पिछले दिनों संपूर्ण बिहार में नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. इसका मकसद पंचायत प्रतिनिधियों को इनके अधिकार व कर्तव्य की जानकारी देना था. सरकारी निर्देश के आलोक में प्रशासनिक स्तर पर जोड़-शोर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. परंतु वहीं हुआ, जिसकी संभावना व्यक्त की जा रही थी. प्रशिक्षण से लौटने के बाद भी कई वार्ड सदस्यों को अपने कर्तव्य की समुचित जानकारी नहीं हो सकी. बताया जाता है कि इसके लिए दो स्तर पर लापरवाही हो सकती है. पहला यह कि प्रशासनिक स्तर पर संबंधित विभाग के पदाधिकारियों ने इस कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया. दूसरा यह कि पंचायत प्रतिनिधियों ने भी इस दिशा में कोई ख़ास मतलब नहीं रखा है. अब कारण जो भी हों, मगर इतना तो साफ है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के पीछे सरकार की मंशा पूरी होती नहीं दिख रही है. वहीं दूसरी ओर कुछ स्थानों पर अनोखा अंदाज में नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिलाने का कार्य किया गया है. सीताम़ढी जिले के रीगा प्रखंड के रामपुर गंगोली स्थित गणेश सरस्वती सेवा संस्थान प्रशिक्षण केंद्र में शिवहर प्रखंड के नव निर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया गया. गांव विकास मंच द्वारा द-हंगर प्रोजेक्ट के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण अलग अंदाज में संपन्न हुआ. प्रोग्राम ऑफिसर शाहिना प्रवीण, द-हंगर प्रोजेक्ट पटना की स्टेट कॉ आर्डिनेटर रंजना कुमारी, इजाद की सचिव अख्तरी बेगम के अलावा स्थानीय प्रशिक्षक शशिकला, रंभा कुमारी व रण विजय ने निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को इनके अधिकार को कार्य करने की योजनाओं की समुचित जानकारी दी. गीत व संगीत के माहौल में महिला प्रतिनिधियों ने प्रशिक्षक के बताये अधिकांश बातों को यूं ही याद करने में कामयाब रही. प्रतिनिधियों के उत्साह का आलम रहा कि ‘अब त घास भूसा कर चाहे छोड़ द सैया, पंचायत जात बानी…; जैसे गीतों को गाकर रोल प्ले, विडियो शो व चार्ट प्रदर्शनी द्वारा पंचायती राज कानून की जानकारी वार्ड सदस्य, मुखिया, उपमुखिया, पंचायत समिति सदस्य व जिला परिषद के अधिकार व कर्तव्य की जानकारी ली. वहीं तीस-तीस के दो समूह में प्रशिक्षण लेने वाली पिपराही प्रखंड की पंचायत प्रतिनिधियों ने वार्ड सभा व ग्राम सभा का समय, अध्यक्षता व कार्यकारिणी के बैठक समेत अन्य जानकारी लेती रही. प्रशिक्षण समापन के अवसर पर शिवहर जिला परिषद अध्यक्ष नीलम देवी, उपाध्यक्ष सुखलाल राम, समेत अन्य ने प्रशिक्षण में शामिल पंचायत प्रतिनिधियों की सजगता को सराहा. महिला प्रतिनिधियों ने ‘दरिया की कसम, मौजों की कसम, ये ताना बाना बदलेगा, तू खुद को बदल, तू खुद को बदल, तब हीं जमाना बदलेगा… की लय से वातावरण में महिला सशक्तीकरण के अंदाज का प्रवाह कर दिया. गांव विकास मंच के नागेंद्र प्रसाद सिंह का कहना है कि अब जरूरत है कि प्रशिक्षित पंचायत प्रतिनिधियों को उनका कार्य करने की हर स्तर पर स्वतंत्रता मिले. जब तक महिलाओं को अधिकार को सदुपयोग का मौका नहीं मिलेगा, तब तक बापू के पंचायती राज का सपना साकार नहीं हो सकेगा.
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