भोपाल। खंडवा लोकसभा के उपचुनाव से मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने अपनी दावेदारी पीछे ले ली है। उन्होंने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इसकी सार्वजनिक घोषणा कर दी। यादव के इस कदम से कांग्रेस सहित भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं सहित प्रमुख नेता हतप्रभ हो गए।
गौरतलब है कि सोनिया गांधी को लिखे पत्र में अरुण यादव ने चुनाव न लड़ने की वजह पारिवारिक कारणों को बताया है। खंडवा लोकसभा सदस्य पर उपचुनाव नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के कारण करवाए जा रहे हैं। नंदू भैय्या के निधन उपरांत अरुण यादव लगातार खंडवा लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय रहकर चुनाव की तैयारी कर रहे थे। आखिर चुनाव की अंतिम बेला में अपनी दावेदारी वापस लेने की वजह क्या रही ? कहीं लोकसभा उपचुनाव में पराजय का डर तो नहीं ? अगर अभी तक के इतिहास पर नजर डाली जाए तो अरुण यादव चार चुनाव लड़ चुके हैं और जीत हार भी मिली है।
कमलनाथ की हठधर्मिता
मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी अलग ही कार्यशैली को लेकर जाने जाते हैं। कांग्रेस सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि कमलनाथ चारों उपचुनाव क्षेत्रों में निजी स्तर पर सर्वेक्षण के आधार पर प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में हैं। अरुण यादव पूर्व प्रत्याशी और सांसद की हैसियत से अपनी तैयारी कर रहे थे। इस दौरान कमलनाथ और अरुण यादव के बीच तल्ख रिश्तों की जानकारी भी सामने आई थी। कांग्रेस से अन्य प्रमुख दावेदार के तौर पर निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की पत्नी जयश्री एवं कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी भी शामिल हैं और इन्हें कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह सहित निमाड़ क्षेत्र के अधिकांश अरुण यादव विरोधी कांग्रेसी समर्थन दे रहे हैं।
खंडवा लोकसभा प्रभारी राजकुमार पटेल साथ क्यों ?
अरुण यादव इस घोषणा के बाद सोमवार को फिर इंदौर से लोकसभा क्षेत्र के लिए रवाना हो गए। इस दौरान खंडवा लोकसभा क्षेत्र के प्रभारी राजकुमार पटेल भी उनके साथ थे। पटेल मूलतः भोपाल निवासी हैं, फिर उनका इंदौर में मौजूद रहना संदेह को बल देता है। क्या पटेल मीटिंग के लिहाज से साथ थे या फिर वे अरुण यादव को मनाने के लिए इंदौर में उनके फ्लैट पर मौजूद थे। अगर मीटिंग के लिहाज से देखें तो खंडवा लोकसभा के दूसरे प्रभारी मुकेश नायक भोपाल से सीधे मीटिंग स्थल पर पहुंचे हैं । गौरतलब है कि अरुण यादव बुदनी विधानसभा चुनाव भी राहुल गांधी के निर्देश पर लड़ चुके हैं और राजकुमार पटेल की राजनीतिक कर्मभूमि बुदनी है।
अरुण का मास्टर स्ट्रोक तो नहीं ?
अरुण यादव का सोनिया गांधी को लिखा पत्र राजनीतिक हलकों में मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। यादव के इस स्ट्रोक से कांग्रेस सहित भाजपा के कई नेता भी हतप्रभ हो गये हैं। सबसे अधिक हतप्रभता की स्थिति खंडवा से भाजपा के दावेदारों की भीतर है। दो दिन पहले जोबट की कांग्रेस नेता सुलोचना रावत के भाजपा ज्वाइन करने के बाद लोगों ने निगाहें अरुण यादव पर टिका दी हैं। राजनीतिक हलकों में इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि अरुण यादव भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हांलांकि अरुण यादव ने इस तरह की संभावना से स्पष्ट इंकार कर दिया है।