साथीयो अभि-अभि आज के अखब़ार में इराण के नुक्लियर प्रोग्राम के प्रमुख प्रो. मोहसिन फख्रिजादेह नामके वैज्ञानिक की हत्या की खबर देखकर मै हैरान हूँ ! क्योंकि 2010 के नवम्बर और दिसंबर के दिनो मे पहले जमीन से-जमिन कारवा इस शीर्षक के साथ फिलिस्तीन मुक्ति का कार्यक्रम के दौरान मैंने इराण के दौरे मे पार्लिमेंट में प्रो मोहसिन के साथ खाना खाया हूँ और हमारी काफी लंबी बात भी हुई थी और उन्होने अपना विजिटिंग कार्ड भी मुझे दिया था !
और उस समय के हमारे यात्रा के देश है सबसे पहले पाकिस्तान से वाघा बॉर्डर से होते हुए पाकिस्तानी पंजाब,सिंध और बलूचिस्तान और उससे लगा हुआ इराणके बलूची बहुल शहर झायदान और फिर पुरा ईरान क्रॉस कर के सिरिया उसके बाद तुर्किस्तान का सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका कुर्दिस्तान की मांग करने वाले याने वॉन नाम के इलाके से होते हुए सिरिया मे प्रवेश किया था और सिरिया की राजधानी दमास्कस से दो दिन के लिए बाय रोड लेबनान भी जाकर आये थे ! फिर पानीके जहाज से गाझा के लिए सिरिया का एक मात्र बंदरगाह शहर लाताकिया मे लगभग दस दिन अटक गये थे और वजह थी इस्राइल के मोसाद नाम के खुफिया एजेंसी ने हम लोगों को इंटरनेशनल टेररिस्ट करके अपने वेबसाइट पर हमारे सबके फोटो और प्रोफ़ाइल के साथ डिक्लेयर कर दिया था! और पानी के जहाज से गाझा के लिए जाने कि बात विवादग्रस्त हो गई थी !
आखिर 2011 साल का स्वागत हमने लताकिया मे ही किया था और अखिर में थक हार के बाद सिरिया सरकार ने एक प्लेन से हमे इजिप्त के अलअरीश नाम के एयरपोर्ट जो की सिनाई डेझर्ट(रेगिस्तान) के अंदर है वहा पर हमे उतार दिया था ! और वहा भी इजिप्त का अनुभव बहुत ही खराब रहा हमे वहासे 40 किलोमीटर की दूरी पर गाझा के लिए अंत मे अलअरीश एयरपोर्ट पर सत्याग्रह करना पड़ा था ! और 5-6 घंटे से ज्यादा समय होने के बाद कुछ खटारा बसो में लादकर रफा बॉर्डर पर उतार दिया !
जहा से रात के बारा बजे के बाद गाझा के मित्र लेकर गये थे ! और वहा एक ही सरकारी होटल है जहा पर हम सबको ठहराया गया था और वह केस्पियन समुद्र के किनारे पर था लेकिन उसके अंदर वॉटर माईण्स और गाझा के चारो तरफ लैंडमाईण्स डाली हूई थी ! यह सब कम लगा होगा तो गाझा के समुद्री इलाका छोडकर बाकी सभी हिस्से को कम्से कम 25 फिट उपर और पाँच फिट निचे जमिनोके भितर याने 30से 35 फिट कॉक्रीट की उचि दिवार और उसके उपर हाय होल्टेज इलेक्ट्रानिक तरोका जखिरे के साथ कुछ गज दुरिपर वॉच टॉवर पर मोर्टर या एके 56 जैसे अत्याधुनिक उपकरणों के साथ इस्राइल के सैनिक बडी मुस्तैद मुद्रा में तैनात और दिवार से सटी हुई जमिन पर दिवार को समानांतर सडक मार्ग और उसपर से बख्तरबंद गाडिया चक्कर लगा रहे हैं यह तो किसी हाय सिक्यूरिटीज जेल से भी ज्यादा बन्दोबस्त गाझा शहर के लिये याने ओपन जेल !
हम लोग एक तरह से ओपन जेल में एक सप्ताह रहे थे ! लेकिन 10-15 लाख से भी ज्यादा गाझा के फिलिस्तीनी नागरिक अपनी पूरी जिंदगी गुजार रहे हैं यह सोचकर मैं हैरान हो गया था! और गाझा के एक भी इमारत को मैने ईंटेक्ट नहीं देखा! फिर वह अस्पताल हो या स्कूल,युनिवर्सिटी,या रिहायशी इलाके के मकानो की दीवारो मे मोर्टर के छेद और कोई कोई इमारते तो अधि ही बची है ! आधी बम विस्फोट की वजह से उड गयीं!और वही हाल अपाहिज लोग बच्चे,बूढ़े औरतों को देखकर तो मेरी निंद गायब हो गई थी ! और नहीं खाने-पीने की इच्छा बची थी ! मैने मेरे जीवन में प्रथम बार ऐसा नजारा देखा है !
और बार बार मेरे जेहन में आता था कि किस जालिम के हाथो मे कागज पेन्सिल आ गया था और उसने कागज पर रेखाये खिचकर यह देश हमारा-तुह्मारा के खेल से पुरे विश्व को बाटकर रख दिया है ! और उसी के लिये आर्मी,बम,अणुबम की स्पर्धा जारी किया है ! और दुनियाँ के कितने लोगों की जाने युध्द नाम के विकृत खेल खेलकर बर्बाद कर दिया है ! मेरी तो स्पष्ट मान्यता है कि जितने लोग देश और धर्म के नाम पर मारे गये हैं उतने और दुसरी बात मे नहीं मारे गये हैं ! और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के कथन के अनुसार राजनीती अल्पकालिक धर्म है और धर्म दीर्घ काल की रजनिति है ! इसमे मै अपने खुद का वचन देश के लिए भी जोडना चाहता हूँ कि देश अल्पकाल के लिए प्रेम का विषय है और दीर्घकालिक द्वेष का विषय ! क्योकिं यह दोनो वचनों को आज भारत से लेकर पुरे विश्व में आज कि तारीख में परवान चढ़ कर बोल रहे हैं !
जितना पैसा इन दोनों बातो पर खर्च होता है उतना स्वास्थ,शिक्षा जैसे विषय पर नहीं किया जाता है ! भारत जैसे देश को ही लीजिए एक प्रतिशत भी स्वास्थ पर खर्च नहीं किया जाता है ! वही बात शिक्षा पर तिन से ही कम प्रतिशत ! लेकिन रक्षा बजट देखीये ! और यह बात पकिस्तान के लिए भी लागू होती है यह दोनो एक दूसरे की देखा देखी मे बच्चों जैसा पागल हो गये हैं ! और अपने असली समस्याओ का समाधान करने की जगह सिर्फ तथकथित रक्षा के नाम पर अरोबो खरोबो रूपये बर्बाद कर रहे हैं !
संघ परिवार अपनी शाखा मे कहते रहता है कि इस्लाम खतरे मे है बोलने से पुरे विश्व के मुसलमाँन इकठ्ठा हो जाते हैं और मै पकिस्तान में पहले शिया और सुन्नी फिर कादियानी,अहमदिया फिर सुन्नी होने के बावजूद भाषा के आधार पर! पंजाबी,सिंधी,बलूच,स्वात घाटी के अलग-अलग लोगों के अलावा और सबसे ज्यादा प्रभावित पुराने नोर्थ ईस्ट फ्रंटियर अब फटा और उनके अलग अलग जिरगे ! मेरी तो दोनो बार पकिस्तान जाने के अनुभव के बाद मुझे लगा कि 73साल हो गये हैं पकिस्तान को वजूद में आकर लेकिन पकिस्तान सही मानो मे पकिस्तान एक नहीं बन पाया और टोटल फेल स्टेट लगा !
और इसी रस्ते पर भारत में संघ परिवार अपनी टुच्ची हरकतें करने के कारण जिसका मुझे दो साल पहले असमा जहांगीर पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता जो अब इस दुनिया में नहीं रही ने हैदराबाद भारत के में मेरे साथ की आखिरी मुलाकात मे बोला था कि सुरेशभाई मेहरबानी करके भारत का पकिस्तान मत होने दीजिए ! तो मैंने जवाब में बोला कि असमाजी संघ परिवार का आदर्श पकिस्तान बननेका है और शायद वह उनके इरादोमे कामयाबी हासिल कर रहे हैं और यही आलम जारी रहा तो पकिस्तान से भी ज्यादा कट्टरपंथी भारत बनने मे देर नहीं है ! गाय,मंदीर,लव-जेहाद यह उस के कुछ उदहारण है !
और ईरान का बलूची और दूसरे तरफ कुर्द और सबसे महत्वपूर्ण बात इराणके 55%आबादी ट्राईबल की है ! उनके अपने जिरगे और रवायतें है ! और वही बात इराक में भी अब तक लाखो कुर्दिस मारे गए है और तुर्कस्तानने भी मै अपने खुद के आखों से देखा हूँ और बलूच,अहमदीये,कुर्द,सिंधी,पंजाबी,स्वात घाटी के और मुख्य रूप से तिनों तरफ के बलूच और कुर्दिस लोगों को मिलकर यह सब कुछ लिख रहा हूँ ! और संघ परिवार की एकमात्र रट मुसलमाँनो के लिए दुनियाँ में बहुत मुल्क है हिन्दूओ के लिए भारत छोडकर और कही भी जगह नहीं है !
पाकिस्तान,ईरान,सिरिया,लेबनान,तुर्कस्तान,और इजिप्त और वहासे सिनाई के रेगिस्तान के अलअरिश एयरपोर्ट से होते हुए रफा बॉर्डर को क्रॉस कर के गये थे गाझा ! लेकिन पकिस्तान ने कहा कि आप बलूचिस्तान में रस्तेसे नहीं जा सकते हो ! वैसे तो वह बोले कि आपके सुरक्षा का मसला है और हम रिस्क नहीं ले सकते!लेकिन हमारे पकिस्तान के जजमान ने पहले तो हमको ही पुछा कि आपको क्यो नही जाने दे रहे हैं?तो हमने कहा सुरक्षा का मसला है तो वह बोले कि किसकी सुरक्षा? आपकी या पकिस्तान की ? तो मैंने पूछा अखिर में बात क्या है ? तो वह बोले आपको पेशावर में एक लाख से भी ज्यादा लोग इन्तजार कर रहे हैं !
मैने कहा कि हमें हमारे देश में मोहल्ला के लोग भी ठीक से पहचानते नहीं और यह पेशावर में एक लाख से भी ज्यादा! क्या बात है ? तो वह बोले कि बलूच लोग चाहते हैं कि आप लोग जिस तरह से फिलिस्तीन मुक्ति का कार्यक्रम के तहत कारवाँ निकाल रहे हो वैसाही बलूचीस्तान के लिए भी कुछ करो यही बात कहने वाले लोगों ने आपके स्वागत करने के लिए पेशावर में एक लाख से भी ज्यादा संख्या में लोगों को इकठ्ठा करने का इन्तजार कर रहे हैं और यह बात आई एस आई ने अपने आकाओ को बताने के कारण आप लोगों को लाहौर से वापिस लौटने के लिए कहा है !
तो हम लोग दिसंबर के 6 तारीख को एक रात को लाहौर रहे थे और वपसि मे दिल्ली आकर दिल्ली से रातके दो बजे के बाद तेहरान की फ्लाईट से सुबह के पाँच बजे तेहरान एयरपोर्ट पर उतर गये थे ! तो देखा कि कोई इमिग्रेशन का चक्कर नहीं ! सीधा विमान से उतरकर सीढि ही के पास हमारे स्वागत के लिए काफी लोग आये हुए थे ! तो उस्मे से पाँच ईरानी संसद के सदस्य थे तिन पुरुष और दो महिला सदस्य थे ! उस्मे की एक महिला सदस्य ने जबरदस्ती से मेरे बैग को अपने हाथ में लिया फिर वही से बसो में बैठाकर डोमेस्टिक एयरपोर्ट पर ले गये थे और वहा से दुसरी फ्लाईट से झायदान जो पकिस्तान के बलूचिस्तान से लगा हुआ है और ईरान का बलूचीस्तान है !
वहा के एयरपोर्ट पर फिर वही आलम बिल्कुल विमान की सीढि के पास एक ट्रक पर साउंड सिस्टम लाये हुये थे तो उसिपर हमारे स्वागत करते हुए और जवाब मे हमारे भाषण ! झायदान विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में ठहरने की व्यवस्था थी वहा एक दिन अलग अलग कार्यक्रम चले ! झायदान विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम हूआ और झायदान शहर में भी एक कार्यक्रम हूआ छोटा शहर है लेकिन बहुत ही सुंदर हैं और करिनेसे बनाया गया है ! मैं तो फ़र्स्ट साईट फोलिन इन लव जैसा ही हो गया था और सबसे ज्यादा प्रभावित वही उसकी सादगीपूर्ण जीवन शैली और स्वच्छता ! बडे-बडे रस्ते ! और रस्तो के दोनो तरफ पेड!
और झायदान विश्वविद्यालय के अंदर ही उसी बिच मे अल जझिरा नाम के टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू के समय मेरा इंटरवू लेने वाले अँकर को मैने पुछा कि मुझे लगता है कि आपको मैने देखा है ! तो वह बोला कि बिल्कुल देखा होगा क्योकिं ओसामा बिन लादेन को सबसे ज्यादा बार इंटरवू करने वाले लोगों में मै भी एक हूँ ! और मै खुद एक विस्थापीत फिलिस्तीनी नागरिक हूँ ! तो मैंने पूछा आप हमारी फ्लाईट मे नहीं थे? तो वह बोले कि हमारा चैनल की अपनी फ्लाईट है और हमारा चैनल भले ही कतार जैसे बहुत ही छोटे देश से चलता है लेकिन आज दुनियाँ का सबसे ज्यादा दर्शक वर्ग के लोगों द्वारा देखा जाता है ! और हमारे पास अपने विमान और हेलीकाप्टर के जखिरे हैं !
मेरे झायदान के जजमान लोगों को क्या लगा मालुम नहीं!मुझे रात के खाने के बाद बोले कि यदि आप ज्यादा थके नहीं हो तो हम आपको बॉर्डर पर ले जाने के लिए तैयार है ! तो मैंने कहा वैसे भी पकिस्तान ने बाय रोड आने नहीं दिया है तो चलिए थोडा वह भी हो जाय वहा गये तो चांदनी रात थी एक टीले पर ले जाकर मुझे बोले थे कि सामनेवाली दिशा में पकिस्तान का बलूचिस्तान और बाये हाथ की दिशा में अफ्गनिस्थान का बलूचिस्तान और आप जहा पर खडे होकर यह नजारा देख रहे हैं वह ईरान का बलूचीस्थान ! आप तिन देशों की बॉर्डर के त्रिकोण में खडे होकर यह सब देख रहे हैं!
अगर आपकी इच्छा हो तो आप दोनों याने अफ्गनिस्थान के बलूच और पकिस्तान के बलूच हिस्से की तफरीह कर सकते हो ! मैने कहा कि मुझे पहले फिलिस्तीन की तफरीह कर के आने दो यह सब कुछ बादमे होगा !
दुसरे दिन झायदान से बसो से वापस तेहरान की यात्रा क्योकिं हमारा टायटल लैण्ड टू लैण्ड करवा फॉर फ्री गाझा ! इस्फहान,खौंम,बाम,नज्द,इत्यादि शहरो से होते हुए दो हजार किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी क्रॉस कर के वापस तेहरान पहुचे ! और तेहरान में अमेरिकन अम्बेसी जो इस्लामिक क्रांती के बाद कब्जे में कर ली गयी है और अब वह मुजियम है कि अमेरिका शाह रझा पहलवी के जमानेमे कैसे-कैसे संचार माध्यमों से ईरानियों के ऊपर सर्विलांस करता था और यह बात बिल्कुल भी गलत नहीं है !
क्योकिं जॉन पार्किंग्स नामके अमेरिकन लेखक (थॉमस पेन केवर्तमान वंशजोंवंशजों मे से !) अपनी किताब द कन्फेशन ऑफ इकॉनामिक हिट मेन नामसे है ! उसमे वह लिख रहे हैं कि अमेरिका अपने आर्थिक हिथो के लिए विशेष रूप से लेटीन अमेरिका,अफ्रीका और दक्षिण-पस्चिम एशिया के देशों में क्या-क्या षड्यंत्र किये है ! और वहा के शासको को करप्ट करने से लेकर वहापर सेना द्वारा कू करना या उस राष्ट्र के प्रमुख के विमान दुर्घटना में या कोई और तरीकेसे हत्याओं का विस्तृत वर्णन किया है ! जिसमे पनामा,चिली जैसे देश को कैसे बर्बाद किया गया है यह सब विस्तार से लिखा है !
वैसा ही पोलिटिकल इस्लमिकराण के पिछे पस्चिमी मुल्को पर पहले विश्वयुध्द के बाद किस तरह से सुनियोजित तरीके से अब्दुल वहाब और सौद घरानेको पकड़कर पस्चिमी और दक्षिण आशिया अफ्रीका में सी आई ए की मदद से क्या किया है और अल कायदा ,तालिबान जैसे आतंकी संगठन की स्थापना करने वाले और उन्हे शुरुआती शिक्षा देने वाले यही लोग कौन लोग है ? पूरे विश्व में सभ्यता का संघर्ष की भाषा किसने और क्यो शुरु किया ? तथाकथित शीत युद्ध के समय में यही सब करते रहे सत्तर के दशक में वियतनाम और अस्सी के दशक में ईरान-इराक को हवा देने के पाप कौन किया है और पचास के दशक की शुरुआत में भारत-पकिस्तान,कोरिया,जर्मनी और अरब-इस्राइल जैसे मसलो को किसने निर्माण किया ? चालिस के दशक के दौरान सयुंक्त राष्ट्र ऑर्गनायझेशन बनाया लेकिन उसकी सबसे ज्यादा अवहेलना अमेरिका और तथकथित उसके पीछलग्गु देश ही करते हैं सबसे ज्यादा इस्राइल के लिए इतने प्रस्ताव पारित हुये लेकिन बित्ते भर का इस्राइल कभी भी नहीं माना और हर बार अमेरिकाने वेटोका इस्तमाल किया है और इस्राइल को बचाया है !
1953 मेरे जन्म का साल होने के कारण ईरान के संसद में चुनकर गये प्रधान-मंत्री मोसादेह ने ईरान के भितर जितनी भी तेल की कंपनियां थी सबका राष्ट्रिय करण करने से संपुर्ण योरोपियन और अमेरिकन सरकार इतनी बौखलाए की उनकी सरकार को गिराने के लिए ब्रितानी (2013 मे ब्रिटन ने ओफिसियली कबुल किया है हमने मौहम्मद मोस्सदेह की सरकार को उखाड़कर किस तरह से वापस रझा पहलवी को लाये थे !) और अमरिकी खुफिया एजेंसियों ने मिलियन डॉलर खर्च करके मौहम्मद मोस्सदेह की सरकार के खिलाफ आर्मी को उक्साकर तथाकथीत कू करके शाह रझा पहलवी को 1953 साल के अंतमे जो बैठाया तो 1979 को इस्लामिक क्रांती के बाद उसे दोबारा देश छोड़ना पडा !
असली मामला दुनियामे पहली बार इराणके आबादांन नामकी जगह पर 1916 मे एक तेल के कुआँ की खोज ब्रिटिश ऑयल कंपनि बी पी ने की और उस पुरे क्षेत्र का जियो पोलिटिकल भविष्य ही बदलना शुरु हो गया था और सबसे ज्यादा योरोपियन और अमरिकी कंपनियां तेल की खोजबीन के लिए इस अरेबियन और पर्सियन क्षेत्रों में रात दिन लग गए थे और एक से भी ज्यादा दुसरे क्षेत्रोंमें काला सोना मिलते गया था और उन्हे मामूली सा हिस्सा देकर पुरा तेल आजसे सौ साल पहले से ही यह शोषणकारी लोग निकाल कर मलामाल होने लगे थे और इसलिये आज जो भी कोई इन देशो में प्रथम बार जाता है तो इनकी तथाकथीत प्रगती देखकर प्रभावित हुए बगैर वापस नहीं आता है !
लेकिन इनकी इस तरह के प्रगती का रहस्य कितने लोगों को मालुम है ? और अपनी पकड मजबूत करने के लिए यही लोग कुछ कर रहे हैं और हत्याओं को अंजाम देने में अपने आप को बहुत गौरवान्वित महसूस करते हैं इसलिये एक हत्यारा मुल्क को उसी क्षेत्र में दुनियाँ भरके जू इकठ्ठा करके इस्राइल 14 मई 1948 मे इन्ही खुरापती लोगोके दिमाग की उपज है अन्यथा दुनिया क सबसे पुराने धर्म के लोग इतने सालोमे पूरे विश्व में फैल गये थे और उन्होंने अपने खुद के घर के अलावा जिवन के महत्वपुर्ण क्षेत्रो में महारत हासिल कर रहे हैं और होलीवुड,बैंकिग,मल्टी नेशनल कंपनीयो से लेकर मेडिसन,सायंस,टेक्नोलाजी जैसे क्षेत्रों में अपनीधाक जमाई हूई है !
लेकिन इस सबके बावजूद होम लैण्ड के नामपर इन्हे इस्राइल मे रेडीमेड मकान बनाकर बुला कर बसाया जा रहा है और फिलिस्तीन के लोगो को भगाया जा रहा है और जबतक यह सिलसिला जारी रहेगा विश्वशांती तब तक संभव नहीं है ! ऐसा मुझे लगता है कि अमरीका और योरोपियन लोगों की सरकार को और मुख्यतः वहाके सिविल सोसायटी के लोगों को मेरा अनुरोध है कि वह अपनी अपनी सरकारोपर दबाव बनाने का काम करे तो ही यह मारकाट रुकेगी अन्यथा ऐसे कितने मोहसिन और माईकल मारे जायेंगे इसका कोई हिसाब नहीं रहेगा !
और शुक्रवार 27 नवम्बर 2020 के दिन प्रो. मोहसिन फख्रिजादेह कि हत्या भी उन्ही शक्तियों का षड्यंत्र है ! इसमे रत्तीभर का शक नहीं है ! क्योकि अमेरिका ईरान की क्रांती से ही ईरान के खिलाफ है और आज की तारीख में ईरान और युध्द में बर्बाद किया गया सिरिया ही फिलिस्तीन की समस्या को लेकर कुछ कर रहे हैं और यह बात इस्राइल के लिए विशेष रूप से उसके सरपरस्त अमेरिका के लिए बहुत नागवर गुजरती है !
और इसिलिए ईरान के नुक्लियर प्रोग्राम और मिजाईल के खिलाफ है क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर ईरान इस काम में कामयाब होता है तो सबसे बड़ा धोका इस्राइल को ही है ! और इसिलिए शुरुसेही इसके खिलाफ है और इराण की हर तरह से नाकाबन्दी करना जारी है लेकिन अभि प्रो फख्रिजादेह कि हत्या कर के बहुत बडा गुनाह किया है और इसकी सजा हर हालत में देनी चाहिए !
,,,तेहरान में कई कार्यक्रम आयोजित किये गये थे और उसमे तेहरान विश्वविद्यालयके कार्यक्रम के पहले मै सामनेवाले कुर्सी पर बैठा था तो मेरे बगल वाली कुर्सी खाली थी और संदीप पांडे कुर्सी ढूंड रहे थे तो मैने उसे बुलाया तो तुरंत एक सूट-बूट धारी जवान ने नो-नो करके मना करने के बाद मैने उसे कहने की कोशिश की कि वह भी मेहमान है तो मेरा हाथ ऊसके कोट की जेब को लग गया तो पता चला कि पिस्तौल है ! तो मै समझ गया कि मामला कुछ और है ! और थोडी देर बाद एक नाटा सा आदमी बिल्कुल एक साधरण कोट-पतलून पहने हुए उस कुर्सी पर आकर बैठ गया था !
और मैंने गौर किया तो हैरान हो गया वह इराणके राष्ट्रपति अहम्दे निजात थे ! नहीं मुझे किसिने कहा और नहीं मेरे कन्धे के झोले की तालाशी लि गई थी ! और तुरंत बाद ही हम दोनों को स्टेजपर बुलाया गया था ! और अहम्दे निजाद के बाद मैने कहा कि अगर आप लोग फिलिस्तीन के मसले को इस्लामिक मसला बोलते रहे तो एक हजार साल से भी ज्यादा समय हो जायेगा कभि भि हल नहीं होगा ! उल्टा इस्राइल चाहता है कि आप लोग उसे मुसलमाँनो तक ही सिमित रखे !
लेकिन अगर इस मसले को मानवी समस्या के तौरपर जैसा कि दक्षिण अफ्रीका,वियतनाम जैसे पेश करोगे तो शायद आपको हमारी अपनी जिंदगी में ही हल मिल सकता है ! तो मेरे भाषण के बाद तुरंत अहमदे निजाद दोबारा माईक पर आकर मेरा गाल तिन बार चूमने के बाद बोले कि मै डॉ सुरेश खैरनार जी को बताना चाहता हूँ कि दिवंगत नेता आयातोल्लह खोमेनी भी यही बात कहते थे और मै डॉ सुरेश खैरनार जी को धन्यवाद देना चाहूँगा की उन्होनें भी वही बात कही !
लेकिन मै तो हैरान रह गया था कि आयातोल्लह खोमेनी एक इस्लमिक क्रांती के नाम लेकर ही ईरान की क्रांती कही जाती है ! और मै यह क्या सुन रहा हूँ ? और जब अहम्दे निजाद अपनी बात बोलकर मेरे बगल के खुर्चिमे आकर बैठे तो मैंने कहा कि माफ कीजिएगा मै पस्चिमी मिडिया के प्रचार प्रसार के कारण मरहूम आयातोल्लह खोमेनी जी के बारे मे बहुत ही प्रिअकूपाई हूँ ! तो उन्होने तुरंत अपने ए डी सी को कहा कि डॉ सुरेश खैरनार जी को कलेक्टेड वर्क्स ऑफ आयातोल्लह खोमेनी अन्ग्रेजी में जो लिखा है वह सब दिया जाए ! लेकिन मैंने कहा कि अभि बहुत सफर तय करना है इतना सामान लेकर चलना मुश्कील होगा फिर कभी ले लूँगा !
उसके एक दो दिन बाद ईरानी संसद के पुराने हॉल में एक रात को दावत दी थी और उसमे हम लोग जाने के बाद एक महिला खुद होकर मेरे पास आकर दुआ सलाम के बाद पुछि की आपने मुझे पहचाना ? मैने कहा कि हा हम पहले बार तेहरान इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सुबह को उतरने के बाद जो लोग स्वागत के लिए आये थे और उसमे आप भी थी और आपने जबरन मेरे बेगको उठाया था ! तो वह काफी खुश होकर चली गई थी और तुरंत एक हाफ बाहिके मनिला और पैट पहने हुए सज्जन ऊसी के तुरंत बाद ही मुझे पूछने लगे कि वह जो औरत अभि-अभि आपसे बात करके गई है आप उसे पहचानते हो ? तो मैने कहा कि हा वह आपके संसद की सदस्या है और वह भी हमे एयरपोर्ट पर रिसीव करने के लिए आई थी ! तो वह बोले की सिर्फ इतनाहि ? तो मैने कहा कि हा और क्या ? तो वह बोले की वह मरहूम आयातोल्लह खौमेनी की एकमात्र संतान है !
यह सुनकर मैं हैरान हो गया था और पुरा भारत के राजनीति में के राहुल,प्रियंका गांधी के चेहरे और चारित्र आँखो के सामने आया था और उनकी सिक्यूरिटीज और उनके नाज-नखरे और दुसरे राजनेता के भी सब कुछ चल चित्र की तरह तैर गया ! फिर तब तक हम लोग एक टेबल की चारो और बैठ गये थे और वह सज्जन भी मेरे बगल वाली खुर्चिमे आकर बैठ गये थे तो मै अपने खुद को वापस ईरान के संसद में मानसिक रूप से वापस आने के बाद उन्हे पुछा कि आपका क्या परिचय हैं ?
तो वह बोले कि मै प्रो.मोहसिन फख्रिजादेह हूँ तो मैने कहा कि कौनसे विषय पर पढ़ाते हो तो वह बोले की मै नुक्लियर फिजिक्स पर काम करता हूँ और ईरान के नुक्लियर प्रोग्राम का प्रमुख हूँ ! तो मैंने कहा कि आप अमेरिकन और इस्राइल के लिए मोस्ट वांटेड लिस्ट के आदमी हो ! और आज ईरान अमेरिकन तना तनी के भी जिम्मेदार आदमी हो ! वह हसते हुये बोले कि हा जि वह बुरा आदमी मै ही हूँ उन्होँने तुरंत जेबसे निकालकर अपना विजिटिंग कार्ड भी मुझे दिया ! और हम लोगों ने डिनर लेने के बाद मैने पूछा कि फिर आप तो अभि केबिनेट मिनिस्टर होँगे तो वह बोले कि हा मै मिनिस्टर हूँ लेकिन तेहरान विश्वविद्यालय के नुक्लियर फिजिक्स का शिक्षक भी हूँ और मै विश्वविद्यालय के अंदर ही अपने पुराने प्रोफेसर के क्वार्टर में ही रहता हूँ और विश्वविद्यालय की तन्ख्वाह पर ही मेरा घर चलता है !
इसी नुक्लियर प्रोग्राम के कारण इराणको बहुत बडी कीमत चुकानी पड़ी है अमेरिकन और अन्य राष्ट्रो ने ईरान पर काफी पाबंदियां लगा दी है और उसमे अमेरिकन दबाव के कारण भारत भी शामिल हैं ! 3000 साल पुराना संबंध दाव पर लगा दिया ! पूरा दवा का मार्केट भारत के ऊपर चल रहा था अब चीन के पास चला गया है ! वही बात तेल की अनाज के बदले तेल कौन सप्लाई कर रहा था और वह भी आधा से ज्यादा तेल अकेले ही इराणके तरफ से आता था !
इसे कहते राष्ट्र निर्माण की धुन ! अहमदे निजाद भी दो कमरो के फ्लेट में और अपनी 20-25 साल पुरानी ईरानी बनावट की गाडी खुद चलाकर आते-जाते हैं ! और वही नजारा मरहूम आयातोल्लह खौमेनी जी के घर पर लेकर गये थे और वहा भी बहुत सादगीपूर्ण और वह भी एक साधरण सा मकान में वह रहते थे !
और दूसरी तरफ हमारे देश के विधयेको से लेकर संसद सदस्यों की जीवन शैली और अगर वह मंत्री हो जाय तो ? अभि-अभि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए विशेष रूप से खरीदे गए आठसौ करोड रुपये से अधिक कीमत के विमान की फोटो देखी ! हमारे प्रधान-मंत्री महोदय अपनी गरीबी के बारे में चुनाव प्रचार के समय बहुत ही बढा चढाकर कहा करते हैं लेकिन उनके जीवन शैली और प्रचार प्रसार के लिए हजारो करोड रुपये से अधिक खर्च और जिस दिन से प्रधान-मंत्री पदपर बैठे उसके बाद जो विदेश दौरो का भुत सवार हुआ है तो शायद ही कोई देश छुटा होगा जहा उन्होंने पैर नहीं रखा हो और खर्च कितने हजार करोड रुपये का !
और सादगीपूर्ण जीवन के ऊपर इतना जबरदस्त बोलते हैं कि पूछो मत ! प्रोफेसर मोहसिन फख्रिजादेह के हत्या करने वाले लोगों को जल्द से जल्द पकड कर सजा देने की मांग करते हुए उन्हे भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ ! और अंतमे बता दूं कि मै युद्ध विरोधी और अणुमुक्ति आन्दोलन के समर्थकों मे से एक हूँ ! लेकिन प्रो मोहसिन के साथ मेरे व्यक्तिगत रूप से जो संबध आये थे वह अनुभव उनकी हत्या की खबर पढने के बाद मेरे मन मे जो प्रतिक्रिया आई वह व्यक्त करने के लिए यह सब कुछ लीखा है और कुछ भी नहीं !
डॉ सुरेश खैरनार