन अधिकारियों और स्थानीय अधिकारियों के भी वारे-न्यारे हो रहे हैं. कटे हुए पेड़ों की लकड़ियों की कुम्भ की मांग के मुताबिक कटाई-छंटाई लखीमपुर के निकट छाउछ की आरा मशीनों पर कराई जा रही है. उधर दुधवा टाइगर रिजर्व से जुड़े मैलानी रेंज की खरेटहा बीट कंपार्टमेंट 9,7 और 1-ए के अलावा दक्षिण भीरा कंपार्टमेंट 14 और 15 में टाइगर कंजर्वेशन योजना के तहत लगे पेड़ों का भी कटान हो रहा है. कटे पेड़ों को वन निगम के हाथों सौंपा जा रहा है.