हिंदुस्तानी मुसलमानों की सबसे पुरानी व बड़ी जमात जमीयत ए उलेमा हिंद जिस के मिम्बरों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है पूरे भारत में इसकी कई प्रांतीय और क्षेत्रीय शाखाएँ हैं जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भारत की आज़ादी में कई बलिदान दिए हैं इस देश कोअंग्रेजों से आजाद कराने में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की सेवाओं और कार्यों को इतिहास द्वारा कभी नहीं भुलाया जा सकता है।
आज़ादी के बाद से आज तक जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हमेशा हर धर्म के लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए रचनात्मक कार्यों पर जोर दिया है भारत के किसी भी हिस्से में बाढ़, तूफान, भूकंप या अन्य आपदाओं के मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद हमेशा जरूरतमंदों की मदद करने में सबसे आगे रही है सैकड़ों निर्दोष मुसलमान जो सलाखों के पीछे जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं जमीयत ए उलेमा हिंद द्वारा अदालत में जा कर अच्छे और अनुभवी वकीलों की मदद से उनका केस लड़ना एक बड़ी सेवा है जो अद्वितीय है।
सैकड़ों निर्दोष मुसलमान जमीयत उलेमा हिंद की लगातार कोशिशों से बाइज्जत बरी होकर आजाद फिजा में सांस ले रहे हैं ।स्वतंत्रता के बाद से आज तक जमीअत उलमा हिंद की एक सौ साला शैक्षिक सुधार और सेवाएं अविस्मरणीय हैं ।
जमीयत ए उलेमा हिंद का एक मुकम्मल दस्तूर है
जो इनके बड़ों और पूर्वजों द्वारा बनाया गया था ।
इस दस्तूर की रोशनी में इस जमात ने अनगिनत पुन्य के कार्य किए हैं ।
हर दो साल में के इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है ।
जिसे सभी प्रांतीय कार्य समितियों द्वारा चुना जाता है
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के दो साल के कार्यकाल के अंत में आज 24 जनवरी को मुफ्ती अब्दुर्रज्जाक खान साहब की अध्यक्षता में जामिया इस्लामिया अरबिया मस्जिद तर्जुमे वाली मोतिया पार्क भोपाल में दिन में 2:00 बजे जमीअत उलमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए एक मीटिंग होगी ।
खान आशु