इन दिनों की देश की सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक सीबीआई सबसे ज्यादा चर्चा में हैं. इससे जुडे नए-नए खुलासे नए-नए सवाल भी सामने लेकर आ रहे हैं. इसी में से एक सवाल ये है कि स्टर्लिंग-बायोटेक कंपनी द्वारा किए गए पांच हजार करोड़ के फ्रॉड की सीबीआई या इन्फोर्समेंट डायरेक्टेड ने जांच क्यों नहीं आगे बढ़ाई!
पांच हजार करोड़ के फ्रॉड में आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग की गिरफ्तारी के बाद से यह सवाल गहराया हुआ है कि स्टर्लिंग-बायोटेक कंपनी के अलमबरदारों और कंपनी से जुड़े कांग्रेस नेता अहमद पटेल से अब तक सीबीआई या ईडी ने पूछताछ क्यों नहीं की? जबकि अहमद पटेल के बेटे फैसल पटेल का नाम आयकर अधिकारियों को घूस देने के क्रम में सीबीआई की एफआईआर और ईडी की एफआईआर में आ चुका है.
ईडी ने अहमद पटेल के खास गगन धवन के खिलाफ तो चार्जशीट भी दाखिल कर रखी है. गुजरात के वड़ोदरा स्थित स्टर्लिंग-बायोटेक ग्रुप द्वारा आयकर विभाग के आला अधिकारियों को भारी रिश्वत दिए जाते रहने का खुलासा हो चुका है.
तो दरअसल, इसके पीछे कारण हैं सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना. जिनका बेटा अंकुश अस्थाना स्टर्लिंग बायोटेक कंपनी में 2010 से 2012 के बीच ऊंचे ओहदे और ऊंची सैलरी पर काम करता था. अस्थाना की बिटिया की नवम्बर 2016 में हुई आलीशान शादी स्टर्लिंग फॉर्म हाउस में ही हुई थी, जो काफी विवादों में रही.
स्टर्लिंग-संदेसारा ग्रुप से घूस खाने वाले लोगों की सूची में राकेश अस्थाना का नाम भी शामिल रहा है. सीबीआई द्वारा बरामद की गई डायरी से यह खुलासा हुआ था कि वर्ष 2011 में अस्थाना को करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए कुछ किस्तों में दिए गए थे. उस समय अस्थाना सूरत के पुलिस कमिश्नर थे.
सीबीआई ने तब इस मामले में दो एफआईआर भी दर्ज की थी. पहली एफआईआर कंपनी से घूस खाने वाले तीन आयकर आयुक्तों के खिलाफ थी और दूसरी एफआईआर बैंक के साथ पांच हजार करोड़ की धोखाधड़ी किए जाने के मामले से जुड़ी थी.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना को तरक्की देकर सीबीआई का स्पेशल डायरेक्टर बनाने का विरोध किया था. लेकिन केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और केंद्र सरकार ने निदेशक की बात को टाल कर अस्थाना को त्वरित गति से प्रमोट कर दिया. जब राकेश अस्थाना के क्लोज-लिंक कांग्रेस नेता अहमद पटेल से थे, तब मोदी सरकार ने ऐसा क्यों किया? यह भी एक अहम सवाल है. खैर, यह सियासत है और इसके पेचोखम आपस में इतने उलझे होते हैं कि आम आदमी क्या, कई खास लोगों को भी समझ में नहीं आते.