प्रधान-मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कल फिक्की के 93 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में सरकार की नीतियों और नीयत के बारे में कहा कि वह किसानो के भले के लिए कटिबद्ध है !
क्यो उन्हे यह स्पष्टीकरण करना पड़ा? एक दिन पहले ही निति आयोग के पदाधिकारियों में से एक को कहना पड़ा कि अति लोकतंत्र के कारण देश के विकास के लिए काफी दिक्कते हो रही है !
ये दोनों बयान कितने गंभीर है ! सबसे प्रमुख पद पर बैठे हुए कह रहे हैं कि सरकार किसानो के भले के लिए कटिबद्ध हैं और वह बात भारत के उद्योग जगत की सबसे बड़ी और पुरानी बॉडी के सामने!
लेकिन यह बात इतनी ठंड में लाखो किसान भाई राजधानी के चारो और की सीमा पर पन्द्रह दिन से भी ज्यादा समय हो रहा है बैठे हैं उन्हे यही बात बताने के लिए अगर प्रधान-मंत्री खुद चल कर गये होते तो उनकी नियत के बारे मे उन्हे धन्नाशेटो के सामने कहने की जरूरत नहीं थी ! और आपकी नियत और नीति भी क्या है पता चल गई होती !
रहा सवाल नितियो का तो नोटबंदी से लेकर,जी एस टी,एन आर सी,यू जी सी,मजदूरोके 44 कानुन कश्मीर से 370 को हटाना और वह भी कश्मीर की विधान सभा को बगैर पूछे ! यही आपकी निति और नीयत का पता चलता है ! की मजदूरों,विद्यार्थियो की राय पूछे बगैर आपने रद्द करने के उदहारण है!
और अभि ताजा किसानो से संबंधित कानुन लाते हुए कौन से जनतांत्रिक प्रक्रियाका आपने पालन किया है? तो इसमे तो नियत और निती दोनो की ऐसी की तैसी हूई है और आप कह रहे हैं कि हमारे निती और नियत साफ है ! यह तो मैने केला खाया नहीं वाले कहावत जैसा मामला लगता है !
जिनकी भलाई के लिए आपने कानुन लाये उन्हे पुछा ? जिस जनतांत्रिक व्यवस्था के कारण आपको निर्णयों को लेने मे आपने कौनसी जनतांत्रिक प्रक्रियाका पालन किया है?
देश की सर्वोच्च संस्था लोक सभा और राज्य सभा के सदस्यों को नियमानुसार कोई भी बिल या नया संशोधन लाने के पहले उन्हे उस बिल की कॉपिया दि जानी चाहिए जो नहीं दी गईं ! और अचानक दोनो सदनो मे कोरोना का कारण बताये बगैर चर्चा या प्रश्नोत्तर किये आपने लोक सभा में आपके दलके बहुमत के कारण तो पास करा लिया !
लेकिन राज्य सभा में जिस तरह तथाकथीत आवाजी मतदान का बहाना बनाकर आनन फानम में पास करने का झूठ का काम संपुर्ण देश ने देखा है !और वह भारत की संसदिय ईतिहास का सबसे काला अध्याय के रूप में दर्ज हो चुका है और यही अपके (अ )निती आयोग को जनतांत्रिक प्रक्रियाका रुकावट लगता है! और एक आप हैं कि निति-नियत का स्पष्टिकरण वह भी भारत के पुंजीपतीयोकी सर्वोच्च संस्था के सामने!
वैसे गत साडे छ साल से भी ज्यादा समय हो रहा है और वह भी भारत की संसद के निचले सदन में आपका बहुमत होने के बावजूद आप खुद भारत के संसदीय ईतिहास में सबसे कम बोलनेवाले प्रधान-मंत्री हो ! और वहाके कामकाज के बारे में भी यही चर्चा है कि सबसे कम और एकतरफा कार्यवाही करने की नई परम्परा शुरू हो चुकी है और विरोध के स्वर अनदेखा करकेही निर्णय लिए जाने कि नई परम्परा शुरु हो गयीं हैं !
2013 साल के जून महिने में नांदेडके शंकरराव चव्हाण सभागृह में आतंकवाद के खिलाफ एक कार्यक्रम में मै और कॉ भाई बर्धन जी साथ में थे तो कार्यक्रम के बाद खाली समय में हैदराबाद से ई टीवी चैनल के प्रतिनिधि हमारे इंटरवू करने के पहले मैंने ऊसके प्रतिनिधि को पुछा कि आपका चानल एनाडू ग्रुप से हैं ना ? तो वह बोला कि नहीं यह अब अंबानी ने खरीद लिया है !
तो बगलमे बैठे हुए बर्धन साहब ने कहा कि अरे भाई सुरेश आप को पता होना चाहिए कि अगला प्रधान-मंत्री वर्तमान गुजरात का मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी को 2014 मे आने वाले चुनाव में प्रधान-मंत्री बनाने के लिए विशेष रूप से अंबानी और अदानी समुह ने कमर कस ली है और देश के ज्यादातर चानलौ को खरीदे जा रहे हैं और हर हालत में नरेंद्र मोदी जी को प्रधान-मंत्री बनाना उनका लक्ष है !
हालांकि उस समय तथाकथित जन लोकपाल को लेकर आंदोलन चल रहा था ! और हमारे कई सारे साथीयो को उसमे शामिल देख रहा था ! जो अभि किसान आंदोलन में भी दिख रहे हैं !
तो भाई बर्धन जी की बात सुनकर मुझे लगा कि कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों को हर बात में षड्यंत्र ही नजर आता है ! और यह इतने सारे चैनल खरीदने की बात को मैने नजरअंदाज किया ! लेकिन मै गलत था !
और ऊसके बाद सालभर के भीतर हुये चुनाव 2014 साल के नरेंद्र मोदी देशके प्रधान-मंत्री पद पर विराजमान हो गये !यह भाई बर्धन साहब ने 10-11 महीना पहले ही कहा था !
भाई बर्धन आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनकी नांदेड में कही हूई बात का किसान आंदोलन के साथ नरेंद्र मोदीजी की सरकार का जो रवैया चल रहा है वह शत प्रतिशत पुंजीपतीयोके हितो को ध्यान में रखकर ही चल रहा है !
2014 साल के चुनाव के पहले इतने सारे चैनल खरीदना और अदानी नरेंद्र मोदी जी को 500 के आसपास चुनावी रेलियो के लिए अपना प्रायवेट जेट विमान देना यह ऊसके प्रमाण है !
और भारत की संसदिय ईतिहास का सबसे खर्चीला चुनाव के लिए विशेष रूप से वह चुनाव माना जायेगा और ऊसके लिए बिजेपी को सबसे ज्यादा चंदा देने वाले भी यही लोग है ! तो इतना पैसा खर्च करने वाले लोगों को उसके बदले में देश की जल,जंगल और जमीन के भीतर की खनिज संपदा सौपना और ऊसके लिए ऊन जंगल के क्षेत्र को असंतोष का क्षेत्र घोषित कर के विशेष सुरक्षा दलो की तैनाती बिल्कुल कश्मीर और ऊत्तर पूर्वी प्रदेशोकी तर्जपर वहाके रहनेवाले लोगों के साथ विस्थापन और स्थानांतरण की समस्या को लेकर जो भी कुछ विरोध के स्वर उठ रहें हैं उन्हे नक्सल प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया!
जैसा फिक्की की सभामे पियूष गोयल ने तो कमाल कर दिया ! अब वह किसान आंदोलन को भी नक्सल प्रभावित बोले है ! हालाकि हरियाणा के मुख्यमंत्री शुरू से ही खलिस्तानी बोल रहे हैं ! और किसी ने कुछ मुस्लमान भी आंदोलन में देखकर पकिस्तान की मदद से चल रहा बोला है ! एक बार बिजेपी तय कर लें कि यह आंदोलन कौन कर रहे हैं ? और वह खुद गैर बिजेपी राज्यो जो तथाकथित अपनी पार्टी की सरकार बनाने के लिए विशेष रूप से जो भी कुछ आंदोलन के नाम पर वहा अपने खुद के घर के राज्यपालों की मदद लेकर विषेश रूप से बंगाल,केरल,महाराष्ट्र में जो भी कुछ कर रहे है वह किसके शह से कर रहे हैं ?और वह खुद जो भी कुछ कर रहे हैं वह राष्ट्र भक्तो का और उनके अलावा जो भी कुछ कर रहे हैं वह राष्ट्र द्रोही,टुकडे-टुकडे गैंग ! राष्ट्र ना होकर संघ परिवार की प्रायवेट प्रॉपर्टी हो गई है ! और वह सर्टीफिकेट देंगे कि कौन क्या है ?
और यही कारण है कि आज हजारो की संख्या में लोगों को गत कुछ वर्षों से अलग अलग कानुन बनाकर जेलो में डाल दिया है ! और आयेदीन डाले जा रहे हैं और वैसे ही हमारे देश का वनक्षेत्र दुनियाँ के अन्य देशों की तुलना में कम है वह इन उद्योगपतियों देकर और कम करने के काम जारी हो गये हैं! और जिस काम के लिए 1972 के जिनेवा कन्वेंशन के बाद भारत में पहली बार पर्यावरण संरक्षण के लिए एक स्वतंत्र मंत्रालय का निर्माण किया गया था और अब उसी विभाग के मंत्री महोदय जंगल हमारे विकास के मार्ग में बाधक बन गये हैं ! जैसे पर्यावरण संरक्षण की जगह उसके खिलाफ है !
और एक उदहारण से स्पष्ट हो जायेगा कि हमारा पर्यावरण संरक्षण की जिम्मा सह्माल ने वाले मंत्री महोदय का उदहारण ! भारत का पहला पोर्ट गुजरात का कांडला पोर्ट अदानी समुह को नरेंद्र मोदी जी ने सौप दिया है ! और अदानी समुह ने कांडला समुद्र तट पर विश्व धरोहर मेंग्रोह नामक वनस्पति नष्ट करने के कारण ग्रीन ट्रायबुलनने कुछ करोड का जुर्माना लगाया तो पर्यावरण मंत्री महोदय ने कहा कि इस ग्रीन ट्रायबुलन की जरूरत नहीं है !
वैसे भी हमारे देश के किसी भी संविधानीक संस्था की स्वायत्तता आज की तारीख में वह सर्वोच्च न्यायालय क्यो न हो ! बाकी नहीं बची है वह बात तो जग जाहिर है ! कश्मीर के 370 को रद्द करने के खिलाफ की याचिकाये हो! या एन आर सी के खिलाफ की याचिकाए ! आज सालभर से भी ज्यादा समय हो रहा है ! लेकिन हमारे सर्वोच्च न्यायालय के पास उन्हे देखने के लिए समय नहीं है !
मुख्य बात नरेंद्र मोदी जी को प्रधान-मंत्री बनाने के पीछे उद्योगपतियों की मंशा को लेकर मैने यह पोस्ट शुरु की है ! 2006-7 के साल मे बंगाल में लेफ्ट फ्रंट की सरकार को तीस साल पूरे हो रहे थे ! और शिल्पायन तो होतेही होबे (बंगाल में औद्दोगिकरण होगा ही होगा !) इस नारे के साथ पहले सिंगुर के टाटा मोटर्स के नेनो प्रोजेक्ट के खिलाफ आंदोलन के कारण टाटा मोटर्स को बंगाल के प्रोजेक्ट का विचार त्यागने के लिए मजबुर होना पडा था ! तो उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने टाटा मोटर्स को गुजरात आनेके लिए विशेष रूप से न्योता दिया था !
और उसपर रतन टाटा जो टाटा उद्योगसमुह के चेअरमन थे ! ने कहा कि बंगाल में बैड एम याने ममता बनर्जी और गुजरात में गुड एम याने नरेंद्र मोदी और आगे जाकर उन्होने कहा कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के पेकेज हैं !
शायद उस समय नरेंद्र मोदी जी को भी वह देश के प्रधान-मंत्री बनने का सपना नहीं हूआ होगा ! उस समय उन्हे रतन टाटा ने प्रधान-मंत्री बनाने के सुझाव देश के प्रमुख और सबसे पुराने उद्योग टाटा समुह के प्रमुख कर रहे थे ! और वह भी गुजरात दंगों का धुँआ पुरा थमा नहीं था ! और टाटा समुह की इमेज एक सेकुलर और प्रगतिशील उद्योगपति की रही है !
उल्टा सी आई टी,सी बी आई और हमारा उस समय के सर्वोच्च न्यायालय के राडार पर नरेंद्र मोदी सबसे ऊपर थे ! और उसी समय अमेरिकन सरकार से लेकर कई योरोपियन सरकारोने नरेंद्र मोदी जी के वीसा पर पाबंदियां की खबरे चल रही थी !
और ऊसके ही आसपास हमारे अपने प्रिय मराठी साप्ताहिक साधना में किसी छोटे नव उद्योगपति का लेख छपा था कि वह मुम्बई के मंत्रालयमे अपने किसी नये कारखाना लगाने के लिए चक्कर काट रहे थे ! और यह बात नरेंद्र मोदी जी को पता चली तो उन्होने गाँधी नगर से एक अफसर को विशेष रूप से भेजा था और ऊन नये कारखानों को लगाने वाले को अपने साथ लेकर गये थे ! और वह गाँधी नगर के सचिवालय से एक घंटे के भीतर अपना कारखाना लगाने की परमिशन लेकर निकले थे ! इस आशय का वह लेख था !
गुजरात दंगा हुआ और नरेंद्र मोदी जी को हिंदु रुदयसम्राट की उपाधि प्राप्त होनेका एहसास हो रहा था!और मै यह टोपियाँ नहीं पहनूँगा के डायलाग बोले जा रहे थे ! इससे आपके निति और नियत दोनो का पता चलता है कि आप हिंदु राष्ट्र के हिमायती और भारत मे रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के घोर विरोधी हो! गुजरातके 27 फरवरी 2002 की गोधरा की घटना के बाद 28 फरवरी से हुये गुजरात के दंगे उसका सबसे बड़ा प्रमाण है ! जिसमे आपकी मुस्लीम विरोधी नीतियों और नियत का परिचय दिया है!
और अदानी समुह और अंबानी समुह ने अपनी थैलियों को खोलकर 2013 से भी पहले विकास पुरुष वाले छवियों के इलेक्ट्रानिक पडदे दिल्ली के बसस्टॉप से लेकर हर लेम्पपोस्ट पर हाथ जोड़कर विकास पुरुष,मुझे एक मौका तो दिजीये ! और यह सब जन लोकपाल को लेकर चल रहे आंदोलन के पार्श्वसंगीत में जारी था ! उस समय की बात है !
और उसिमेसे आम आदमी नामकी पार्टी का जन्म होता है ! देशके नामी गिरामी हस्तियों को चुनाव लड़ने का बुखार सिर चढ़कर बोल रहा था ! और राहुल बजाज जैसे उद्योगपति खुलकर खेजरिवाल के भीतर भावी प्रधानमंत्री की छवि देख रहे थे !
हालाकि हमारे समाजवादी मित्र और राजनिती शास्री मित्र योगेन्द्र यादव,डॉ आनंद कुमार और प्रसिध्द न्यायविदों में से एक प्रशांत भूषण और उनके पिताजी को भी कुछ समय के लिए वह नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी जी के पर्यायी नेता लगने लगे थे !
और मेरे जैसे संशयत्मा! जैसे जंगल में शिकार करने के लिए कुछ लोग खाली डब्बे बजाते रहते हैं उन्हे हकारे बोलते है वैसे ही जन लोकपाल बिल वाले लोगों को हकारे के रुपमे देख रहा था !
और शिकार कोई और ही लेकर जाता है !और वह है नरेंद्र दामोदर दास मोदी जिसके लिए हमारे देश के सबसे ज्यादा उद्योगपतियों ने बेतहाशा धन खर्च किया था ! और भारत के प्रधानमंत्री एक नही दुसरी बार भी 2019 के चुनाव में तो 300 से भी ज्यादा सांसद सद्स्य लेकर दोबारा चुनकर आये हैं !और फिर जैसा उन्हे लगने लगा कि मै कुछ भी कर सकता हूँ ! यह गुजरात के तीन बार मुख्यमंत्री के कार्यकाल में की आदत के अनुसार !
और जो शुरुआत की है 370 को कश्मिर से हटाने से लेकर ! राज्य को केंद्रशासित करने से लेकर ! एन आर सी जैसा कानुन लाना कौनसी निति और नियत का परिचायक है ?
दुनियाँ भर की जनविरोधी नीतियाँ और ऊसके तहत देश के सबसे प्रमुख सार्वजनिक उद्योग रेल,पोर्ट,इन्डियन एयरलाइंस और एयरपोर्ट,कुछ बैंक,विमा कंपनी और शिक्षा,आरोग्य के क्षेत्र में पूंजीपतियोको औने पौने दामो पर बेचने से लेकर रिजर्व बैंक जैसी बैक की पूंजी को हाथ लगाना! और देशके अन्य प्रमुख बैंको की जमा पूंजी निवेश,एल आई सी जैसे प्रतिष्ठान,रक्षा विभाग जैसा देशकी रक्षा क्षेत्रों में प्रायवेट!और वह भी विदेशी कंपनियां तक ! निवेश करने की शुरुआत और तुर्रा देश भक्ति के नाम पर ! और विरोध करने पर देशद्रोह का आरोप करना,! याने चित भी मेरी और पट भी मेरी वाली कहावत !
और उनके सुविधा के लिए विशेष रूप से 100 साल की लडाई करके मजदुरोके लिए बनाये गये 44 कानुन रद्द करने की बात ! सब कुछ पूंजीपतियो के लिए विशेष रूप से ! ताकी वह बेतहाशा मुनाफा कमा सकते और वह भी मजदूरोके शोषण पर ! कोई युनियन की झंझट नहीं!
और अब देश की पचाससे भी ज्यादा प्रतिशत आबादी जिस क्षेत्र पर निर्भर करती है वह कृषी क्षेत्र को कोर्पोरेटस को सौपने की शुरुआत करने के हेतुसे तथाकथीत नये कृषी सुधार के नामपर संसदिय कार्यप्रणाली की धज्जियां उड़ाते हुए जो कानुन लाये गये हैं वह इस देश की अधिसे भी ज्यादा आबादी को बेकाम करने के लिए विशेष रूप से काम आने वाले हैं !
और मेरे जैसे 50 साल से भी ज्यादा समय हो रहा है सार्वजनिक जीवन में काम करने वाले कार्यकर्ता को रहरहकर रौंगटे खड़े हो रहे हैं !
कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बेरोजगार बनाकर देश के समाज स्वास्थ की चिंता होती है ! क्योकिं खाली मन सैतान का घर वाली कहावत के अनुसार इतनी बड़ी संख्या में बेकार की आबादी आग मे घी का काम कर सकती है ! और वर्तमान सरकार की नीयत और निति से पता चलता है कि !अखिर गुजरात मॉडल क्या है?
पस्चिम बंगाल के नंदीग्राम-सिन्गुर आंदोलन के बारे में अध्ययन करने के हेतुसे 2007साल के दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में हम नंदीग्राम के अगल बगल के गाँव में लोगों से बातचीत करते हुए एक जगह मैने देखा की लोगों ने अपने गाँव आने वाले रस्तो को खण्दक खोद कर अपने आप को अलग कर लिया है! शायद वर्तमान सरकार ने अभिके किसानो को रोकने के लिए वही मॉडल अपनाया दिखता है !
और कोई भी सरकारी कर्मचारियो को नहीं आने देने के संकल्प के साथ ! सरकार को किसिभी तरहके टेक्स नहीं देना की घोषणा के साथ!
मैने कहा कि आप लोग आनेवाले उद्योग का क्यो विरोध कर रहे हो ? तो एक फटेहाल किसान भाई ने बंगालिमे कहा कि दादा आमि तो सी पी एम पार्टीर लोग आछे किंतु की कोर्बो यदि आमदेर जमिन शिल्पयने जन्नो चोले जाबे तो आमि की कोर्बो ? येई रोकोम मारा जाबो तो लडाई करौं मर्बो !(मतलब वैसे तो हम लोग सी पी एम पार्टी के लोग है लेकिन यह हमारा जमिन का टुकडा भी चला गया उद्योग के लिए तो हम लोग मारे जायेंगे तो लड़ाई करकेही क्यो नही मरे इसलिए हम लोग जान की बाजी लगाकर आनेवाला प्रोजेक्ट के विरुद्ध लडाई लड़कर मरना पसंद करेंगे!) और मै यह सब इस लिए विशेष रूप से याद दिला रहा हूँ कि 35 साल की लेफ्ट फ्रंट की सरकार उसी आंदोलन के कारण अपदस्थ हूई है !
और अब आने वाले कितने समय बाद उसे दोबारा सत्ता में आने मे लगेंगे यह बात बिमन बोस या बुध्द देव भट्टाचारजी ही जाने ! और यह वर्तमान केंद्र सरकार के लिए भी चेतावनी के लिए विशेष रूप से मै याद दिलाना चाहता हूँ!
मेरे मन में एक कल्पना कर के रौंगटे खड़े हो रहे हैं कि वर्तमान सरकार ने समस्त भारत के किसान और उसी किसानी पर अवलंबित कम्सेकम 80-90 करोड आबादी को बेकाम करके भारत के समाज स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और इतनी बड़ी आबादी याने लगभग देश की आधी आबादी अगर अपनी उपजीविका चलाने वाली जमिन से बेदखल कर दिया गया तो यह खाली हाथ देश में गृह युद्ध का कारण बन सकते हैं !
पुंजीपतीयो से चुनाव में लि हूई मदद के एवज में देश के सभी उद्यम देनेवाले कानुन का विरोध करने वाले किसान,मजदुरसब इकठ्ठा होकर आर पार की लडाई लड रहे हैं!
और उनको देश का हर नागरिक, नौजवान,महिलाये,दलित हो या आदिवासी या अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सभी इस लडाई में शामिल है ! और जहातक मेरे 50 साल से भी ज्यादा समय हो रहा है विभिन्न प्रकार के आन्दोलनोके अनुभव से लिख रहा हूँ कि यह आजादी के बाद भारत का सबसे बड़ा आंदोलन है और जैसा मैंने आजसे 12-13 साल पहले नंदीग्राम-सिन्गुर के आंदोलनमे जो जज्बा मैने देखा बिल्कुल वही जज्बा मै इस आंदोलन के भितर देख रहा हूँ !
और इसिलिए सरकार और उसके भाट मिडिया को खलिस्तान,टुकडे-टुकडे गँग जैसे बेहूदा आरोप गढकर बदनामीकी मुहीम चलानी पड रही है ! लेकिन इससे देश की एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं !
और मैने बार बार कहा कि देश के ईतिहास मे इतनी जनविरोधी नीतियाँ लाकर उन्हे लागु करने वाली सरकार नहीं देखी है !और इसे जनतांत्रिक तरीकेसे हटाना यही एकमात्र उपाय है ! क्योकिं पुंजीपतीयोसे पैसे लेकर उन्हिकी भलाई करने वाली सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई भी नैतिक अधिकार नहीं है !
इसिलिए सिहाँसन खाली करो की जनता आई है का नारा जो 1974 के जेपी आंदोलन की देन है ! बुलंद करने के लिए सभी लोगों को एकजुट होकर यह लडाई लड़ने की आवश्यकता है !
डॉ सुरेश खैरनार,नागपूर