देश के बड़े शहरों में ट्रक मालिकों और ट्रांसपोर्टरों ने शु्क्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है. सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और वित्त मंत्री पीयूष गोयल से ट्रांसपोटर्स के बीच कल रात 1 बजकर 30 मिनट तक चर्चा हुई लेकिन यह बातचीत असफल रही है. जिसके बाद इन्होने अनिश्चित काल तक हड़ताल शुरु कर दी, ट्रक और बस ऑपरेटर्स संगठन (एआईएमटीसी) से जुड़े तकरीबन 90 लाख ट्रक और 50 लाख बस हड़ताल पर चले गए हैं .
हड़ताल के कारण बढ़ सकती है महंगाई.
इन ट्रको के हड़ताल का सीधा असर दूध, फल और सब्जी की आपूर्ति पर पड़ा है. इससे ज़रूरी वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित होने और कीमतें बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की हिमाचल इकाई ने निर्णय लिया है कि आपात सेवाओं की गाडिय़ों एंबुलैंस आदि को नहीं रोका जाएगा. और प्रदेश के किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए दूध, सेब, सब्जी या अन्य बागवानी उत्पादों को ले जा रही गाडिय़ों को नहीं रोका जाएगा. इस निर्णय से प्रदेश के किसानों को कुछ राहत तो मिली है, लेकिन उनकी परेशानी यह है कि प्रदेश में तो सब्जी या फलों की गाडिय़ां नहीं रुकेंगी लेकिन प्रदेश के बाहर यदि इन गाडिय़ों को रोका गया तो वे बर्बाद हो जाएंगे.
क्या है इन लोगो की मांग.
ट्रक ऑपरेटर और ट्रांसपोर्टर लगातार डीजल की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार से अपील कर रहे हैं. उनकी मांग है कि डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, ताकि उन्हें इसकी बढ़ती कीमतों से राहत मिल सके. टोल सिस्टम में भी बदलाव लाया जाए, साथ ही उन्हें थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी में छूट दी जानी चाहिए. साथ ही, एजेंट्स को मिलने वाले अतिरिक्त कमीशन को खत्म किया जाना चाहिए. इसके अलावा डीजल के दाम रोज बदलने से उन्हें किराया तय करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.