हमारे कुछ मित्रों को राकेश टिकैत योगेन्द्र यादव तथा अन्य किसानों के नेताओ पर कडी टिप्पणियां करते हुए देखकरही मै यह पोस्ट लिखने के लिए मजबूर हुआ हूँ ! हमारे यह कडी टिप्पणियां करने वाले ज्यादा तर मित्र जयप्रकाश आंदोलन के पुराने साथी हैं ! और जयप्रकाश आंदोलन की आलोचना करने वाले लोग आज भी मौजूद है ! उसमें जेपी आंदोलन मे संघ को क्यों शामिल होने देने से लेकर कई-कई बार लिए गये अलग अलग निर्णयों को लेकर आज भी आलोचना करते हैं ! और किसी भी आंदोलन को लेकर आलोचना अवश्य ही होनी चाहिये वह आंदोलन के लिए बहुत जरूरी है कि वह आंदोलन कोई और गलतियों से बचेगा !
वर्तमान समय में चल रहे किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की साजिश संघ परिवार पहले ही दिन से कर रहा है खलिस्तानी,पाकिस्तानी,देशद्रोही,विदेशी मदद से लेकर क्या-क्या नहीं बोला गया और आगे इससे ज्यादा और भी बोला जायेगा ?
हावडी मोदी सबसे बड़ा देश भक्ति का कदम था ? एक सिरफिरे आदमी के लिए करोड़ों रुपये का चुना लगाकर अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में भीड इकठ्ठा करने का काम बहुत बडा देश भक्ति का कदम था ?
बाबरी विध्वंस से लेकर गुजरात दंगा भी भारत की आन-बान और शान मे इजाफा करने वाले कारनामों मे गिनाये जायेंगे ? और 30 जनवरी 1948 जिस बात को कल 73 साल हो रहे हैं ! उस महात्मा गाँधी की हत्या करकेही देशभक्ति का ठेका उन्होंने खुद अपने उपर लेकर रखा है ! और उस हत्यारेके मंदिर और उसके नाम का महिमामंडित करने वाले लोगों को तो सबसे बड़ा देश भक्ति के मेडल लोकसभा सदस्योंसे लेकर मुख्यमंत्री,गृहमंत्री और प्रधानमंत्री के पद पर है और वह बताते हैं कि आप देशद्रोही हो ? यह देश ना होकर संघ परिवार की जागीर हो गया है ? वह तय करेगा कि कौन देशभक्त हैं और कौन नहीं ?
जयप्रकाश आंदोलन के भी बारेमे सीआईएके दलालों से लेकर सेना को भडकाने वाले देशद्रोही जेपी यह बात मैंने अपने आँखो और कानों से सुनी देखी है ! और उन्हीं बात पर जेपी को 1975 साल के मई या जून महीने की मध्य प्रदेश के जबलपुर की सभा में मैंने जेपी को रोते हुए अपने व्यक्तिगत जीवन के खाने पीने से लेकर कपड़ों का हिसाब देते हुए देखा है ! और आज उसी आंदोलन के कारण गाँधीके हत्या के बाद मुँह छुपाते हुए रहने वाले संघ परिवार और उसकी राजनीतिक इकाई को दिल्लीतक में पहुचने के लिए विशेष रूप से मदद हुई है ! यह भी एतिहासिक सत्य है !
अब वही लोग किसान-मजदूर और समस्त भारत के सर्वहारा वर्ग के खिलाफ एकसे बढकर एक निती और निर्णय गत छह साल से भी ज्यादा समय हो रहा है और वह खुले आम पूंजीपति वर्ग के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए विशेष रूप से किसान बिल से लेकर मजदूर के खिलाफ कानून और सबसे अहम बात देश की सार्वजनिक संपत्ति को आवने-पावने दामौमे पूंजीपति वर्ग के लोगों को बेचने की बात एन आर सी से लेकर कश्मीर के 370 को खत्म करने से लेकर उसे केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील करने से लेकर संपूर्ण मिडिया और देश की सभी संविधानिक संस्थाओं को लाचार बनाने वाले सरकार ने आपातकाल से भी ज्यादा गदर मचाने वाले लोगों को देखकर क्या बात है अगर किसी राकेश टिकैत को रोना नहीं आये तो आश्चर्य लगना चाहिए !
मैंने लिखा भी है कि हमारे सार्वजनिक संवेदनशीलता को काठ मार गया है ! कि लोगों को क्या हो गया कि गत छह साल से भी ज्यादा समय हो रहा लगभग पूरे देश को बेचने के लिए निकले हुए लोगों को दूसरोको देशद्रोही बोलते हुए देखकर बिलकुल 95 साल पहले के यूरोपियन जर्मन और इटली के फ़ासीवादी विचारधारा की सरकारों के समय भी ड्यूमा (जर्मनी की संसद की इमारत)के आग लगाने की घटना से लेकर काफी निर्णय है जो वर्तमान समय में हमारे देश के अंदर हुबहू जारी है !
और इस किसानो के आंदोलन को रोकने के लिए विशेष रूप से हरियाणा और उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकारोने रास्तों को खोदने से लेकर क्या-क्या नहीं किया है और आज की बात है कि अगल-बगल के गाँव वालों को भड़काकर पैरा मिलिटरी को उतारने का काम भारतीय गणतंत्र दिवस की सौगात दे रहे हैं ? और आंदोलन स्थल की बिजली पानी काटने का काम कर रहे हैं और
एक तो आंदोलन मे फुट डालने का काम करने के लिए विशेष रूप से अपने गुर्गे काफी दिनों से उस आंदोलन मे घुसाने के बाद और मै शत-प्रतिशत दावे के साथ कह रहा हूँ कि दिप सिंधू नाम के शख्स की जो करतूतों के फोटो नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और सनी दिओल,हेमामालिनी के साथ और 2019 लोकसभा चुनाव में गुरु दासपूर क्षेत्र के बीजेपी उम्मीदवार और हिंदी सिनेमा के कलाकार सनी दिओल के चुनाव एजंट रहे हैं और इस आंदोलन मे बहुत ही शातिराना अंदाज में उसके तंबू गाडने से लेकर लाल किलेपर खालसा पंथ का झंडा फहराने का कृत्य अब तो पूरी दुनिया के सामने जाहिर होने के बावजूद उसके साथ क्या हो रहा ? और राकेश टिकैत योगेन्द्र यादव तथा अन्य किसानों के नेता ओ पर अलग-अलग मामले में सरकार केसेसमे फसाकर आंदोलन की कमर तोड़ने के लिए विशेष रूप से लग गई है!और आज की बात है कि यूपी और हरियाणा सरकार ने अपने अपने राज्य में इस आंदोलन की जमीन खाली करने से लेकर बिजली-पानी तोड़ने की बात किस बात का परिचायक है और अगर यह सब कुछ देखने के बाद अगर किसी राकेश टिकैत को रोना नहीं आये तो आश्चर्य लगना चाहिए !
पचास साल पहले के समय से यह टिकैत परिवार किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन करते हुए अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय दे रहे हैं ! राकेश टिकैत जी के पिताजी महेंद्र सिंह टिकैत आंदोलन करते हुए ही पूरी जींदगी गुजार दिए और उनके मृत्यु के पस्चात राकेश टिकैत अगर रात दिन लगे हुए हैं और उनके आँखो के सामने एक करोड़ से भी ज्यादा किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की साजिश सरकार करती है तो राकेश टिकैत को रोना नहीं आयेगा ?\
डॉ सुरेश खैरनार 29 जनवरी 2021, नागपुर