आज मदर टेरेसा की 21 पुण्यतिथि है. मदर टेरेसा एक ऐसा नाम जिसने मानव सेवा के लिए अपना सब कुछ निस्वार्थ त्याग दिया. इस दुनिया में न जाने कितने ऐसे लोग होते हैं जो दूसरों के लिए जीते है. उन्हीं में से एक थीं मदर टेरेसा.

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसोदेनिया में हुआ था. इनके पिता का नाम निकोला बोयाजू था जो कि साधारण से व्यवसायी थे. मदर टेरेसा का वास्तविक नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था. अलबेनियन भाषा में गोझा का अर्थ है फुल की कली. जब वे मात्र आठ साल की थीं तभी उनके पिता का निधन हो गया था. इसके बाद उनके लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी उनकी माता द्रोना बोयाजू के उपर आ गई थी.

वे पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थीं. इन्हें पढाई के साथ-साथ गाना गाने का भी शौक था. वे और उनकी बहन चर्च में मुख्य गयिकाएं थी. ऐसा माना जाता है कि जब वे मात्र 8 साल की थीं. तभी उन्हें ये अहसास हो गया था कि वे अपना सारा जीवन गरीबों के सेवा हेतु समर्पित करेगीं.

18 साल की उम्र में उन्होंने ये फैसला लिया कि वे ‘सिस्टर आंफ लोराटो’ में शामिल होगीं. इसके बाद वे आयरलैंड चली गईं, जहां उन्होंने अग्रेंजी भाषा सीखी, अग्रेंजी सीखना उनके लिए इस लिए जरूरी था क्योंकि लोराटो की सिस्टर इसी भाषा में भारत में बच्चों को पढ़ाती थीं.

उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. 1931 में उन्हें तेइस्वे पोप जोन ने शांति का पुरस्कार और धर्म प्रगति के लिए टेम्पेलटन फाउण्डेशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. विश्व भारती विद्यालय ने उन्हें देशिकोत्तम पदवी दी, जो उसकी ओर से दी जाने वाली सर्वोच्च पदवी है. अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय ने उन्हें डोक्टोरेट की उपाधि से विभूषित किया. इतना ही नहीं 1962 में उन्हें ‘पद्म श्री‘  से विभूषित किया गया.

 

 

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