हक ,ईमान ,न्याय ,समानता ,विश्व शांति के पक्षधर सारी दुनिया के उन लाखों लोगों को सलाम ,जिन्हें सत्ता की कोई ख्वाहिश नहीं है ,दूर दूर तक उनके सत्ता में आने की कोई उम्मीद भी नहीं है ।फिर भी वे लड़ रहे हैं ।अपने मोर्चे पर डटे हुए हैं ।कबीर के शब्दों में कहें तो अपना घर फूंक कर भी ऐसे लोग जन आंदोलनों में शामिल हैं ।
वे जन विरोधी सत्ता के निशाने पर होते हैं ।उन्हें देशद्रोही साबित करने की साजिशें सत्ता के संरक्षण में होती हैं । उन पर फर्जी आरोप लगाकर उन्हें मुकदमों में फंसाया जाता है ।वे जेलों में डाल दिए जाते हैं ।फिर उनके मुकदमों की फाइलें भी गायब कर दी जाती हैं ।उनमें से कई आंदोलनकारी बंदी जेलों में ही बीमार होकर मर भी जाते हैं ।फिर भी वे अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करते ।उन्हें कोई खरीद नहीं सकता ।
जेलों के बाहर भी जन विरोधी सत्ता की समर्थक भक्त मंडली और गोदी मीडिया उन जन पक्षधर लोगों की छवि खराब करने का अभियान चलाता है ।तथ्यों से छेड़छाड़ होती है ।वे हत्यारों के निशाने पर होते हैं ।
फासीवादी हत्यारों के शिकार हुए तर्क संगत विचारकों एम एम कलबुर्गी ,नरेंद्र दाभोलकर ,गोविंद पानसरे , गौरी लंकेश की तरह उन जन पक्षधर लोगों की भी हत्याएं होने की आशंका बनी रहती है ।फिर भी वे भयभीत नहीं होते ।अपने पथ और लक्ष्यों से विमुख नहीं होते ।
अक्सर मैं जब यह सोचता हूं कि आखिर ऐसी कौन सी चीज है जो इतने संकटों और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद उन्हें अपने मोर्चे पर डटे रहने की ऊर्जा देती है ,तब गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता
कहने दो उन्हें जो यह कहते हैं
की याद आती है । उस प्रेरक कविता की कुछ पंक्तियां प्रस्तुत हैं ,
तुम्हारे पास ,हमारे पास
सिर्फ एक चीज है
ईमान का डंडा है ,
बुद्धि का बल्लम है ,
अभय की खेती है
हृदय की तगाड़ी है ,तसला है
नए नए बनाने के लिए भवन
आत्मा के ,
मनुष्य के ,
हृदय की तगाड़ी में ढोते हैं हमीं लोग
जीवन की गीली और
महकती हुई मिट्टी को ।
ईमान का डंडा लेकर चल रहे ऐसे लोगों को क्रांतिकारी अभिवादन ।
वे लड़ेंगे और जीतेंगे ।
उन्हें लाल सलाम ।