श्रीनगर में विगत 7 अक्तूबर को कट्टरपंथी आतंकवादियों द्वारा स्कूल परिसर में दो शिक्षकों दीपक चांद और सतिंदर कौर की हत्या की वारदात बेहद चिंताजनक है ।इसकी भर्त्सना की जाना चाहिए ।यह केंद्र सरकार की सक्षमता पर प्रश्न चिन्ह है ।
काश्मीर घाटी में आतंकवाद खत्म करने के नाम पर नोटबंदी की गई थी और धारा 370 को हटाया गया था ।लेकिन हिंसा और आतंक की वारदातें लगातार जारी हैं ।चुनाव की प्रक्रिया लंबित है ।जनता सुरक्षित नहीं है ।जनता आतंकवादियों का शिकार हो रही है ।जनता का विश्वास जीतने में और सुरक्षा प्रदान करने में केंद्र सरकार पूरी तरह नाकाम रही है ।दो शिक्षकों की दुखद हत्या की यह वारदात फिर एक बार केंद्र सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा कर रही है ।
इस तरह की हिंसक ,आतंकी वारदातों से जुड़ा एक चिंताजनक मुद्दा यह भी है कि इसके दूरगामी दुष्परिणाम सामने आते हैं । इससे साम्प्रदायिक ताकतों को बढ़ावा मिलता है ।अविश्वास ,तनाव ,विवाद गहराते हैं । एकता और भाईचारा संकटग्रस्त होता है ।
अब यह बेहद जरूरी है कि कश्मीर की जनता और समस्त राजनीतिक दलों को विश्वास में लेकर दूरगामी ,उदार नीति बनाई जाए ।कश्मीर के बारे में कोई भी फैसला कश्मीर की जनता को विश्वास में लेकर ही होना चाहिए ।
आतंकवादियों का शिकार हुए दोनों शिक्षकों को बेहद दुख के साथ श्रद्धांजलि अर्पित है।