सियासत के इस भंवर में कौन किसका मित्र होता है और कौन किसका शत्रु ये कहना तो कई बार राजनीतिक प्रक्षेकों के लिए भी जटिल भरा सबक साबित होता है, क्योंकि कुछ ऐसा ही सियासी समीकरण मध्यप्रदेश के होशंगाबाद सीट पर देखने को मिल रहा है. बता दें कि 58 साल से बीजेपी में रहे है सरताज सिंह को जब बीजेपी ने इस बार टिकट नहीं दिया तो वो कांग्रेस में शामिल हो गए.
वहीं, इस सीट को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ये सीट भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थामे सरताज सिंह के लिए जीतना आसान साबित हो सकता है, क्योंकि उन्हें राजनीति का बहुत अच्छा-खास तजुर्बा है और इसके साथ ही उनके पास एक मौका है. इस सीट से बीजेपी की कमियों को उजागर करने का.
गौरतलब है सरताज सिंह इस सीट से पहली बार बैटिंग करने जा रहे हैं तो वहीं, अगर इस सीट से बीजेपी के सियासी समीकरण की बात करें तो बीजेपी इस सीट पर काफी लंबे अर्से से काबिज रही है.
अगर हम इस सीट से मतदाताओं की स्थिति को देखे तो यहां पर 65 हजार ब्राह्मण मतदाता और वहीं दूसरे नबंर पर कुर्मी मतदाताओं का दबदबा है जिनकी संख्या तकरीबन 50,000 के है और वहीं, अन्य पिछड़ी जाति 45,000 के आस-पास है
इस सीट से भाजपा के सीतासरन शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, चुनवा के दौरान उनके पास भी जनता को दिखाने के लिए बहुत कुछ है. राजनीतिक प्रक्षेकों के अनुसार उनके पास मोदी मेजिक औज प्रदेश में सत्ता पर काबिज शिवराज सरकार की सियासी पैठ का फायदा उन्हें इस विधानसभा चुनवा के दौरान मिल सकता है.