पहले फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई गंभीर अपराधिक मामलों में ही हुआ करती थी, पर माननीयों पर गंभीर अपराधिक मामले दर्ज होते जा रहे हैं, इसलिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है. झारखंड राज्य के चार मंत्रियों समेत 21 विधायकों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में विचाराधीन 68 मामलों की सुनवाई अब जल्द ही फास्ट ट्रैक अदालतों में होगी. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष कोर्ट गठित करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट को भेजी गई सूची में जिन 116 अपराधिक मामलों का जिक्र है, वो जनप्रतिनिधियों के खिलाफ तो हैं ही, सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि एक विधायक पर कई केस चल रहे हैं. ज्यादातर विधायक ऐसे हैं, जो एक या दो मामलों में तो बरी हो चुके हैं, लेकिन बाकी केसों में सुनवाई जारी है. सबसे ज्यादा केस कांग्रेस की विधायक निर्मला देवी पर हैं.
उन पर 10 अपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें नौ मामलों पर सुनवाई चल रही है, जबकि एक मामले में वे दोषी पाई गई हैं. सूची में जिन केसों का जिक्र है, उनमें सबसे पुराना रामगढ़ जिले में दर्ज है. हालांकि रामगढ़ में दर्ज इस केस में आरोपी बनाए गए जल संसाधन मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी को कोर्ट से बरी किया जा चुका है.
इस सूची में सुधा चौधरी, सत्यानंद झा और विष्णु प्रसाद जैसे तीन पूर्व विधायकों का भी नाम है. तीनों के खिलाफ फिलहाल एक-एक केस अलग-अलग अदालतों में विचाराधीन हैं. इसके अलावा, विदेश सिंह के खिलाफ चार मामले चल रहे थे, मगर उनके निधन के बाद ये सभी मामले अब बंद हो गए हैं. कुछ केस 2004 और 2009 के हैं, तो कई मामले ऐसे भी हैं जो 2017 में दर्ज हैं.
यदि इन मामलों में भ्रष्टाचार एवं आय से अधिक संपत्ति से जुड़े मामलों को भी अगर जोड़ा जाए, तो ऐसे मामलों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो जाएगी. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा से लेकर आधा दर्जन से अधिक मंत्री जेल जा चुके हैं. कई अन्य पर भी मामला दर्ज हो सकता है. अब देखना है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के बाद माननीयों पर क्या असर पड़ता है. इसके बाद ये अपराध की दुनिया से दूर होते हैं या और आगे भी इस तरह के अपराधिक चरित्र वाले जनप्रतिनिधि राजनीति में बने रहते हैं.