congressकांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार पर जब पार्टी के प्रदेश सचिव सुनील सिंह ने जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया तो पार्टी के भीतर घमासान मच गया. भारतीय जनता पार्टी ने भी कांग्रेस के इस अन्तर्कलह पर खूब चुटकी ली. कहा गया कि अहिंसा वाली कांग्रेस अब खत्म हो गई है, अब जो कांग्रेस है वह हिंसा में विश्वास करती है. दरअसल कांग्रेस ने झारखंड में संगठन में मजबूती लाने के लिए अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. अजय कुमार को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी.

डॉ. अजय की पहचान एक कड़क पुलिस कप्तान की रही है. उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा से त्याग-पत्र देकर बाबुलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा ज्वाइन की थी. वे लोकसभा चुनाव भी जीते. लेकिन डॉ. अजय पूरी तरह से राजनेता नहीं बन पाए, उनका पुलिसिया रौब अब भी अपने सहयोगियों को असहज कर देता है. वे झारखंड में लगभग मृतप्राय कांग्रेस में जान डालने की कोशिश करते रहे. वे   गुटबाजी करने वाले नेताओं को समय-समय पर फटकारते भी थे.

जब राजनीति में उनका पुलिसिया रौब बढ़ने लगा, तब कांग्रेस का एक गुट उनके विरोध में खड़ा हो गया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे एक तरह से विरोधियों का नेतृत्व करने लगे. ऐसी चर्चा है कि पार्टी के प्रदेश सचिव सुनील सिंह भी विरोधी गतिविधियों में खुलकर साथ दे रहे थे. प्रदेश अध्यक्ष को यह बात नहीं पची और नेताओं को पुलिसिया डंडे से हांकने की कोशिश की. पार्टी के प्रदेश सचिव सुनील कुमार सिंह ने तो प्रदेश अध्यक्ष पर जान से मारने की धमकी का आरोप लगाते हुए लालपुर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई.

प्रदेश सचिव मांग रहे पुलिस से सुरक्षा

प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया है कि एक कार्यक्रम के दौरान डॉ. अजय कुमार ने उन्हें धमकी देते हुए कहा कि मैं किस पृष्ठभूमि से राजनीति में आया हूं, तुमको पता है या नहीं. मैंने तीन सौ से अधिक एनकाउन्टर किए हैं. तुम क्या चीज हो, आलोक दूबे के साथ रहते हो, रहो. तुम्हारी राजनीति बर्बाद कर दूंगा और तुम्हें भी. उन्होंने अपने प्राथमिकी में यह भी लिखा कि प्रदेश अध्यक्ष ने धमकी देते हुए यह भी कहा कि अगर तुमने किसी तरह की दुस्साहस की और किसी को कुछ बताया, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. सुनील सिंह का यह कहना है कि इस धमकी के बाद मैं और मेरा पूरा परिवार डरा-सहमा है.

सुनील सिंह को यह भय है कि उनकी जान को खतरा हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर भविष्य में मुझे कुछ होता है तो इसकी पूरी जवाबदेही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार की होगी. बात प्राथमिकी तक ही नहीं थमी, दूसरे ही दिन सुनील कुमार सिंह ने अपने परिवार के साथ पुलिस महानिदेशक के पास पहुंचकर अपने जान की रक्षा की गुहार लगाई. उन्होंने कहा कि उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जाए या फिर पुलिस लाईन में ही रहने की अनुमति दी जाए.

इस घटना के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने भी अपनी सफाई दी. डॉ. अजय का कहना है कि मैंने सुनील सिंह से सिर्फ इतना कहा कि आप राजनीति नहीं, बल्कि संगठन के लिए काम करें. मैंने कोई धमकी नहीं दी है. मैं किसी से अपने आईपीएस कैरियर की बात भी नहीं करता, अब मैं राजनीति में हूं, उसी को जी रहा हूं. सुनील सिंह कौन हैं, जिससे मैं अपनी पुरानी जिंदगी का जिक्र करूंगा, अपनी निजी बातें बताऊंगा. कार्यक्रम स्थल पर सैकड़ों लोग मौजूद थे. कोई बताए कि मैंने किसी तरह की धमकी दी है.

हमसे अगर कोई शिकायत थी, तो मिलकर बातें करनी चाहिए थी. थाने में जाकर शिकायत करना हास्यास्पद है. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस में टीमवर्क के तहत काम हो रहा है. सभी लोग मेहनत कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों को नई व्यवस्था रास नहीं आ रही है. संगठन के काम से कभी समझौता नहीं करूंगा. इसमें जरूर किसी की साजिश है. पार्टी में किसी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

इधर सुनील कुमार सिंह द्वारा इस तरह की कार्रवाई के बाद पूरी पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है. पार्टी ने सुनील सिंह को शोकॉज भी किया है. प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष तिलकधारी सिंह के हस्ताक्षर से जारी इस पत्र में एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा गया है. पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि श्री सिंह ने गैर जिम्मेदाराना और पार्टी विरोधी कार्य किया है. प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ लालपुर थाने में सनहा दर्ज कराने के संबंध में उन्होंने कहा कि यह द्वेष और निहित स्वार्थ में उठाया गया कदम है.

क्या अजय कुमार जान से मारने की धमकी दे सकते हैं, पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है. कुछ लोगों ने पार्टी विरोधी ताकतों के साथ मिलकर पार्टी को कमजोर करने के उद्देश्य से ऐसा किया है. यह एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा है. अगर प्रदेश अध्यक्ष ने सार्वजनिक स्थल पर धमकी दी थी तो ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि वे कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित हजारों कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को इस संबंध में जानकारी नहीं देकर सीधे थाना पहुंच गए.

वैसे पार्टी के प्रदेश सचिव अपने आरोपों पर अड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि मैं क्यों झूठ बोलूंगा. प्रदेश अध्यक्ष से मेरी कोई दुश्मनी नहीं है. पार्टी द्वारा शो कॉज के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई पत्र मुझे नहीं मिला है. अगर मुझे शो कॉज मिला तो पार्टी के आला नेताओं को भी इस संबंध में अवगत करा दूंगा.

झारखंड में जो भी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने, सभी ने संगठन के विकास पर कम ध्यान दिया. प्रदीप कुमार बालमुचू हों या युवा तेज-तर्रार नेता सुखदेव भगत, सभी चाटुकारों से ही घिरे रहे. प्रदीप कुमार बालमुचू जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे, तब प्रदेश कार्यालय भी जाना उचित नहीं समझते थे. विपक्षी दल होने के बाद भी किसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस आंदोलन नहीं खड़ा कर सकी, जिसके कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं को छोड़ कोई पार्टी का नामलेवा नहीं बचा. पार्टी यहां झामुमो एवं अन्य विपक्षी दलों की पिछलग्गु बनकर रह गई थी और यही कारण है कि झारखंड गठन के बाद सांसद और विधायकों की संख्या में लगातार कमी होती चली गई.

इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने तेजतर्रार नेता डॉ. अजय को कमान सौंपते समय ही यह खुली छूट दे दी थी कि संगठन की मजबूती के लिए कुछ भी करने को स्वतंत्र हैं. अजय कुमार ने पदभार संभालते ही कांग्रेस नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को नसीहत दे डाली एवं यह कहा कि पार्टी हित में काम करने वालों को तरजीह दी जाएगी. केवल पद लेने से नहीं, संगठन के लिए जो काम करेगा, पार्टी उसी को प्राथमिकता देगी. उन्होंने आते-आते संगठन में भारी फेरबदल किया ही, जिला स्तर पर भी नए एवं समर्पित कार्यकर्ताओं को तरजीह दी. प्रखंड स्तर पर भी कांग्रेस ने कई कार्यक्रम कर पार्टी को एक नई पहचान दिलवाई. राज्यसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी को सदन भेज अपना कद ऊंचा कर लिया.

राज्यसभा चुनाव के दौरान भी अजय कुमार का विरोधी खेमा सक्रिय दिखा, जिसका नेतृत्व पर्दे के पीछे से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय कर रहे थे. ऐसी भी चर्चा है कि श्री सहाय ने कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को अपने घर में छुपाकर रखा था. जब इस बात की जानकारी डॉ. अजय को मिली तो उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष से सम्पर्क साध पूरी जानकारी दी. प्रदेश अध्यक्ष ने तो दोनों नेताओं को पार्टी से निकालने संबंधी पत्र भी तैयार कर लिया था और इसकी जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी दे दी थी. जब सुबोधकांत को इसकी जानकारी मिली तो वे तुरन्त निर्मला देवी को लेकर विधानसभा पहुंचे और कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कराया. ऐसी चर्चा है कि आलोक कुमार दूबे और सुनील सिंह पूर्व केन्द्रीय मंत्री के खासमखास हैं और उन्हीं के इशारे पर इस तरह की प्राथमिकी दर्ज हुई.

कांग्रेस के भीतर इस अन्तर्कलह पर भाजपा ने भी खूब चुटकी ली. कहा गया कि कांग्रेस हिंसा वाली पार्टी बनकर रह गई है. यहां अपने ही नेताओं को गोली मारने की धमकी दी जाती है. अब देखना है कि झारखंड में लगभग मृतप्राय कांग्रेस में नए अध्यक्ष कितनी जान फूंक पाते हैं. लेकिन आज इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस पूरी तरह गुटबाजी में सिमटकर रह गई है और नेता केवल पद पाने की होड़ में लगे रहते हैं.

संगठन के लिए सक्रिय होने को कहा था : डॉ. अजय

कांग्रेस के पूर्व सचिव सुनील सिंह द्वारा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार पर धमकी दिए जाने के मामले में प्रदेश अध्यक्ष ने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा कि मैंने कोई धमकी नहीं दी है. मैंने सुनील सिंह से बस इतना कहा कि राजनीति मत करो. छोटी-छोटी बातों को इधर-उधर करना बेकार है. संगठन के लिए काम करो. पार्टी ने शोध विभाग की जिम्मेवारी दी है. उसे पूरे मन से करो.

प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सचिव सुनील सिंह ने रविवार को एसएसपी कुलदीप द्विवेदी से मिलकर प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के खिलाफ लालपुर थाने में दर्ज कराए गए सनहा पर कार्रवाई की मांग की है. श्री सिंह ने एसएसपी को पत्र लिखकर कहा है कि डॉ. अजय कुमार द्वारा मुझे जान से मारने की धमकी दी गई है. सनहा दर्ज कराए जाने के बाद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. श्री सिंह ने कांग्रेस अनुशासन समिति के अध्यक्ष तिलकधारी सिंह से भी प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है.

कांग्रेस अपने कार्यकर्ता को ही एनकाउन्टर की धमकी देती है : भाजपा

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील कुमार सिंह ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार पर लालपुर थाने में जो शिकायत की है, वह बहुत ही गंभीर है. एक समय था जब सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने वाली महात्मा गांधी की कांग्रेस हुआ करती थी. आज राहुल गांधी के कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष द्वारा अपनी ही पार्टी के नेता को एनकाउन्टर वाली छवि दिखाकर धमकाया जाता है.

शाहदेव ने कहा कि झारखंड की राजनीति में एनकाउन्टर जैसे शब्द का पहली बार प्रयोग हुआ है. वह भी अपनी ही पार्टी के किसी नेता को डराने के लिए. प्रतुल ने कहा कि झारखंड में अपनी खिसकती जमीन को देखकर अजय परेशान हो गए हैं और भाषा पर संयम खो बैठे हैं. यद्यपि यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है, फिर भी राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उच्च पद पर बैठे लोगों को अपने पद की गरिमा का ख्याल जरूर रखना चाहिए.

भाजपा से सर्टिफिकेट लेने की ज़रूरत नहीं : कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस हमेशा शालीनता का दूसरा नाम रही है. डॉ. अजय को प्रतुल शाहदेव के सर्टिफिकेट की आवश्यकता तो कतई नहीं है. उन्होंने कहा है कि अंतर्विरोधों और अंतर्कलह वाले लोग हमें शिक्षा देने का प्रयास न करें. गोडसे की विचारधारा पर चलने वालों द्वारा निहित राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए महात्मा गांधी के नाम का प्रयोग शोभा नहीं देता.

कांग्रेस कल भी महात्मा गांधी के सिद्धान्तों पर चलने वाली पार्टी थी, आज भी उन्हीं के बताए रास्तों पर चलती है. भाजपा का चरित्र और चेहरा सभी के सामने आ गया है. चुनाव जीतने के लिए अपराधियों, भ्रष्टाचारियों को टिकट देने वालों को डॉ. अजय कुमार जैसी शख्सियत पर ऊंगली उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. दरअसल, डॉ. अजय कुमार के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस की लोकप्रियता एवं विशेषकर राज्यसभा में हुई हार को भाजपा पचा नहीं पा रही है.

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