उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की पीढ़ियां दर पीढ़ियां अपना बकाया पाने की आशा में बर्बाद हो रही हैं. बेरोजगारी चरम पर है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं, पलायन हो रहा है और लोग मजदूरी करने के लिए अभिशप्त हैं, उसी प्रदेश में नेता करोड़ों की चाय गटक रहा है. यह आधिकारिक तथ्य है, कोई आरोप नहीं है.
अखिलेश यादव सरकार के मंत्रियों के चाय नाश्ते पर पिछले चार साल में आठ करोड़ 78 लाख 12 हजार 474 रुपये खर्च हुए. चाय पर सरकारी धन लुटाने में अखिलेश सरकार की राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुणा कोरी अव्वल रहीं. उन्होंने पिछले चार साल के दौरान 22 लाख 93 हजार 800 रुपये खर्च किए. बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया ने चाय-पानी पर 22 लाख 85 हजार 900 रुपये खर्च किए. सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ज्यादा बोलते हैं तो ज्यादा चाय भी पीते हैं. उन्होंने पिछले चार साल में 22 लाख 86 हजार 620 रुपये की चाय पी. चाय-पानी पर हुए खर्चे का यह ब्यौरा 15 मार्च 2012 से लेकर 15 मार्च 2016 के बीच का है, यानी अखिलेश सरकार के कार्यकाल का.
मुख्यमंत्री ने इस पर सफाई दी कि एक मंत्री चाय-पान के लिए रोज 2500 रुपये खर्च कर सकता है और राज्य के बाहर उसे चाय नाश्ते पर 3000 रुपये रोज खर्च करने का अधिकार है. सपा सरकार से पिछले साल अक्टूबर में निकाले गए पूर्व मंत्री शिव कुमार बेरिया ने अपने कार्यकाल के दौरान 21 लाख 93 हजार 900 रुपये चाय-पानी पर खर्च किए थे. चाय पीने में महिला कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शादाब फातिमा सबसे आखिरी पायदान पर हैं. हालांकि उनका कार्यकाल भी अधिक नहीं हुआ है, लिहाजा चाय पीने की गति मुकाबले में मानी जा सकती है. उन्होंने महज एक साल के कार्यकाल में चाय-पानी पर 72 हजार 500 रुपये खर्च किए. चाय-पानी पर 21 लाख रुपये से ज्यादा खर्च करने वाले मंत्रियों में आबकारी मंत्री रामकरन आर्य, जलसंसाधन मंत्री जगदीश सोनकर शामिल हैं.
मंत्रियों को सरकारी खजाना लुटाने की हवस है. वे अपने वरिष्ठ मंत्रियों से सीख भी नहीं लेते. अखिलेश सरकार के ही वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव ने चाय-पानी पर सरकार का एक पैसा भी खर्च नहीं किया. वहीं, कैबिनेट मंत्री राजा भैया ने चाय-पानी पर साढ़े सात लाख रुपये खर्च किए.
चाय और नैतिकता दोनों ही पी गए दिल्ली के मंत्री
दिल्ली में भी नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार डेढ़ साल में एक करोड़ रुपये से अधिक की चाय पीकर बदनाम हो चुकी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आम आदमी के नेता और आम आदमी की सरकार बताते रहे और सरकारी खजाने के मत्थे गटागट चाय सुड़कते रहे. जबकि केजरीवाल के मंत्रिमंडल में गिने-चुने आधा दर्जन सदस्य ही हैं. आधिकारिक तथ्य है कि 18 महीने में केजरीवाल सरकार ने एक करोड़ रुपये की चाय-कॉफी पी ली. इसमें सबसे ज्यादा चाय खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पी है. केजरीवाल 47.29 लाख रुपये की चाय पी गए.
दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दूसरे नंबर पर रहे. उन्होंने 11 लाख, 28 हजार 429 रुपये की चाय पी. परिवहन मंत्री रहे गोपाल राय 11 लाख, छह हजार, 272 रुपये की चाय पी गए तो महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्री संदीप कुमार नौ लाख, 11 हजार, 179 रुपये की चाय पी गए. उनकी हवस तो इतनी बढ़ी कि नैतिकता भी पी गए और अब बलात्कार के आरोप में जेल की हवा खा रहे हैं. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने नौ लाख, 10 हजार, 311 रुपये की चाय पी तो पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा छह लाख, 30 हजार, 90 रुपये और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री 18 महीने में पांच लाख, 89 हजार 121 रुपये की चाय पी गए थे.प