सिकंदर महान जब फारस के राजा दारा को जीतकर जब नगर में प्रवेश कर रहा था, तब उसके स्वागत हेतु नगर के लोग पंक्तिबद्ध खड़े हुए उसका स्वागत कर रहे थें. सभी लोग राजा सिकंदर का बेहद गर्मजोशी के साथ अभिवादन कर रहे थे और सिकदंर सबका अभिवादन स्वीकार कर रहे थें. जिसे देखकर सिकदंर बेहद मुग्ध हो गए.
सिकदंर थोड़ा सा आगे बढ़े तो उन्हें आगे जाकर फकीरों की टोली दिखाई दी, जो सिकदंर को देखकर भी नजरअंदाज कर रहे थें और उसकी जीत पर किसी भी प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर रहे थें. जिसे देखकर महान सिकदंर खिन्न हो गए और अपने सैनिकों को आज्ञा दी कि इन फकीरों को बंदी बना लो और इन्हें जेलखाने में डाल दो.
इसके बाद महान सिकदंर ने फकीरो की टोली से पूछा की तुम लोग मुझे देखकर कर किसी प्रकार अभिवादन क्यों नहीं कर रहे हो. क्या तुम्हें नहीं मालूम कि मैं विश्व विजेता हूं. महान सिकदंर के इस बयान से फकीरों की टोली में से एक ने कहा कि तुम अपने आपको क्यों महान कहते हो.
केलव इसीलिए कि तुम्हारे मन में एक प्यास है तृष्णा है जिसे तुम बुझाना चाहते हो क्योंकि तुम उसे देख नहीं पा रहे हो. जो तृष्णा तुम्हारे ऊपर सवार है वो दुनिया को खाक में छानने के लिए मजबूर कर देगा. महान सिकदंर ने जैसे ही उस फकीर का ये बयान सुना वैसे ही उसका सारा गरुर चला गया और उसने अपने सैनिकों का आज्ञा दी कि इन फकीरों को छोड़ दो.