भोपाल। अपने ही प्रदेश में, अपनी ही सरकार में बेगाने हुए कैलाश विजयवर्गीय के लिए केंद्र सरकार की चौखट आसान होती नजर आने लगी है। राज्यसभा में प्रदेश कोटे की एक सीट खाली होने के बाद उनके लिए संभावनाएं बढ़ने लगी हैं। बंगाल में लंबा समय बिताने, वहां के पिछले नतीजों में सुधार लाने और बंगाल में भाजपा को नई पहचान देने की उपलब्धि के बदले उनके लिए कुछ बेहतर होने के कयास लंबे समय से लगाए जा रहे हैं।
भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए कैबिनेट में मध्यप्रदेश कोटे की सीट खाली हो गई है। इसके मुताबिक नए मंत्रिमंडल में उनकी ताजपोशी तय है। इधर नए समीकरणों के बीच बताया जा रहा है कि थावर चंद गहलोत के राज्यपाल बनाए जाने से खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए प्रदेश से कई नाम उभरने लगे हैं। इनमे सबसे पहला नाम कैलाश विजयवर्गीय का लिया जा रहा है। उनके अलावा दिनेश त्रिवेदी और जितिन प्रसाद के नाम भी दावेदारों में गिनाए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इनमें से यदि कोई राज्यसभा पहुंचा तो उसे भी मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस फेरबदल में महिलाओं की संख्या वर्तमान के मुकाबले बढ़ सकती है।
मुहल्ले से केंद्र तक की सियासत
कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में स्ट्रीट सिंगर की तरह भजन गायक के सफर से अपनी पहचान बनाई। मील एरिया की तंग गलियों की सियासत से शुरुआत कर उन्होंने अपने ही शहर का प्रथम नागरिक बनने का गौरव हासिल किया। प्रदेश की राजनीति में भी खास जगह बनाने वाले कैलाश को महत्वाकांक्षाएं मंत्री पद छोड़कर दिल्ली की गलियां घुमाते हुए बंगाल के बाजार तक पहुंचा दिया। बंगाल की मिठास में भाजपा को घोलने की उपलब्धि के दौर से ही इस बात की चर्चाएं जोरों पर थी कि उन्हें किसी मुनासिब पद पर समायोजित किया जायेगा। इस बात को हमेशा बल देने में उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से नजदीकी को भी बताया जाता है। राज्यसभा की थावर चंद गहलोत वाली सीट का खाली कराया जाना कैलाश के लिए भविष्य के द्वार खुलने जैसे हालात से जोड़ा जा रहा है।