आज 26 जून को छियालिस साल पहले एक घोषित आपातकाल लगा था ! लेकिन गत सात साल से भी ज्यादा समय से अघोषित आपातकाल बदस्तूर जारी है !
आज भारत की आधी आबादी युवा पीढ़ी है ! जो दुनिया के किसी भी देश से सबसे ज्यादा है ! और आज पचास सालसे भी ज्यादा उम्र के लोगों को आपातकाल क्या होता है ?शायद मालूम नहीं होगा ! इसलिए रात्रि के इतने प्रहर मे मै मेरे युवा मित्रों को जानकारी के लिए यह सब लिख रहा हूँ !


युवा मित्रों को जानकारी के लिए स्पष्ट कर दूँ की यही जयप्रकाश नारायण को बंगला देश निर्माण होने के पस्चात संपूर्ण विश्व में भारत सरकार की तरफ से श्रीमती इंदिरा गाँधी के विनती से ही स्पेशल विमान देकर भारत की क्या भूमिका रही है ? और पाकिस्तान कीस तरह से बंगाला देश के साथ अन्याय-अत्याचार कर रहा था ! यह सब जेपी के द्वारा विभिन्न देशों के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्रीयोको समझाने के लिए जिम्मेदारी दी थी ! तब भारत के विदेश मंत्री रहने के बावजूद !
फिर उसके कुछ दिनों बाद ही गुजरात के विद्यार्थीयोने अपने मेस के बिल के लिए ,और बादमे नवनिर्माण आंदोलन के नाम से गुजरात की सरकार बदलने के लिए आंदोलन किया ! और उसके ही आसपास बिहार के भी विद्यार्थीयोने बिहार सरकार के खिलाफ आंदोलन किया है ! तो जयप्रकाश नारायण इन दोनों आंदोलन के लिए जिम्मेदार नहीं है ! उस समय उनकी उम्र सत्तर साल की हो चुकी थी !
वह शुद्ध विद्यार्थी और युवा पीढ़ी के आंदोलन थे ! हा उनके सवालों को लेकर जयप्रकाश नारायण श्रीमती इंदिरा गाँधी को प्रिय इंदु नाम से संबोधित करते हुए यह सवालों की तरफ ध्यान खींचने के लिए काफी पत्र लिखे हैं ! लेकिन श्रीमती इंदिरा गाँधी के तरफ से पत्र के जवाब तो बहुत दूर की बात है कि एक्नोलेज तक नहीं दिया है ! और यह उनकी पर्सनल स्टाफ के धर, बिशन टंडन जैसे अधिकारियो के किताबोंमें हैं ! फिर चंद्रशेखर की दो किताबें है, मोहन धारिया भी किताब मे यह सब खुलासे मिल जायेंगे ! मैंने इन सब किताबों की पढाई करने के बाद ही यह संदर्भों को दिया है ! हमारे सीपीआई के दोस्तों का जेपिकी बिहार आंदोलन की भुमिका को लेकर काफी गलत फहमीया है ! उन्हें हर चीज मे षड्यंत्र नजर आता है और इसिलिए उनके नेता जेपी को सीआईए के दलाल तक बोल चुके है हाँ बिहार आंदोलन एक जन आंदोलन था और उसमे कोई भी भारत वासी शामिल हो सकता था जैसा कि संघ परिवार के लोग शामिल हुए थे ! लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी के लोग जेपी को सीआईए के दलाल बोलने की जगह अगर आंदोलन मे शामिल हुए होते तो शायद संघ परिवार अपने आप एक मर्यादा मे चला गया होता ! क्योंकि जेपी के लिए भी संघ परिवार के लोग शामिल हुए हैं यह बात अखरती थी और इसलिए वह एस एम जोशी जी को बार-बार महाराष्ट्र के राष्ट्र सेवा दल के लोगों को इस आंदोलन मे लाइऐ करके शुरू से ही बोल रहे थे और मैं खुद राष्ट्र सेवा दल के पूर्ण समय कार्यकर्ता था( 1973-76) लेकिन हमें पहुंचते पहुंचते आपातकाल लगने की घडी आ गई थी ! यह सब विस्तार से पहली बार लिखने के लिए मजबूर हो रहा हूँ ! क्योंकि संघ परिवार ने बिहार आंदोलन के बाद ही नये सिरे से अपने छवि जो महात्मा गाँधी के हत्या के बाद पहली बार सुधारने में कामयाबी हासिल की है और जनता पार्टी के प्रयोग की सबसे लाभकारी भी !
अभी 25 जून को खत्म होकर एक घंटे बत्तीस मिनट हो रहे हैं ! गत दो दिन से आपातकाल पर फेसबुक पर पोस्ट लिखने की कोशिश कर रहा था ! लेकिन क्या है कि ,काफी घंटे जाया करने के बावजूद मेरा लिखना लगातार गाबय हो रहा था ! आखिर में हार कर छोड़ दिया ! लेकिन आज बारह बजे से सोने की कोशिश की है ! और बार-बार मेरे आपातकाल की असफल पोस्ट पूरी न होने के कारण निंद नहीं आ रही थी ! आखिर में हार कर दोबारा कोशिश करने बैठा हूँ ! उम्मीद करता हूँ कि यह पोस्ट पूरी कर सकूं !
छियालिस साल पहले इसी 25 जून को रात्रि के आधे प्रहर मे जेपी को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान से निंद से उठा कर और अन्य नेताओं को भी अलग-अलग जगहों से उठा कर किसी को तिहाड जेल में तो किसी को बंगलौर, नागपुर, पुणे, नाशिक और लगभग भारत के सभीको विभिन्न राजनीतिक दल के नेता और कार्यकर्ताओं को जेलो में डाल दिए गए ! शायद लाखों की संख्या में !
मै जेपी के बुलावे पर 25 जून 1975 के दिन अपने यात्रा की शुरुआत की ! (राष्ट्र सेवा दल के काम को बिहार आंदोलन मे शुरू करने की उनकी सूचना एस एम जोशी जी के पास वह बार-बार दोहरा चुके थे !) पर नागपुर से पटना के लिए ट्रेन में सफर कर रहा था ! तो जबलपुर स्टेशन पर सुबह-सुबह ही आपातकाल लगने की ,और जेपी के अलावा अन्य लोगों को भी हिरासत में लेने की खबर सुन कर ,मुझे लगा कि अब पटना के लिए जाना यानी पहुंचते ही पकडे जाने से ,बेहतर है बीच रास्ते में उतर कर अंडरग्राउंड हो कर ,कुछ साथीयो से मिलकर कुछ आपातकाल विरोधी काम करेंगे ,तो मै जबलपुर में उतरकर बससे वर्धा के लिए निकल पडा ! 1975-76 के अक्तूबर तक मुझे अंडरग्राउंड रहने मे और काफी कुछ काम करने मे कामयाबी मिली लेकिन अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में पकडा गया !
उसके पहले आपातकाल में मुंबई में प्रोफेसर पुष्पा-अनंत भावे के रुइया कालेज से चलकर जाने के रस्ते पर फ्लैट में एक बडौदा डायनामाईट के कैसे-कैसेप्रयोगों को अंजाम देने की प्लानिंग मिटिंग थी जिसमें हमें सुबह-सुबह दोनों घरवाले बाहर से ताला लगाकर अंदर 15-20 लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा मे खाने-पीनेका इंतजाम था और शायद बारह घंटे से भी ज्यादा समय चली मीटिंग में मेरे अलावा सभी सीनियर लोग थे ! लेकिन उन सबमें गुरिल्ला वाॅरफेअर पर पर्याप्त साहित्य पढने वाला मै अकेला ही था ! क्योंकि मै मागोवा नाम के मार्क्सवादी ग्रुप अमरावती में खुद ही चलाता था और फिडेल-चेग्वेरा, हो ची मिन्ह, माओ, जोसेफ मॅझीनी और सावरकर भी पढकर होने के कारण मुझे पोस्ट ऑफिस, रेलब्रीज, टेलिफोन-टेलीग्राम के तार उडाना बहुत ही बचकानापन लगता था और बैठक में शुरू से अंततक कहते रहा कि 1942 की नकल 1975 में करने का कोई तुक नहीं है और दुनिया के दो नंबर की आबादी वाले देश में यह सबकुछ महज रोमैंटिक के अलावा कुछ भी नहीं है मै आपातकाल के खिलाफ हूँ और आगे भी रहूँगा लेकिन बडौदा डायनामाईट के लिए शामिल होने की बात मुझे युद्ध शास्त्र के हिसाब से अव्यवहारीक लग रही है लेकिन बैठक से अमरावती पहुंचने के बाद उसी केस में पुलिस ने हिरासत में लिया राजापेठ पुलिस स्टेशन मे दो हप्ता इन्ट्रागेशन के लिए रखा रोज रात को भरी निंद से उठा कर पूछताछ करते थे कि बैठक में कौन लोग थे और क्या तय हुआ ? लेकिन मैंने पहले से ही स्टैण्ड लिया था कि मैं ऐसी किसी भी बैठक में शामिल नहीं था ! एक बात स्पष्ट कर दूँ कि मुझे पुलिसने बिल्कुल भी मैनहैडल नहीं किया हा सिर्फ आखिर बार कुछ लिखा हुआ स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर कर ने के लिए झूठमूठ का मेरे कनपटी पर पिस्तौल की नली रखकर इंस्पेक्टर ने कहा कि साइन कर नही तो गोली चला दूंगा तो मैंने कहा इस झूठ-मूठके पेपर्स पर साइन करकेही मरना है तो आप मुझे अभी ही खत्म करो ! फिर वही इंस्पेक्टर हसते हुए बोला कि आगे चलकर तुम मंत्री बनोगे तो मुझे आपके गाडी के सामने एस्कार्ट ड्यूटी करनी पड सकती है याद रखना मुझे ! खैर बाद में अमरावती सेंट्रल जेल मे भेजा गया ! बस इतना ही रोमांचक प्रसंग है बाकी तो पुलिस के कुछ लोग अपने घर से खुद खाने के लिए कुछ ना कुछ लेकर आते थे और सरकार की आलोचना भी करते थे ! इस तरह हमारे जैसे पुलिस-प्रशासनके अंदर भी लोग है सिर्फ क्रांती के सिपाही हम अकेले नहीं हैं हमारे अलावा देश मे अन्य लोगों के उपर मेरे विश्वास के कारण मुझे निराशाकी बिमारी ने अभितक नही छुआ है !
आपातकाल लगने के पहले साल दो साल से बिहार आंदोलन और उसके पहले गुजरात का नवनिर्माण आंदोलन के ही कारण 25 जून को रात्रि के आधे प्रहर मे इंदिरा गाँधी ने आपातकाल की घोषणा कर के और प्रेस सेंसरशिप लगाकर सरकार विरोधी न्यूज छापने के लिए हर अखबार के दफ्तर में सेंसाॅर अधिकारियो को तैनात कर दिया था ! (लगभग सभी पुलिस के ही लोग थे !)
हम अंडरग्राउंड लोग सायक्लोस्टाइल के मशीन से बुलेटिन निकालकर लोगों मे बाटने का प्रयास करते थे ! जो लोग जेल गए थे ,उनके परिजनों की खबर लेकर उन्हें क्या चाहिए, यह पता करके कुछ मदद करने के लिए पीयूसीएल (आपातकाल में महाराष्ट्र के लिए एस एम जोशी जी के अध्यक्षता में और मै सचिव !) चंदा इकट्ठा कर के बहुत ही साधारण सी मदद कर पाते थे ! संघ परिवार के लोग अपने-अपने लोगों के लिए तो काफी कुछ मदद का इंतजाम कर लिये थे ! लेकिन संघ के अलावा अन्य कैदी यो के लिए एस एम जोशी जी ने मुझे नागपुर में कौन लोग है ? जिन्हें मदद नहीं मिल रही है ! तो उनके घर जाकर लिस्ट बनाने का जिम्मा दिया था ! और मैंने संपूर्ण नागपुर में एक मित्र की साईकिल से वह लिस्ट बनाने का काम पूरा करके एस एम जोशी जी को सौंप दिया था !
अखबार सेंसरशिप के कारण बहुत ही सिमित खबरों को छापते थे ! और वह भी बीस कलमी कार्यक्रमों की भरमार और सरकार की तारीफ के पुल बांधे हुए !
यह तो हो गई संक्षेप में छियालिस साल पहले के आपातकाल की बात ! जब मेरे भी जेल जाने की बारी आई तो जेल मे संघ के लोग ज्यादा थे और वह बीस कलमी कार्यक्रमों की तारीफ कर रहे थे ! और जेल से बाहर निकलने के लिए माफी नामे बाकायदा संघ की तरफ से ही छपे हुए फार्म पर दस्तखत करने की मुहिम चला रखी थी ! तो हमने कहा कि श्रीमती इंदिरा गाँधी आपके माफी नामे भी अपने ही पास रख लेंगी ! और आप लोगों को रिहा भी नहीं करेंगी ! बहुत ही बेआबरू होकर जेल मे पडे रहोगे काहे को अपनी इज्जत दांव पर लगा रहे हो ? इस काम मे मध्यस्थता जेपी के नागपुर के मित्र पी वाय देशपांडे की सुपुत्री निर्मला देशपांडे और विवेकानंद केंद्र के एकनाथ रानाडे के संयुक्त तत्वावधान में जारी था !
तो संघ के लोगों के तर्क ! हमारे सावरकर ने भी अंग्रेजी राणी को तीन-चार बार खत लिखने के बाद आखिरकार उन्हें रत्नागिरी मे हाउस अरेस्ट कर के रखा था ! लेकिन आपातकाल खत्म होने के बाद ही सबकी छुट्टी हुई ! उनके माफीनामा जेल के रिकार्ड में दर्ज हो चुके हैं ! तत्कालीन संघ प्रमुख बालासाहेब देवरस का माफीनामा पुणे की येरवडा जेल रेकार्ड में दर्ज है !
तो मैंने संघ के जेल सहयात्रीयोको कहा कि यह तो श्रीमती इंदिरा गाँधी के व्यक्तिगत आपातकाल की घोषणा है ! उनके पार्टी के काफी लोग है जिन्हें यह ठीक नहीं लगता होगा, लेकिन कभी तुम लोग अगर सत्ता में आओगे तो लोगों को सांस लेने के लिए भी मुश्किल करोगे !
जो आज सात साल से भारत के सभी लोग भुगत रहे हैं ! और आने के बाद नागरिकता संशोधन कानून, कश्मीर से 370 खत्म करने से लेकर गोहत्या बंदी, लव-जेहाद के नाम पर कानून और धर्म परिवर्तन की बंदी से लेकर बाबरी विध्वंस को अनदेखा कर के मंदिर के लिए इजाजत भारत के संविधान के खिलाफ एक से भी ज्यादा कानूनों को बदलने के पीछे मजदूरों, किसान, सरकारी उद्योग प्रायवेट मास्टर्स को औने-पौने दामोमे बेचकर शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को भी प्रायवेट मास्टर्स को सौंप कर आखिर सरकार नाम की चीज किस काम के लिए रहेगी यह बात मेरे जेहन में बार-बार कौंध रही है ! मतलब संसद की कार्यवाही कीस बात पर चलेगी या उसे भी गोलवलकर के सपनों का एकचालकानूवर्त भारत बनाने मे समाप्त करने के पीछे पडकर पूरी मनुस्मृति के हिसाब से पुनः सब शुरू कर के भारत को पाँच हजार साल पहले के बनाकर विश्व गुरु की इच्छा पूरी करने जा रहे हैं ! और यह मै मजाक में नहीं लिख रहा हूँ 1925 से संघ का अजेंडा तय है और वह उसे लागू करने की इससे अच्छी बात और नहीं हो सकती ! कहने के लिए वह एक सांस्कृतिक संगठन है ! लेकिन वर्तमान सत्ता धारी दल की नकेल संघ के ही हाथ में है इस बात में कोई शक नहीं है ! कोरोनाके दुसरी लहर के बाद संघ हरकत में आया है ! और आगामी पाँच राज्यों के चुनाव और मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए संघ काफी सावधानीपूर्वक नियोजन कर रहा है !


लेकिन अभी नहीं कोई आपातकाल है और नहीं कोई सेंसरशिप ! लेकिन गत सात साल से भी ज्यादा समय हो रहा है ,भारत के सभी जेल विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं से भरे हुए हैं ! और अखबार, टेलीविजन तथा सोशल मीडिया पर सरकार ने सत्ता मे आने के बाद जिस तरह से नकेल कसी है वह छियालिस साल पहले के आपातकाल को भी मात दे रहा है ! और यह तैयारियां 2013 से ही जारी थी जिस तरह से विभिन्न प्रायवेट टीवी चैनल कुछ चंद उद्योगपतियों ने खरीदने की शुरुआत की है ! और आज की बात है कि शायद एन डी टी वी छोड़ कर सभी चैनल और हिंदु, इंडियन एक्सप्रेस जैसे चंद अखबार छोड़ सभी अखबार सरकार के भाँट बनकर कवरेज कर रहे हैं ! और सोशल मीडिया भले आंतरराष्ट्रीय स्तर से ऑपरेशन होने के बावजूद भारत सरकार उसे भी कंट्रोल करने के लिए नये कानून बना कर उन्हें भी कंट्रोल करने के लिए पीछे पडी हूई है ! ताजा रविशंकर प्रसाद के प्रयास उसीके लिए जारी है क्योंकि सोशल मीडिया शुरू में भले संघ परिवार के कब्जे में था लेकिन अन्य लोगों को भी उसके प्रभाव को देखकर मजबूरन उसमें शामिल होने के कारण अब सरकार उसे भी कंट्रोल करने के लिए जद्दो-जहद कर रही है और वह कुछ भी करके उसे कंट्रोल करेंगे ही करेंगे !


वैसे ही नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तभी से (2007)थाईलैंड की एजेंसी की मदद से सोशल मीडिया को ऑपरेशन शुरू कर ने वाले पहले भारतीय राजनेता है ! और उनकी राजनीतिक पार्टी भाजपा भारत की पहली पार्टी है जिसने सोशल मीडिया पर विशेष ध्यान दिया है ! और सत्ता में आने के पहले ही अपनी खुद की डिजिटल सेफ्रोन आर्मी के साथ लगभग एक लाख से भी उपर पेड वर्कर और संघ के कमिटेड अलगसे ! लामबन्दी कर के भाजपा के विरुद्ध लिखनेवाले, पत्रकार तथा विरोधी दलों के नेताओं को, एक तयशुदा पालिसी के अंतर्गत बिलो बेल्ट डिजिटल हमले करने की मुहिम चला रखी है ! और यह सब तफसिलसे स्वाति चतुर्वेदी नाम की पत्रकारिता के क्षेत्र में की महिला ने I AM A TROLL
Inside the secret world of the BJP, S digital army
इस नाम से 171 पन्ने की किताब लिखी है ! India,s right- wing trolls Incite communal tension, and abuse and sexually harass journalists, opposition politicians and anyone who questions them.
But who are they ? Why do what they do ?
And how are they Organized ?
In this explosive investigation, conducted over two years and including interviews with top-ranking politicians, bureaucrats, marketeers and trolls,
श्रीमती इंदिरा गाँधी के समय सिर्फ प्रिंट मीडिया और सरकारी एक चैनल दूरदर्शन के अलावा और कोई माध्यम नही था ! हमारे सायक्लोस्टाइल की दुनिया इतनी छोटी थी ! और वह भी हमारे अपने ही लोग पढने वाले थे ! जो आज भी हमारी पत्रिका हम कुछ चंद लोग ही पढते हैं !
सामान्य लोगों को देने मे रिस्क और हमारे संसाधनों की कमी ,यह दोनों वजहों से हम सिर्फ अपने आप को संतुष्ट करने के लिए ही यह जद्दो-जहद कर रहे थे ! नही कोई उसका बहुत बडा असर हो रहा हो ऐसा अब छियालिस साल बाद तटस्थता से देखने के बाद लगता है ! कि वह सिर्फ हमारे अपने समाधान के लिए की हम कुछ अंडरग्राउंड कर रहे हैं ! हालाँकि हमारा ज्यादा समय सिर्फ अंडरग्राउंड रहने मे और काफी कुछ रोमांटिक भाव में ही पार हुआ है ! आपातकाल का बाल भी बाँका नहीं कर सके ! लेकिन तब हमारे तेवर हमारे ही कारण सब कुछ हो रहा है !


सवाल वर्तमान अघोषित आपातकाल के दौरान वर्तमान सरकार संघ की विचारधारा को अमलीजामा पहनाने मे पहले दिन से ही लगी हुई है ! समाजवाद के तरफ जाने वाली हर बात उदाहरण के लिए योजना आयोग को भंग करने के बाद भारत के सभी सरकारी उद्योग जिसमें रेल, रोडस्ट्रान्सपोर्ट, जहाजरानी, हवाई सेवा, और सबसे संवेदनशील विभाग रक्षा में सत्तर प्रतिशत से भी ज्यादा विदेशी निवेश और बैंक, विमा कंपनीया, पोस्ट-टेलीग्राफ, टेलिफोन विभाग को संघ के पहली सरकार अटल बिहारी वाजपेयी के समय से ही तत्कालीन संचार मंत्री प्रमोद महाजन ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए बीएसएनएलके टाॅवर इस्तेमाल करने के लिए देकर और तेरह दिन के लिए ही सरकार थी लेकिन उसमें भारत की रक्षा विभागो की देश भर की जमीन के व्यारे-नारे करने की शुरुआत की है ! और आज की बात है कि भारत के सभी सरकारी उद्योग लगभग बेचकर अब जल, जंगल और जमीन को बेचने के लिए आदिवासियों की सुरक्षा के पाचवी और छठवी व्यवस्था को खत्म करने की तो बात सत्ता में आने के तुरंत बाद ही शुरू कर दिया है ! और इसिलिए आदिवासियों की तरफ से प्रतिकार नहीं हो इसलिए नक्सलैट -नक्सल प्रभावित जिलों में जम्मू कश्मीर के और नाॅर्थ-इस्ट के जैसे ही कानून और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ! और भारत की एक चौथाई आबादी आज तथाकथित स्पेशल आर्म्स फोर्सेस की नियुक्ति करके देश भर के बुद्धिजीवियों को नक्सल, देशद्रोह के कानून के अंतर्गत जेल मे ठुसना जारी है ! और एक तरह से भारत की सभी सेंट्रल जेल इन लोगों से भर डाली है !
उसी तरह शिक्षा, आरोग्य के क्षेत्र से सरकार हटानेका सबसे ताजा उदाहरण कोरोनामे संपूर्ण भारतमे कमधीक प्रमाण मे लाखो लोगों को मारने के लिए वर्तमान भारत सरकार खुद जिम्मेदार है ! और सबसे हैरानीकी बात सब कुछ राज्यों के माथे पर ढकेल दिया ! लेकिन केंद्र सरकार ने पहले कोरोनाके समय छत्तीसहजार लाख रुपये सिर्फ कोरोनाके लिए ऐलान किया था तो वह पैसा किसके पास पहुंचे ? क्योंकि केरल छोडकर भारत के सभी राज्यों में कोरोनाके कारण लाखों लोगों को इलाज के अभाव में मरते हुए पूरे विश्व ने देखा है ! लाशो को दफनाने के लिए व्यवस्था नहीं होने के कारण हजारों लाशे गंगा और अन्य नदियों मे फेकने के दृश्य संपूर्ण विश्व के मीडिया मे देखने मे आये हैं !
भले भारत के मीडिया ने नहीं कवर किया लेकिन आंतरराष्ट्रीय स्तर भारत की जितनी बदनामी कोरोनाके अव्यवस्था के कारण हुई है उतनी आज तक किसी और बात पर नहीं हुईं !
सत्ता में आने के तुरंत बाद ही प्रायवेट मास्टर्स को फेवर करने के लिए मजदूरों के हितों के कानून जोके शेकडो सालो के मजदूर आंदोलन ने समय-समय पर बडी मुश्किल से उन्हें प्राप्त किया था लेकिन एक झटके में संसद में कानून खत्म कर के रख दिए !
वही हाल कृषी कानूनों को लेकर आज गिनकर सात महीने हो रहे हमारे देश के किसानों के आंदोलन के बावजूद सरकार टससेमस नहीं हो रही है ! क्योंकि प्रायवेट मास्टर्स को औने-पौने दामोमे जमीन बेचकर पचास प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी कृषी क्षेत्र पर अवलंबित है ! और उन्हें बेदखल कर के भारत मे वैसेही लोगों को पर्याप्त मात्रा में काम देने की स्थिति नहीं है और कृषि क्षेत्र के इतने सारे लोग जब खाली हाथ से क्या करेंगे ? मजदूरों की नौकरी जा रही है ! शिक्षक, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को भी प्रायवेट मास्टर्स को सौंप कर आखिर सरकार नाम की चीज किस काम के लिए रहेगी ? एकचालकानूवर्त !
या उसे भी कंट्रोल करने के लिए प्रायवेट मास्टर्स को सौंप कर आखिर सरकार का काम बचता है ?
मुझे अडसठ साल की उम्र में भारत का यह नजारा देख कर लगता है, कि क्या हमारे देश के आजादी के पचहत्तर साल की उम्र के पहले ही देश कौनसे अवस्था में लेके जा रहे हैं ! और वह भी देशभक्ति के नाम पर ! यह तो सूडोनैशनल रास्तों पर भारत को लेकर जाने की शत-प्रतिशत करतूत चल रही है ! और इसे हमारे जिते जी तो नहीं होने देंगे ! यही कसम घोषित आपातकाल के छियालिस साल और अघोषित आपातकाल के सात साल के उपलक्ष्य में कसम खाकर ऐलान कर रहे हैं ! और हमारे संविधान की रक्षा और किसी भी हालत में गोलवलकर के सपने का एकचालकानूवर्त कायम नहीं होने देने की कसम खाकर हर हालत में विरोध करेंगे !

Adv from Sponsors