मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुद्ध के वैज्ञानिक चिंतन से भारतीय युवकों को अवगत कराने के लिए आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा की प्रशंसा की और कहा कि ऐसी भूमि से जुड़ा होना हर बिहारवासी के लिए गर्व की बात है, जहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ, क्योंकि उनके चिंतन ने दुनियाभर में लोगों को प्रेरणा दी है. नीतीश कुमार ने कहा कि जिस प्रकार आज पूरी दुनिया ने बौद्ध दर्शन को अपनाया है, यह बड़ी प्रसन्नता की बात है. परम पावन दलाई लामा हमेशा से नालंदा परंपरा की बात करते हैं. तिब्बत के लोग इस परंपरा को आगे बढ़ाने में जुटे हैं. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है.

nalandaनए साल के पहले दिन महान बौद्ध धर्मगुरु और तिब्बत के निर्वासित सरकार के राष्ट्राध्यक्ष दलाई लामा तथागत की ज्ञानभूमि बोधगया पहुंचे. एक महीने के बोधगया प्रवास में दलाई लामा देश-विदेश के पचास हजार से अधिक श्रद्धालुओं को प्रवचन और टीचिंग से अभिभूत कर रहे हैं. इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी 7 जनवरी को बोधगया आए और उन्होंने दलाई लामा से आशीर्वाद लिया. दलाई लामा के प्रवास स्थल तिब्बती बौद्ध मठ तथा प्रवचन स्थल कालचक्र मैदान को कड़े सुरक्षा घेरे में रखा गया है. दलाई लामा ने 5 से 7 जनवरी के बीच चार आर्य सत्य पर प्रवचन दिया. यह प्रवचन खासकर भारतीय बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए था, जिसे एफएम पर भी लाइव ब्रॉडकास्ट किया गया. दूसरे चरण में 14 से 16 जनवरी के बीच दलाई लामा ने मंगोलिया व नामग्याल लामाओं व श्रद्धलुओं के लिए प्रवचन दिया. 15 जनवरी को उन्होंने अवलोकितेश्वर दीक्षा दिया, वहीं 16 जनवरी को परम पावन दलाई लामा की लंबी आयु के लिए विशेष प्रार्थना हुई.

चार आर्य सत्य पर दलाई लामा का प्रवचन

चार आर्य सत्य पर प्रवचन देते हुए दलाई लामा ने कहा कि भारत जैसी विविधता दुनिया में कहीं भी देखने का नहीं मिलती. सर्वधर्म सम्भाव, सहिष्णुता व अहिंसा का जो स्वरूप भारत में देखने को मिलता है, उसे विश्व के लिए रोल मॉडल कह सकते हैं. यहां विश्व के सभी धर्म समान रूप से पल-बढ़ रहे हैं. सांख्य, जैन, बौद्ध, सिख, इस्लाम, इसाई, यहुदी जैसे सभी धर्म यहां समान अवसर तथा सह अस्तित्व के साथ रहते हैं. भारत का विरासत प्रेम व करूणा है और इसी के आधार पर इस देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की. उन्होंने यह भी कहा कि तिब्बत में बौद्ध धर्म नालंदा परंपरा से पहुंची है. नालंदा परम्परा का तिब्बत हमेशा ऋृणी रहेगा. इसी के कारण तिब्बत में बौद्ध धर्म गया और इसका प्रचार-प्रसार हुआ. वर्तमान समय की शिक्षा पद्धति पर भी उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि अभी शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की जरूरत है. अब जरूरत इस बात की है कि पाठ्‌यक्रम में प्रेम, करूणा और मैत्री आदि को शामिल किया जाय. बच्चों में शुरू से ही सकारात्मक बदलाव आना चाहिए.

प्रेम व करूणा पढ़ने वाले बच्चे कभी भी हिंसक प्रवृति के नहीं हो सकते. भौतिकतावादी विचारों से लोभ, द्वेष, हिंसा जैसी भावनाएं पनप रहीं हैं. दुख या परेशानी मानव जनित है. भौतिक विकास कभी भी विकास का पैमाना नहीं हो सकता. इससे परेशानी बढ़ती है. इससे सुख-समृद्धि मिल सकती है, शांति नहीं. भौतिक विकास से गरीबी बढ़ी है. दलाई लामा ने दूसरे दुख की व्याख्या करते हुए कहा कि तृष्णा दुख का कारण है. यह बार-बार जन्म लेने को विषयों के राग से जोड़ती है. तृष्णा तीन हैं- काम तृष्णा, भव तृष्णा, व विभव तृष्णा. मानव की दशा मकड़ी की तरह है. हम खुद के बुने जाल में फंसे रहते हैं.

तृष्णा को नष्ट कर हम इससे अलग हो सकते हैं. तृष्णा को नष्ट करना भावचक्र को नष्ट करना है. उन्होंने कहा कि प्रार्थना करने से लाभ नहीं होता है, कुशल कर्म करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं. तपस्या से बुद्धत्व संभव नहीं. कुशल व अकुशल कर्म को समझना होगा. कुशल कर्मों का संचय ही धर्म है. हमारा चित कुछ चीजों को अपनी बोधक्षमता की परिधि में नहीं ला सकता है, इसलिए हमेें केवल आस्था के आधार पर इनमें विश्वास कर लेना चाहिए. दलाई लामा ने कहा कि सकारात्मक कार्यों से ही हम आगे बढ़ सकते हैं. इसके लिए हमें प्राचीन नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों की जरूरत है. बैर को कभी भी बैर से खत्म नहीं किया जा सकता, इसके लिए सहिष्णुता व प्रेम का भाव चाहिए.

82 वर्षीय दलाई लामा अवलोकितेश्वर के अवतार माने जाते हैं. इसी रूप में दलाई लामा न सिर्फ तिब्बत, बल्कि पूरे बौद्ध जगत में पूजे जाते हैं. दलाई लामा 82 वर्ष से अधिक के हो चुके हैं. झुकने में असमर्थता के कारण इसबार वे मंदिर में बुद्ध के समक्ष साष्टांग दंडवत नहीं कर सके. बोधिवृक्ष होते हुए उन्होंने गर्भगृह में प्रवेश किया और झुककर गर्भगृह के चौखट को चूमा. गर्भगृह में दलाई लाम ने दीप जलाकर विश्व शांति की कामना करते हुए लगभग 20 मिनट तक पूजा की. पहले थेरवादी परंपरा से सुतपाथ किया गया व बाद में उन्होंने तिब्बती परंपरा से भगवान बुद्ध की पूजा की.

नीतीश कुमार भी हुए शामिल

इस आयोजन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 7 जनवरी को शामिल हुए. इस मौके पर दलाई लामा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का खादा (पवित्र वस्त्र) पहनाकर स्वागत किया और उन्हें भगवान बुद्ध की प्रतिमा भेंट की. सीएम ने उन्हें प्रणाम कर आशीर्वाद लिया. दलाई लामा ने नीतीश कुमार के कार्यों की तारीफ की. अपने सम्बोधन के दौरान दलाई लामा ने नीतीश कुमार से अपनी मुलाकात को गुरु-शिष्य की भेंट बताया. महाबोधि मंदिर पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन करोड़ 96 लाख की लागत से बनी चहारदीवारी का उद्घाटन किया. कालचक्र मैदान में दलाई लामा और नीतीश कुमार ने तिब्बती विद्धानों द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘साइंस एंड फिलॉस्फी इन द इंडियन बुद्धिस्ट क्लासिक नालंदा ट्रेडिशन’ का विमोचन किया.

यह विभिन्न खंडों वाले एक संस्करण का पहला भाग है, जिसमें लौकिक विश्व के बारे में वैज्ञानिक पर्यवेक्षण और बौद्ध साहित्य के ज्ञान पर प्रकाश डाला गया है. पुस्तक के विषय में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें लिखी गईं बातें विश्व कल्याण, विश्व शांति और विश्व बंधुत्व को नया आयाम प्रदान करेंगी. अगर इस साल हिन्दी में इसका अनुवाद आता है, तो बहुत लोग बौद्ध दर्शन और उसके वैज्ञानिक स्वरूप को जान पाएंगे. नीतीश ने बुद्ध के वैज्ञानिक चिंतन से भारतीय युवकों को अवगत कराने के लिए आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा की प्रशंसा की और कहा कि ऐसी भूमि से जुड़ा होना हर बिहारवासी के लिए गर्व की बात है, जहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ, क्योंकि उनके चिंतन ने दुनियाभर में लोगों को प्रेरणा दी है.

नीतीश कुमार ने कहा कि जिस प्रकार आज पूरी दुनिया ने बौद्ध दर्शन को अपनाया है, यह बड़ी प्रसन्नता की बात है. परम पावन दलाई लामा हमेशा से नालंदा परंपरा की बात करते हैं. तिब्बत के लोग इस परंपरा को आगे बढ़ाने में जुटे हैं. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है. जब कभी दलाईलामा बोधगया आते हैं, मुझे बड़ा हर्ष होता है. उनके उपदेश से असंख्य लोग प्रेरित हुए और उनमें बदलाव आया. मुख्यमंत्री ने बताया कि नालंदा के नजदीक तेलहड़ा में हमने खुदाई करवाई है, जहां नया विश्वविद्यालय उभर कर सामने आया है. इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी सरकार न्याय के साथ विकास के सिद्धांत पर चल रही है.

हम सिर्फ लोगों का ही नहीं, जीव जन्तुओं का भी ध्यान रखते हैं. सूबे में हुई शराबबंदी अब नशामुक्ति तक जा रही है. विगत दो वर्षों से बिहार में पूरी तरह शराबबंदी है. शराबबंदी के समर्थन में पिछले वर्ष 21 जनवरी को मानव श्रृंखला में भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया था, जो एक विश्व रिकॉर्ड था. इस वर्ष दो अन्य कुरीतियों बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरोध में आगामी 21 जनवरी को मानव श्रृंखला बनाई जाएगी. बिहार के लोग इसे भी ऐतिहासिक बनाने में जी-जान से जुटे हैं. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि इस मानव श्रृंखला को सफल बनाने में सहयोग करें.

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