शकिर शैख़
राजस्थान में हो सकती है सत्ता गिराने के खेल की पुनरावृत्ति
भारत में स्वस्थ्य लोकतंत्र को कोई घातक बीमारी न लग जाए कोरोना जैसी …. अब जगतनियन्ता से यही प्रार्थना करना पड़ेगी ….
साथ ही यह भी कामना करनी पड़ेगी कि 2020 जैसा वर्ष कभी ना आए ।
वर्ष के प्रारंभ में कोरोना की आहट के साथ साथ ही सत्ता परिवर्तन की दुर्गंध आने लगी थी।
अब यही सत्ता परिवर्तन का घिनौना, मतदाताओं के मतादेश का मखौल उड़ाने वाला खेल मध्यप्रदेश के पड़ौसी राज्य राजस्थान में भी शुरू हो गया है।
जिन नेता पुत्रों के बाप दादाओं को जिस पार्टी ने पहचान और मान सम्मान दिलवाया उसी पार्टी के साथ पद लालसा के चक्कर में ये आज की पीढ़ी के जनप्रतिनिधि न सिर्फ गद्दारी पर उतर आए हैं बल्कि चुनी हुई सरकार को गिराने का महापाप कर रहे हैं
महापाप इस मायने में कि मतदातों ने पूरे होशो हवास में मताधिकार का प्रयोग कर सदन में भेजा, इन्हें सिर्फ स्थाई सरकार की अपेक्षा होती है जो पूरे पाँच साल जनता की सेवा करे, देश प्रदेश का विकास कर खुशहाली लाए …
लेकिन अफसोस इस पूरे घिनौने खेल में मतदाता को आहत करके रख दिया, बुरी तरह कुचल मसल कर रख दिया, कोरोना रूपी राक्षस ने खास और आम सभी का जीवन तहस नहस कर के रख दिया है किसी का दिल दिमाग ठिकाने पर नही है, आम आदमी दहशत में है और ये सत्ता के भूखे भेड़िये, देश के पहले सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार है, आज देश की अर्थव्यवस्था ठगमगा रही है बावजूद इन सब के जनप्रतिनिधियों को गंदी राजनीति करने से फुरसत नहीं है ….